एकता परिषद ने छत्तीसगढ़ की आदिवासी क्षेत्रों में राशन किट बांटे ResponseNet और ALM के सहयोग से
हमारे देश में ऐसी बहुत सारी संस्थाएँ हैं जिनका उद्देश्य विभिन्न तरीकों से लोगों की मदद करना है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर शहर के तिल्दा में भी एक ऐसी संस्था है जो हमेशा जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए प्रयासरत रहती है। यह संस्था लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं की सामग्री का वितरण करती है। अगर लोगों को मदद की आवश्यकता होती है तो इस संस्था के सदस्य उनके घर जा जाकर उनकी सहायता करते हैं। यह संस्था तिल्दा के अतिरिक्त कई अन्य जिलों में भी कार्य कर रही है। यह संस्था हर उस वर्ग के लोगों को राशन सामग्री वितरण करती है, जिनको उन सामग्रियों की आवश्यकता होती है। इस संस्था का नाम है, 'एकता परिषद'।
पिछले कुछ दिनों में एकता परिषद ने छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्रों जैसे बिलासपुर, कोरबा, कोरिया, रायपुर और रायगढ़ में 1,000 से अधिक परिवारों को राशन किट बांटा है ResponseNet और ALM के सहयोग से । इसके अलावा, उन्होंने अपनी पहल से 3000 अतिरिक्त किट भी वितरित किए हैं। इन क्षेत्रों में ज्यादातर आदिवासी रहते हैं, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया है। रोजगार और भोजन की कमी के अलावा चिकित्सा के प्रति जागरूकता का भी अभाव है। ज्यादा से ज्यादा आदिवासियों की मदद के लिए आदिवासी लाइव्स मैटर (ALM) ने एक फंडरेजर की स्थापना की थी। हमारे पाठकों और समर्थकों द्वारा दिए गए दान से ही ALM राशन किट वितरित करने में एकता परिषद का साथ दे पाया।
एकता परिषद' संस्था के माध्यम से कई जिलों में जैसे राजनांदगांव, कोंडागांव, रायपुर महासमुंद, जांजगीर चांपा, बालोद, धमतरी कांकेर, कबीरधाम, सरगुजा, जसपुर, रायगढ़ गरियाबंद, बिलासपुर, कोरिया, कोरबा और अन्य जिलों में भी राशन वितरण करने का काम किया जा रहा है। इस संस्था ने विशेष रूप से गरीब परिवारों, निःशक्त बुजुर्गों और जरूरतमंद महिलाओं को घर-घर जाकर राशन वितरण किया। कुछ लोग संस्था में आकर भी राशन सामग्री लेकर जाते हैं।
एकता परिषद संस्था में कार्यरत श्री रमेश जी ने बातचीत के दौरान बताया कि हाल ही में उन्होंने तीन से चार हजार परिवारों को राशन सामग्री वितरण किया है। यह संस्था आवश्यकता पड़ने पर कुछ विशेष दवाइयों का भी वितरण करती है जिससे महामारी से लड़ने में सहायता मिल सके। संस्था द्वारा महिलाओं को स्वस्थ रखने के लिए पोषाहार की व्यवस्था की जाती है जिससे वे रोगमुक्त रह सकें। एकता परिषद में कार्यरत सदस्य सभी लोगों को सुझाव देते हैं कि अभी फिलहाल महामारी का खतरा बना हुआ है। इससे बचने के लिए आप सभी को कोविड प्रोटोकॉल के हिसाब से चलना चाहिए एवं सुरक्षात्मक दवाइयों का उपयोग करना चाहिए।
इन सबके साथ-साथ 'एकता परिषद' गाँव के लोगो को अपने हकों के लिए जागरूक करती है, ताकि वे आपने हकों के लिए लड़ सके। अपने जंगल को कटने बचाने की लड़ाई में भी एकता परिषद लोगों का सहयोग करती है। यह संस्था नाश मुक्ति के बारे में भी जागरूक करती है।
कोरबा जिले के बिंझरा ग्राम में भी 'एकता परिषद' का कार्य सुचारू रूप से चल रहा है। यहाँ श्री छतरपाल चौहान जी एक सदस्य के रूप में कार्यरत हैं। उनके द्वारा अपने गाँव-मोहल्ले के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दिया जा रहा हैं। वे बच्चों को आदर्श और शिक्षित बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
Comentarios