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Writer's pictureDeepak Kumar Sori

भारी बारिश के कारण गरियाबंद जिले के अनेक गाँवों का सम्पर्क मुख्य मार्ग से टूटा, लोग परेशान

छत्तीसगढ़ का गरियाबंद जिला अपने प्राकृतिक सौंदर्य की वजह से प्रसिद्ध है। यहाँ कई पहाड़, पर्वत, पर्यटन स्थल, झरना इत्यादि हैं। जिसमें से एक पर्वत मलेवा अंचल भी है जिसके आस - पास कई आदिवासी गाँव बसे हुए हैं, गरियाबंद जिला के कई क्षेत्रों में बीते कुछ हफ़्तों से लगातार जम कर बारिश हुई है, जिससे ग्राम लादाबाहरा का सम्पर्क मुख्य मार्ग से टूट गया है। ग्राम पंचायत रूवाड़ से 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम लादाबाहरा में बारिश का कहर ज्यादा देखा गया है।

टूटा हुआ मार्ग

गरियाबंद जिले के छुरा विकास खण्ड के अंतर्गत आने वाला ग्राम लादाबाहरा, मलेवा अंचल पहाड़ के नीचे बसा है, अधिक बारिश होने के कारण पहाड़-पर्वत का पानी नीचे की ओर आते हुए एक नदी का रूप धारण कर बहती है, जिससे गाँव के ग्राम पंचायत जाने वाली कच्ची मार्ग बह गई है। इस मार्ग के टूट जाने से गाँव का संपर्क मुख्य मार्ग से टूट गया है।

गाँव के लोगों को अपने ग्राम पंचायत के सोसायटी से राशन पानी लाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालना पड़ रहा है। एक तो मार्ग टूटा हुआ है, ऊपर से नाले का बहाव भी बहुत तेज़ है, जिसकी वजह से खतरा बना हुआ है।

ग्राम पंचायत जाने का एक दूसरा मार्ग भी है, लेकिन उससे काफ़ी घूम के जाना पड़ता है, इस वजह से लोग उस मार्ग का इस्तेमाल कम ही करते हैं।

टूटे हुए मार्ग को देखते स्कूली छात्र

लादाबाहरा गाँव के कई विद्यार्थी पढ़ाई करने ग्राम पंचायत रूवाड़ जाते हैं। जहाँ स्कूल में पहली से ले कर के 12वीं कक्षा तक की पढाई होती है। परंतु अब इस भारी बारिश से मार्ग टूट गया है, जिसके कारण विद्यार्थी स्कूल नही जा पा रहे हैं।

ग्राम पंचायत व स्कूल जाने का मार्ग काफी गहरा हो गया है

नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले शोभा राम ओंटी का कहना है कि, "Covid-19 के चलते स्कूल कॉलेज बंद था, परंतु अब खुलने लगे हैं और पढ़ाई भी चालू हो गया है। इस लगातार हुई बारिश की वजह से एक तो कई दिनों तक स्कूल नहीं जा पाएँ और अब रास्ते के टूट जाने से फिर से पढ़ाई में बाधा आ रही है।

मैं और मेरे कुछ दोस्त खतरा मोल लेते हुए, बहते हुए नाले में से पार होकर स्कूल जाने का प्रयास कर रहे हैं।

हम सभी छात्र का विनम्र अनुरोध है कि सरकार जल्द से जल्द इस मार्ग को बनवा दे, जिससे हमें असुविधा नहीं होगी"

निचली सतह कि ओर से नदी पार कर स्कूल जाते छात्र

आदिवासी बस्ती अधिकतर पहाड़, पर्वत के आसपास होते हैं, और वे कृषि कार्य करते हैं। समय पर बारिश नहीं होने के कारण किसान भाई अपनी फसल की सिंचाई तालाब, कुआँ आदि से पुरी कर फसल को तैयार किये थे, लेकिन अचानक तेज़ बारिश होने के कारण उनकी फसल व खेती में काफ़ी नुकसान हुआ इस वजह से कई किसान भाई के चेहरे में मायूसी और नाराजगी भी देखने को मिली।

अधिक पानी के बहाव के कारण फसल, रेत के साथ दब गया है

बरसात के मौसम में कई क्षेत्रों में यह घटनाएं होती रहती हैं, अक़्सर अधिक वर्षा होने के कारण नदी नाले उफान पर आ जाते हैं, और कई सड़क मार्ग टूट जाते हैं। ग्राम लादाबाहरा का यह मार्ग कई वर्षों पहले बनाया गया था, अब यह टूटा हुआ है और किसी का भी ध्यान बनाने की ओर नहीं जा रहा है।

बरसात का मौसम आते ही मार्ग पर पानी आ जाता है और गाँव का संपर्क बाकी स्थानों से टूट जाता है।


आशा है कि छत्तीसगढ़ सरकार जल्द ही इस ओर ध्यान देकर कुछ करेगी, जिससे ग्राम वासियों को परेशान न होना पड़े।


यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अन्तर्गत लिखा गया है जिसमें Prayog Samaj Sevi Sanstha और Misereor का सहयोग है l

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