top of page
Adivasi lives matter logo

आदिवासी कंवर समाज की पढ़ी-लिखी लड़कियां हो रही दूसरे समाज के लड़कों के प्रति आकर्षित

Writer's picture: Ajay KanwarAjay Kanwar

पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित


सभी समुदायों में शादी-ब्याह परम्परागत तरीके से किया जाता है। सभी समुदायों के रीति-रिवाज अलग-अलग होते हैं। पहले, आदिवासी कंवर समाज में शादी के लिए लड़का या लड़की को देखना ज्यादा जरूरी नही समझते थे। उस दौर में, घर के बुजुर्गों का ही निर्णय अंतिम होता था। इसके बावजूद, उस समय भी प्रेम-विवाह का परिचलन था। लेकिन, ऐसे विवाह बहुत कम ही देखने को मिलते थे। उस समय, मनपसंद शादी का प्रचलन नहीं के समान था। प्रेम-विवाह, चुनौतियों के सामना करने के बाद होता था। लेकिन, ‘किस्मत वाले’ जोड़ों का प्रेम-विवाह बड़ी सरलता से हो जाता था और मौजूदा स्थिति पहले से बहुत अलग है।


हमारे आदिवासी कंवर समाज के शादियों को बिना पंडित के ही कराया जाता है। ये शादी, समाज के पुराने परंपरा और पूर्वजों द्वारा बनाये गए नियमों के अनुसार किया जाता है। लेकिन, अब हमारे कंवर समाज के युवक-युवती, अपने लिए जीवन साथी का चयन खुद करने लगे हैं। आजकल, सभी लड़के-लड़कियां ‘प्रेम-विवाह’ करना ज्यादा उचित समझते हैं और जो लड़के मनपसंद शादी नहीं करते हैं, उनके घर के बड़े-बुजुर्ग लड़की देखने जाते हैं। उनके द्वारा लड़की को पसंद करने के बाद, लड़के की राय जानने के लिए, लड़की देखने भेजते हैं। फिर, दोनों की रजामंदी होने पर दोनों की विवाह करवा दी जाती है।

हल्दी लेपन की रस्म

कंवर समाज में, पहले होने वाली शादियां इससे बहुत अलग थी। क्योंकि, पहले प्रेम विवाह मुश्किल से होता था। उस समय के लड़के-लड़कियां अपने माता-पिता की पसंद को ही अपनी पसंद मानते थे। उस समय, घर वालों के अनुमति के बिना शादी नहीं हो पाता था। और अब, अगर लड़का-लड़की दोनों एक-दूसरे को पसंद कर रहे हैं, तो घर वालों को शादी कराना ही पड़ता है। समाज में हर कोई पढ़ा-लिखा नहीं होता है। लेकिन अब, शिक्षा को पहले से ज्यादा बढ़ावा दिया जाता है। जिससे, आज कल लड़कों से ज्यादा लड़कियां आगे बढ़ रही हैं। इस कारण, समाज की लड़कियों को अपने स्तर का लड़का नही मिलने पर, वे दूसरे समाज के लड़कों की ओर आकर्षित हो रही हैं।


ग्राम सिरकी के 55 वर्षीय भाव सिंह का कहना है कि, “हमारे समय में प्रेम विवाह होता ही नहीं था, किसी-किसी का हुआ रहा होगा, जिसकी जानकारी मुझे नहीं है। अब तो प्रेम विवाह का प्रचलन बहुत ज्यादा है, इसके बावजूद भी हमारे समाज की लड़कियां, दूसरे समुदायों के लड़कों से प्रेम-विवाह कर रही हैं। क्योंकि, हमारे समाज में शिक्षित लड़कों की थोड़ी कमी है। लड़कियों को अपने स्तर का पढ़ा-लिखा लड़का ना मिलने की वजह से, वे अपने आप को ठगा महसूस करती हैं। अगर समाज में पढ़ाई के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा सुधार किया जाये, तो शायद लड़कियां अन्य समुदायों की ओर ना जाएंगी। कुछ लड़कियां ऐसी भी हैं, जो दूसरे समाज के लड़कों के पास होने वाले संसाधनों को देख कर उनकी ओर आकर्षित हो रही हैं। जो दूसरे समाज के लड़कों की ओर आकर्षित होने का मुख्य कारण हो सकता है।”


ग्राम सिरकी के 45 वर्षीय अरन सिंह कंवर, जिन्होंने स्वयं गांव की ही लड़की से प्रेम-विवाह किया है। उनका कहना है कि, उनके विवाह के लिए घर वालों को ज्यादा दिक्कत नहीं हुआ। क्योंकि, उन्होंने खुद लड़की के घर रिश्ता भेज दिया था। जिसे, गांव के बुज़ुर्गों ने सभा कर रिश्ता तय कर दिया। और किसी ने भी इसे रोकने की कोशिश नहीं की। इसलिए, उनकी शादी सरलता से हो गयी। अन्यथा बहुतों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, तब जाकर उनकी शादी होती है।


पहले, लड़का-लड़की शादी से पहले एक-दूसरे को नहीं देख पाते थे और ना ही उनके बीच बातचीत हो पाता था। लेकिन, अब तो हमारे समाज के लड़का-लड़की की शादी की बात चलते ही मोबाइल फोन पर बातचीत करना प्रारंभ कर देते हैं। जिससे, कभी उनके बीच किसी बात को लेकर लडाई भी हो जाती है और किसी-किसी की होने वाली शादियां भी टूट जाती हैं।


नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।


Comments


bottom of page