पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित
इस संसार में बहुत सारे लोग निवास करते हैं, जो अलग-अलग ढंग से अपना जीवन-यापन कर रहे हैं और उनके रोजगार का साधन भी एक-दूसरे से अलग है। परिवार को पालने के लिए परिवार के मुखिया के पास रोजगार का होना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि, परिवार चलाने के लिए भोजन, कपड़ा और मकान के लिए पैसा का होना बहुत जरूरी होता है। इस कारण से बहुत सारे लोग रोजगार की तलाश में एक राज्य से दूसरे राज्य कुछ महीनों के लिए पलायन करते हैं और चार से छ: महीने बाद वापस अपने गांव लौट जाते हैं।
महाराष्ट्र के रहने वाले सूरज सिंह ठाकुर जो 22 सालों से जड़ी-बूटी बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। वह महाराष्ट्र से आयुर्वेदिक दवाई लाकर बेचने के लिए, अपने परिवार के साथ छत्तीसगढ़ आते हैं और एक-डेढ़ साल बाद अपने गांव वापस लौटते हैं। उनके घर में केवल पढ़ने वाले बच्चे और बुजुर्ग लोग ही रहते हैं, बाकी लोग उनके साथ छत्तीसगढ़ जाते हैं।
सूरज सिंह ठाकुर गांव और शहर के चौक-चौराहे में अपना कैंप लगाते हैं। कैंप लगाने से पहले वह गांव के मुखिया से परमिशन लेते हैं कि, हम कुछ दिनों के लिए यहां कैंप लगाने वाले हैं और जड़ी-बूटी दवाई बेचना चाहते हैं। परमिशन मिल जाने के बाद, अपना एक छोटा सा कैंप लगाते हैं और उसमें बैनर चिपकाते हैं और स्पीकर की मदद से जो परेशानियों की दवाई उनके पास उपलब्ध रहता है, उसको स्पीकर में चलाते हैं। जिससे ग्राहक उसकी ओर आकर्षित होते हैं और अपनी परेशानी से जुड़ी दवाई ले जाते हैं। सूरज सिंह ठाकुर इन सभी जड़ी-बूटी को हिमालय के जंगलों से एकत्रित करके लाते हैं। उनको जड़ी-बूटियों का ज्ञान अपने पिताजी से प्राप्त हुआ और उनके पिताजी को अपने पिताजी से प्राप्त हुआ।
सूरज सिंह ने अपने वैन-गाड़ी में ही दवाई रखने के लिए छोटा सा रेग (रैक) बनाया है, जिसमें बहुत सारी दवाईयां रखी हुई है। उप्पर तस्वीर में आप देख सकते हैं कि, कांच के बोतलों में अनेकों प्रकार की दवाईयां रखी हुई हैं। जो हमारी शरीर की परेशानियों को बिना साइड इफेक्ट के दूर करने में उपयोगी हैं।
दवाईयों के नाम और उपयोग
दवाई उपयोग
1 आंवला चूर्ण गैस पित
2 त्रिफला चूर्ण गर्मी हिट
3 सतावर पाउडर कमजोरी हटाने में
4 सफेद मूसली का जड़ मर्दाना शक्ति बढ़ाने में
5 मरोड़सिंग बवासीर
6 अर्जुन जड़ शरीर बनाने में
7 गुगर फल शुगर
8 बड़ी इमली का बीज शरीर दर्द में
9 जामुन का गुटली पेट ठंडा करने में
10 सनई पत्ती पेट साफ
सूरज सिंह के पास जो दवाई का स्टोर है, उसमें से 40 से 50 प्रकार की शारीरिक परेशानियों का इलाज उनकी दवाइयों से हो जाता है। वैसे सूरज सिंह ने पढ़ाई तो नहीं किया है। लेकिन, वो अपने आयुर्वेदिक जानकारी से एक दिन में 1500 से 2000 रुपए के करीब कमाई कर लेते हैं। इसलिए, वह अपने घर से दूर रह कर कमाई करते हैं। त्योहारों और दवाई समाप्त होने पर ही अपने गांव वापस जाते हैं। बाकी घर चलाने के लिए पैसा भेजवाते रहते हैं। उनके पिताजी घर में दवाई एकत्रित करने का काम करते हैं और उनको दवाई तैयार करने में 10 से 15 दिन लग जाता है। क्योंकि, वह जंगल में जाकर जड़ी-बूटी एवं पत्तियों को तोड़ कर लाते हैं, उसके बाद दो से तीन दिन तक जड़ी-बूटियों को सुखाकर पाउडर बनाते हैं, फिर उनको बोतलों में रखकर बेचने ले जाते हैं।
मनीष साहू का कहना है कि, आयुर्वेदिक दवाई आहिस्ता से असर करना स्टार्ट करता है। लेकिन, परेशानी को जड़ से समाप्त कर देता है। इस कारण वह अंग्रेजी दवाई की तुलना में आयुर्वेदिक दवाई का उपयोग अधिक करते हैं। क्योंकि, आयुर्वेदिक दवाई का साइड इफेक्ट भी नहीं रहता और उप्पर से सस्ते भी होते हैं।
सोम जयसवाल जी का कहना है कि, आज के जमाने के लोग अपने शरीर के परेशानी को जल्द से जल्द दूर करना चाहते हैं और जल्दबाजी में मेडिकल से मेडिसिन ले लेते हैं। जिसे खाने में उनको परेशानी से राहत तो मिलता है। लेकिन, दवाई का उपयोग अधिक करने पर दवाई शरीर के लिए हानिकारक बन जाता है, जिससे शरीर में नया परेशानी उत्पन्न हो जाता है। इसलिए, आयुर्वेदिक दवाई का इस्तेमाल मेडिकल स्टोर की दवाई से अधिक करना चाहिए।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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