Shubham PendroMay 8, 20233 min readआज़ादी के 75 साल बाद भी पत्थर बेच कर जीवन जीने को मजबूर हैं कोरबा के आदिवासीपूँजीवाद के दौर में, जंगलों के अंधाधुंद कटाई से उपयोगी वस्तुएं प्राप्त नहीं हो पाती। जिससे, हमें रोजगार ढूंढने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है।