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चित्रकूट: क्यों आदिवासी बहु-बेटियों को अपनी ज़मीनी हक़ के लिए जेल जाना पड़ रहा है?

Writer's picture: Khabar LahariyaKhabar Lahariya

चित्रकूट ज़िले का पाठा क्षेत्र एक ऐसा इलाका है, जहाँ कई दशकों से आदिवासी रहते आ रहे हैं। इस क्षेत्र में मौजूद जल, जंगल, और ज़मीन ही इनका रोज़गार है और इसी के सहारे ये अपनी ज़िंदगियाँ काट रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से इन आदिवासी परिवारों से इनका ज़मीनी हक़ छीना जा रहा है। चित्रकूट के गाँव किहूनिया और गाँव ऐलहा के रहने वाले लोगों ने हमें बताया कि वन विभाग उन्हें इनकी ज़मीनों पर खेती-बाड़ी करने से और मकान बनाने से रोक रहा है। हालांकि इन लोगों के पास ज़मीन से जुड़े पट्टे आदि के कागज़ात भी मौजूद हैं, लेकिन फिर भी जब जब ये लोग लकड़ियां बीनने के लिए या ज़मीन पर कुछ उगाने के लिए जंगल जाते हैं, तो इन्हें वहां से भगा दिया जाता है।

इन आदिवासी परिवारों का कहना है कि वो ऐसी ही सरकार चाहते हैं जो उन्हें उनकी हक़ की ज़मीन दिलवाये। आदिवासी परिवारों का यह भी कहना है कि कई सरकारें आयीं और गयीं लेकिन किसी ने भी इन ग्रामीणों के लिए कोई काम नहीं किया। और बार-बार शिकायत करने के बावजूद भी वन विभाग से कोई जवाबदेही नहीं मांगी गई।


नोट:- यह लेख ख़बर लहरिया की अनुमति के साथ पुनर्प्रकाशित किया गया है।

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