महामारी के दौरान अकादमिक जगत में काफी दुविधा चल रही है। अगर वे इस साल परीक्षा रोक देते हैं तो विद्यार्थियों का साल बर्बाद हो जायेगा, और अगर परीक्षा ऑनलाइन कर देते हैं तो कई सारे विद्यार्थियों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। इस कश्मकश के बीच छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों ने निर्णय लिया है कि इस साल परीक्षा फिर से पिछले साल की तरह ऑनलाइन कर दिया जाएगा। इस घोषणा के बाद छत्तीसगढ़ के आदिवासी छात्रों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल रही है। कुछ खुश हैं कि साल ख़राब नहीं होगा तो कुछ तनाव में हैं कि घर पर, जहाँ नेटवर्क और पढ़ाई का साधन ही नहीं है वैसी स्थिति में परीक्षा कैसे देंगे!
छत्तीसगढ़ का एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय है पं. रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी। उन्होंने भी घोषणा की है कि एमए, एमएससी, एम फार्मा इत्यादि की परीक्षा 24 मई 2021 से शुरू होने जा रही है, और 7 जून से बीए, बीएससी, बीकॉम, स्नातक स्तर के वार्षिक परीक्षा ऑनलाइन की जाएगी। इस बार भी नियमित के साथ प्राइवेट छात्र भी घर से परीक्षा देंगे। पिछले साल भी कोरोना संक्रमण की वजह से पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कई विषयों की वार्षिक परीक्षा ऑनलाइन मोड में आयोजित की गई थी। लेकिन इस बार सभी विषय के लिए ऑनलाइन मोड में परीक्षा आयोजित होगी।
ये ऑनलाइन परीक्षा कुछ इस प्रकार होगी : विद्यार्थियों को परीक्षा के दिन परीक्षा शुरू होने से आधे घंटे पहले प्रश्न-पत्र मिलेगा। इसके बारे में पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति- डॉ. केशरी लाल वर्मा ने कहा है कि ये प्रश्न-पत्र विश्वविद्यालय की समय-सारणी के अनुसार विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.prsu.ac.in पर अपलोड किया जाएगा। इसके अलावा परीक्षार्थियों के ईमेल, वाट्सएप पर भी प्रश्न-पत्र भेजा जाएगा। छात्रों को परीक्षा समाप्त होने के 5 दिन के भीतर आंसर शीट केंद्र में जमा करना पड़ेगा। इसके लिए आंसर शीट को एक बंद लिफाफे में डालना पड़ेगा। यदि कोई केंद्र तक जाने में असमर्थ हैं तो वे स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेज सकते हैं।
पिछले वर्ष की तरह इस बार भी विद्यार्थी आंसर शीट स्वयं भी बना सकते हैं और कालेज से भी ले सकते हैं। छात्रों को नियम अनुसार ए 4 साइज के पेपर से उत्तर पुस्तिका बनाने का आदेश दिया गया है। उत्तर पुस्तिका के पृष्ठों की संख्या 32 और 16 पन्ना होना अनिवार्य है, उससे न ही कम और न ही ज्यादा होनी चाहिए । इसके अलावा विश्वविद्यालय के वेबसाइट से भी OMR शीट का पहला पेज डाउनलोड करके बाकी उत्तर ए 4 साइज के पेपर पर लिखकर जमा कर सकते है।
मैंने ऑनलाइन परीक्षा को लेकर के कुछ छात्रों से बात की और उनकी राय पूछी। सबसे पहले मैंने बात की निजी कचना धुरवा महाविद्यालय, छुरा, के विद्यार्थी नरेश कुमार नेताम से। वे बीए द्वितीय वर्ष के छात्र हैं और जलकिपानी गाँव के निवासी हैं। नरेश ने हमें बताया कि पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी ऑनलाइन परीक्षा लेने का आदेश जारी किया गया है। लेकिन जहाँ पिछले वर्ष उत्तर पुस्तिका कॉलेजों के केंद्र में वितरण किया जा रहा था, इस बार बच्चे घर पर ही उत्तर पुस्तिका बना सकते हैं। पिछले वर्ष अधिक संख्या में छात्र - छात्रा उपस्थित हुए थे, जिससे एक दिन में तेजी से कोरोना के संक्रमण होने की पुष्टि मिली। नरेश नेताम का कहना है कि ऑनलाइन परीक्षा दिलाने से ज्यादा ऑफलाइन परीक्षा देना अच्छा होता, क्योंकि ऑनलाइन परीक्षा देने से कई छात्रों का शिक्षा के विकास में ढीला असर देखने को मिल रहा है, लेकिन कोरोना महामारी की दूसरी लहर तेजी से बढ़ रही है, तो विश्वविद्यालय ऑफलाइन परीक्षा नहीं ले सकती। "लेकिन और कोई रास्ता नहीं है तो मैं अपने विश्वविद्यालय के पूरे स्टाफ को धन्यवाद अर्पित करता हूँ कि वे हमारी वार्षिक परीक्षा को ऑनलाइन पूरा करने जा रहे हैं।"
विद्यार्थी नीलकंठ सोनी बीए द्वितीय वर्ष के छात्र हैं। वे निजी कचना धुरवा महाविद्यालय, छुरा के छात्र हैं और नवगई गाँव के निवासी हैं। उनका कहना है कि विश्वविद्यालयों का ऑनलाइन परीक्षा लेने का निर्णय सही है। इस निर्णय से उनके जैसे हज़ारों छात्रों का शैक्षणिक जीवन का एक वर्ष बर्बाद होने से बच जाएगा। लेकिन नीलकंठ का मानना है कि छात्रों से जो परीक्षा फीस ली जाती है उसका एक हिस्सा उनको वापस कर दिया जाना चाहिए।
नीलकंठ सोनी का कहना है कि- "हम लोगों ने वार्षिक परीक्षा के लिए 1180 रुपये जमा किया है। लेकिन, अगर परीक्षाएं ऑनलाइन हो रही हैं और हमें अपनी उत्तर पुस्तिकाएं दुकानों से खरीदनी है तो कुछ शुल्क वापस किया जाना चाहिए। कई छात्र ऐसे हैं जो काफी मुश्किल से फीस जमा करते हैं। ऐसे छात्रों के लिए सभी परीक्षाओं के लिए शीट खरीदना बहुत मुश्किल है।"
एक और विद्यार्थी हैं फणीश ध्रुव जो बीए द्वितीय वर्ष के छात्र हैं। वे शासकीय वीर सुरेन्द्र साय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गरियाबंद में पढ़ाई करते हैं। फणीश बम्हनी गाँव से हैं और वे भी ऑनलाइन परीक्षा का समर्थन करते हैं। लेकिन, फणीश का ये भी कहना है कि उत्तर पुस्तिका जमा करने की अवधी बढ़ा देनी चाहिए। छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक परिवाहन बंद है। ऐसी स्थिति में छात्र कैसे अपना आंसर शीट कॉलेज पहुंचाएंगे? " फ़िलहाल, परीक्षा समाप्त होने के 5 दिन बाद तक का समय दिया गया है और पोस्टल सर्विस से भी उत्तर पुस्तिका भेजने की अनुमति है। लेकिन ऐसे बहुत सारे गाँव हैं जहाँ डाक सेवाएं नहीं है। ऐसे गाँवों में रहने वाले बच्चे समय रहते कैसे अपना शीट जमा करेंगे? इसके अतिरिक्त भी उनके गाँव में नेटवर्क नहीं रहता है। ऐसे में ऑनलाइन परीक्षा देने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।" फणीश ध्रुव ने कहा, "हमारे कॉलेज के द्वारा हमें ऑनलाइन क्लासेस दिया गया लेकिन मेरे गाँव में नेटवर्क नहीं होने के कारण मैं ऑनलाइन क्लासेस में सिर्फ सर, मैडम की आवाज सुन पाता था। कभी-कभी तो आवाज़ भी नहीं सुन पता था, इसलिए मुझे ऑनलाइन पढ़ाई में नेटवर्क खराब होने के कारण दिक्कत हो रही है। लेकिन इसके माध्यम से पढ़ाई चालू है। जिससे हमें ऑनलाइन परीक्षा देने का दूसरा मौका मिला है। मैं पं. रविशंकर यूनिवर्सिटी के सभी कर्मचारियों को बधाइयाँ देता हूँ कि उन्होंने हमारी अधूरी परीक्षा को ऑनलाइन पेपर द्वारा पूरा करने का आदेश जारी किया है।"
सभी विद्यार्थी अब ऑनलाइन परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। उम्मीद है सबकी परीक्षा अच्छी होगी। आपके यहाँ परीक्षाएं कैसे ली जा रही हैं, हमें कमेंट्स में बताएं।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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