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बैगा जनजाति के एक प्रेमी जोड़े की प्रेम-विवाह की कहानी

पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित


आदिवासी बैगा जनजाति के पुरुष व महिला एक-दूसरे को पसंद करने के बाद, एक-दूसरे के साथ रहने का फैसला लेते हैं और अपने घरवालों को बताते हैं कि, हम दोनों एक-दूसरे को पसंद करते हैं और हम लोगों को शादी करना है। लेकिन, लड़का या लड़की वालों को यदि लड़की या लड़का पसंद नहीं आता तो, वो शादी करने से मना कर देते हैं। फिर, लड़का-लड़की अपने घर वालों की बातों को ना मानकर, भागकर शादी करने का फैसला ले लेते हैं।


यह कहानी है आदिवासी बैगा जनजाति के एक लड़के और लड़की की, जो मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। लड़का मध्यप्रदेश के बिछिया जिला के ग्राम खटोला का रहने वाला है, जिसका नाम पतिराम बैगा है। वह अपने गांव से 20 किलोमीटर के दूरी में स्थित ग्राम मोवला के निवासी शांति से प्रेम करता है। दोनों की मुलाकात, परिजनों के रिश्ते से हुआ रहता है। जिसमें दोनों एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं और आपस में बात करने लगते हैं। और एक साल बीत जाने के बाद, अपने घर में बताते हैं कि, दोनों एक-दूसरे से शादी करना चाहते हैं। लेकिन, शांति के घर वाले पतिराम के साथ उसकी विवाह करने के लिए राजी नहीं होते हैं और पतिराम के घर वालों को बोल देते हैं कि, यह शादी नहीं हो सकता। फिर, वो लोग इस बात पे अधिक ध्यान ना देते हुए गन्ना खेत में काम करने के लिए चार-पांच परिवार मिल कर रोजगार की तलाश में छत्तीसगढ़ आते हैं। जिसमें पतिराम और शांति के घर वाले भी आए रहते हैं और सभी परिवार साथ मिलकर काम करते हैं। और जैसे ही घर जाने के लिए एक-दो हफ्ता बाकी रहता है, पतिराम और शांति दोनों एक-साथ भाग जाते हैं। फिर, सभी परिवार वाले काम खत्म होने पे अपने-अपने घर चले जाते हैं।


पतिराम और शांति, कबीरधाम जिला के बोडला ब्लॉक में तीन महीने तक मजदूरी करके रह रहे होते हैं। फिर, वह दोनों वापस मध्यप्रदेश खटोला ग्राम में पतिराम के यहां रहने लगते हैं। और उधर शांति के घर वालों की बुराई आस-पास के लोग करने लगते हैं कि, उनकी लड़की बिना शादी किए पतिराम के घर में रह रही है। फिर, शांति के घरवाले पतिराम के घर जाते हैं और दोनों की शादी करवाने के लिए बोलते हैं तो पतिराम के घर वालों के पास शादी करने के लिए पैसा नहीं रहता है। फिर, मजबूरन शांति के माता-पिता, दोनों की शादी करवाते हैं। समाज के डर से कि, वे अव्यवस्थित ढंग से रह रहे हैं, जिससे समाज में रह रहे लोगो पे गलत असर पड़ता है।

प्रेम विवाह करने वाला एक प्रेमी जोड़ा

ऊपर तस्वीर में देख सकते हैं कि, परमेश्वर बैगा ग्राम सोनवाही निवासी और बासनबाई बैगा ग्राम मुरवाही निवासी अभी वर्तमान में दोनों हंसी-खुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इन दोनों ने एक-दूसरे को पसंद कर प्रेम विवाह की और अभी अच्छे से कमा-खा रहे हैं और इन दोनों के तीन बच्चे भी हैं।


लाल सिंह, उम्र 23 वर्ष, ग्राम मवारा, जिला बिछिया, मध्य प्रदेश के निवासी हैं। उनका कहना है कि, “भाग कर शादी करना अच्छा नहीं माना जाता है। क्योंकि, माता-पिता का सिर आम लोगों के सामने झुक जाता है और आसपास के लोग उन्हें ताना मारते हैं कि, उनके बच्चों ने क्या किया? इस कारण से लोगों को प्रेम में भाग कर शादी नहीं करना चाहिए।”


बुधराम बैगा, ग्राम कन्हारी कला, जिला बिछिया, मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। उनका मानना है कि, “प्रेम विवाह करना चाहिए। क्योंकि, लड़का-लड़की एक दूसरे को पसंद करते हैं। इस कारण शादी करना भी उचित रहता है, भले ही घरवाले पहले शादी के लिए मना करेंगे। लेकिन, कुछ महीना बीत जाने के बाद, घर वाले शादी को स्वीकार कर लेते हैं। इस कारण, प्रेम-विवाह करना अच्छा रहता है।”


प्यार एक एहसास है। जो दिमाग से नहीं, दिल से होता है। प्रेम स्नेह से लेकर खुशी की ओर धीरे-धीरे अग्रसर करता है। ये एक मज़बूत आकर्षण और निजी जुड़ाव की भावना है। जो सब कुछ भूलकर उसके साथ जीने को प्रेरित करता है। ये किसी की दया, भावना और स्नेह प्रस्तुत करने का तरीका भी माना जा सकता है। प्रेम में काले, गोरे या छोटे-बड़े से भेद-भाव नहीं किया जाता है। क्योंकि, प्रेम में लोगों के मन का मिलन ही प्रेम के नाम से जाना जाता है। प्रेम के रिश्ते से बंधे व्यक्ति को सही-गलत समझ में नहीं आता है। वह अपने मन का ही कार्य करता है, चाहे यह दुनिया उसे भला-बुरा बोले, इससे उसको कोई फर्क नहीं पड़ता। प्यार को अंधा प्रेम भी कहा जाता है। क्योंकि, प्रेम में व्यक्ति अपने बारे में सोचना बंद कर देता है और उस व्यक्ति के बारे में अधिक सोचता है जिससे वह प्रेम करता है।


नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।

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