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Writer's pictureAjay Kanwar

कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई: जानिए छत्तीसगढ़ के गाँवों की तैयारी की स्थिति

स्थिति को काबू में लाने के लिए गाँव की मितानिनों, कोटवार, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पटवारी ,और शिक्षकों की सहायता ली जा रही है।


छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जहाँ मितानिनों के द्वारा कोरोना के लक्षण वाले मरीजों की पहचान कर उन्हें निःशुल्क दवाइयाँ दी जा रही है। इसका अच्छा परिणाम भी मिल रहा है। इससे राज्य में संक्रमित मरीज ठीक हुए हैं और रिकवरी रेट भी बढ़ा है। जिले, तहसील, ब्लॉक सभी जगह पुलिस अपना कार्य अच्छी तरह से कर रही है। बेवजह घूमने वालों पर कड़ी कार्यवाही हो रही है। अगर ऐसे लोगों पर पाबंदी नहीं लगाया गया तो कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं रुक सकेगा।

कोरोना के कई नए हॉस्पिटल बनाये जा रहे हैं और हॉस्पिटल में ऑक्सीजन बेड, दवा, आईसीयू की कमी को पूरा किया जा रहा है। कोरोना महामारी के दूसरी लहर में ग्रामीण अंचलों के शादी ब्याह में संक्रमण तेजी से फैला है। बाहर से जितने भी लोग गाँव आ और जा रहे हैं उनकी देख-रेख की जा रही है। उन्हें क्वारन्टीन में रखा जा रहा है और कोरोना टेस्ट कराने की सलाह दी जा रही है। इसके लिए गाँव की मितानिनों कोटवार, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पटवारी और शिक्षकों की सहायता ली जा रही है।


छत्तीसगढ़ सरकार राज्य के सभी कोरोना के लक्षण वाले मरीजों को मितानिनों की सहायता से कोरोना की निःशुल्क दवाइयाँ दे रही है। जब मैंने 3 अलग-अलग गाँव की मितानिनों से पूछताछ किया तो उन्होंने मुझे इसके बारे में अच्छे से बताया।


1.अनुसुइया बाई कंवर सराईसिंगार गाँव की मितानिन हैं। उन्होंने कहा कि पहले कोरोना के लक्षण वाले मरीजों को ये दवाइयाँ नहीं दी जा रही थी लेकिन अब किसी को भी सर्दी, खांसी, बुखार जैसे लक्षण अगर दिखाई देते हैं तो उनको ये दवाइयाँ प्रशासन द्वारा निःशुल्क दिया जा रहा है ताकि यह बीमारी का रूप न ले सके और लोग समय रहते ठीक हो जाएं। वे लगातार गाँव के लोगों से पूछताछ करती रहती हैं कि किसी को कोई परेशानी तो नहीं हो रही है। अगर किसी को सर्दी-बुखार रहता है तो उनको पांच दिन की दवाइयाँ देती हैं जो एक पॉलीथिन में आता है। ये उन्हें सीधे हॉस्पिटल से मिलता है। वे कड़ी धूप में घर-घर जाकर गाँव के कोरोना के लक्षण वाले लोगों को कोरोना टेस्ट कराने की सलाह देती रहती हैं।


2.धनकुंवर जो ग्राम सिरकी की मितानिन हैं, उन्होंने बताया कि अभी हमारा काम बहुत ज्यादा बढ़ गया है। हमारे गाँव में कोरोना के संबंध में बहुत ज्यादा अफवाह फैली हुई है तो गाँव के लोगों को कोरोना से संबंधित सलाह देने में बहुत कठिनाई होती है। मोबाइल-सोशल मीडिया से बहुत ज्यादा अफवाहें फैल रही हैं। लोग मितानिनों को यह कह कर भगा देते है कि हमें जो सर्दी-खांसी है वह मौसम की वजह से है। हम कोई भी गोली नहीं खाएंगे। कुछ-कुछ गाँवों में टीका लगवाए हुए लोगों की मृत्यु हुई है जिसकी वजह से कुछ लोगों के बीच टीके को लेकर डर फैल गया है। कुछ लोगों ने तो मितानिनों को मारने-पीटने की धमकी भी दी है। धनकुंवर कंवर बताती हैं कि अभी उनके गाँव में सर्दी-खाँसी के साथ साथ माता का भी प्रकोप है। कुछ लोगों को माता की शिकायत है तो वे बैगा से अर्जी करवा रहे हैं। सिरकी गाँव में जिन-जिन लोगों ने कोरोना से संबंधित दवाइयाँ लिया है उनके सर्दी-खांसी में बहुत जल्दी सुधार हुआ है। उनका कहना है कि हमें जैसा करने को कहा जाता है वैसे ही करते हैं।


३.गीता बाई महंत झोरा गाँव की मितानिन हैं। गीता बाई का कहना है कि झोरा गाँव के एक मोहल्ले में 8 लोग कोरोना पॉजिटिव हो गए थे तो उनके परिवार वालों को भी कोरोना की दवाइयाँ दी गई थी। उनके संपर्क में से जिनका भी लक्षण दिखाई दे रहा था, वे भी दवाई मांगने लग गए, जिसके बाद ये दवाइयाँ हॉस्पिटल से लानी पड़ी क्योंकि ये दवाइयाँ उनके पास नहीं थी। हमें ऐसी जगहों पर जाना पड़ता है या ऐसे परिवारों से मिलना होता है जहाँ संक्रमण फैला होता है जिसकी वजह से हमें भी संक्रमित होने का डर हर दिन लगा रहता है। इसलिए हमें बहुत ज्यादा सावधानी रखनी पड़ती है।


यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजैक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, और इसमें Prayog Samaj Sevi Sanstha और Misereor का सहयोग है।




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