पिछले हफ्ते तौके चक्रवात ने पश्चिमी भारत के कई हिस्सों को तबाह कर दिया, जिससे कई मौतें हुईं और व्यापक विनाश हुआ। इस तूफान का असर पूर्वी भारत में भी महसूस किया गया। तौके के कारण छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर सहित राज्य के विभिन्न जिलों में हल्की-हल्की बारिश के साथ बिजली गिरी जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत नुकसान हुआ। अभी मई का महीना है, और इस समय छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के ग्रामीण अँचलों में तेन्दुपत्ता संग्रहण का काम किया जाता है। ऐसे में चक्रवाती तूफान की वजह से आदिवासियों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा क्योंकि बारिश से लाखों रूपये के मूल्य की पत्तियाँ भींग गई। आदिवासी इलाकों में बड़ी संख्या में लोग तेंदूपत्ते से आयी आमदनी से ही घर का खर्चा चलाते हैं। तालाबंदी के दौरान जहाँ एक ओर बेरोजगारी बढ़ रही है उस समय इन पत्तों का बर्बाद होना एक और बड़ी चुनौती ले कर आई है।
तौके भारत के कई राज्यों में अपना कहर बरपा चुका है। टीवी और न्यूज़ चैनलों के मुताबिक पिछ्ले कुछ दिनों से तूफान ने महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, गोवा, कर्नाटक सहित राजस्थान तक अपना कहर ढाया है। इन राज्यों को काफी ज्यादा नुकसान पहुँचा है। खबरों के मुताबिक मुंबई के पास समुद्र में कुछ जहाज फंसे हैं, जिनमें से कुछ लोगों को वायु सेना के जवानों ने रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाल लिया है, लेकिन अभी भी कुछ लोग बचे हैं जिन्हें निकालने का प्रयास किया जा रहा है।
समुद्र से दूर स्थित राज्यों में भी इस तूफान का असर देखने को मिला है। बीते दिनों छत्तीसगढ़ में इसका बहुत असर हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों मे तेन्दुपत्ता संग्रहण कर रहे लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है क्योंकि वे जंगल से तोड़कर लाये हुए पत्तों को बेच नहीं पाये। ज़मीन गीली हो जाने के कारण फड मुंसी ने पत्ता खरीदने से मना कर दिया जिससे ग्रामीण काफी नाराज हो गये हैं।
हमने कोरबा जिले के रिंगानिया ग्राम के एक हीरा राम बालन से बात की। वे इस समय तेंदूपत्ता संग्रहण का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि वे जंगल से तेंदूपत्ता तोड़ते हैं और कुछ दिन पत्तों को सुखाने के बाद उनको बेचने के लिए फड़ ले जाते हैं। उन्होंने कहा, "पिछले एक सप्ताह से मौसम खराब होने के कारण तोड़ा हुआ पत्ता बारिश में भीग गया। जब इन पत्तों को बेचने के लिए फड़ ले गया तो वहाँ से फड़ मुंशी ने ज़मीन गीली होने का कारण बताते हुए वापस भेज अगले दिन को आने को बोला। अगले दिन भी बारिश होने के कारण पत्ता नहीं बेच पाया।" हीरा राम बालन बताते हैं कि वे एक दिन में 150-200 बंडल तेंदू पत्ता की तोड़ाई कर लेते हैं। 100 बंडल पत्ता का 400 रुपया मिलता है। इस हिसाब से उनका प्रति दिन 600 से 800 रुपये का नुकसान हो रहा है। प्रति सैकड़ा बोनस मिलता है, उसका नुकसान अलग।
इसी जिले में एक और किसान हैं मंगलू राम। वे बताते हैं कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल पत्ता तोड़ाई में ज्यादा नुकसान हुआ है। पिछ्ले साल लगभग 2 सप्ताह तक अच्छा से पत्ते की तुड़ाई हुई जिससे 15-20 हज़ार रूपये आय प्राप्त हुई। इस बार मौसम खराब होने के कारण मुश्किल से एक सप्ताह कमाई हो पायी। अभी फड़ तो चालू है लेकिन मौसम खराब होने के कारण मुंशी पत्ता खरीदने से मना कर रहे हैं।
वहीं मुंशी का कहना है कि उनको काफी परेशानियाँ झेलनी पड़ रही है। मौसम खराब होने के कारण पत्ता जल्दी सूख नहीं पा रहा है, जिससे पत्तों में दीमक लगने का खतरा बना हुआ है। ग्राम पंचायत रिंगानिया के फड़-मुंशी कर्मचन्द से बात करके पता चला कि रिंगानिया पंचायत में 2 फड़ बनाया गया है। इस इलाके में जनसंख्या ज्यादा है इसलिए खरीददारी को जल्दी निपटने के लिए 2 फड़ बनाया गया। इन फड़ों में कोरोना की स्थिति को देखते हुए, कोरोना गाइडलाइन्स का पालन करवाया जाता है। एक फड़ में मनीराम मुंशी पत्ता खरीद रहे हैं और दूसरे वाले में कर्मचन्द खरीद रहे हैं। कर्मचन्द बताते हैं कि कुल 4 लाख पत्ता खरीदने का लक्ष्य मिला हुआ है, जिसमें 2 लाख पहले फड़ से और दूसरे फड़ से 2 लाख पत्ते खरीदने का लक्ष्य मिला हुआ है। 2 लाख में से वे सिर्फ 1 लाख 30 हजार पत्तियाँ ही खरीद पाये हैं। तौके तूफान की वजह से गाँव की ज़मीन गीली हो गई है, जिसके कारण पत्ते खरीदने में दिक्कत हो रही है। गाँववाले पत्ते तोड़ चुके है, उसको खरीदना बाकी है। मौसम साफ होने पर, अगर पत्तों में कीड़ा नहीं पड़ा तो उसको ख़रीदा जाएगा। कर्मचन्द बताते हैं की पिछले साल मौसम ठीक था, जिससे की लक्ष्य जल्दी पूरा हो गया था लेकिन इस बार तौके तूफान के मार के वजह से लक्ष्य पूरा करने में दिक्कत आ रहा है।
यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजैक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, और इसमें Prayog Samaj Sevi Sanstha और Misereor का सहयोग है।
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