आदिवासी अधिकारों के रक्षा के लिए सरकारों के खिलाफ मोर्चा खोलना ही एकमात्र रास्ता है
- Dinesh Kanwar
- Jun 6, 2023
- 3 min read
पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित
गत वर्ष दिसंबर में, छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर सरकार के विरुद्ध आदिवासियों द्वारा बहुत सारे सभा और बैठकों के बाद, राज्य के सभी जिलों के शहरो में चक्काजाम जैसी स्थिति बनाई गई। जिसके बाद, फिर से सरकार को आरक्षण कोटा में बदलाव करने की जरूरत पड़ गयी। आदिवासी अपने आरक्षण के लिए खूब मेहनत किये हैं। तब जाकर ही उनको अपना हक मिल पाया है। नतीजतन एससी और ओबीसी वर्गों की आरक्षण में भी बदलाव किया गया।

आदिवासी समाज के 32 प्रतिशत आरक्षण की कटौती से नाराज, ‘सर्व आदिवासी समाज’ ने मोर्चा खोल दिया। सर्व आदिवासी समाज द्वारा, अपने 32 प्रतिशत आरक्षण को लेकर, कोरबा के उरगा चौक और जेंजरा चौक (कटघोरा) जैसे विभिन्न स्थानों में चक्काजाम किया गया। इस चक्काजाम को सफल बनाने के लिए, सैकड़ों की संख्या में, आदिवासी समाज खुलकर सामने आये। आदिवासी समाज ने पूर्व में दिए जा रहे 32 प्रतिशत आरक्षण को यथावत रखने की बात कही। पूर्व में दिए जा रहे 32 प्रतिशत आरक्षण को घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया था। जिसके खिलाफ, आदिवासी समाज में काफी रोष था। उन्होंने कहा कि, समाज के लोगों को गरीब और पिछड़ा बनाना चाहते हैं, जो हमे मंजूर नहीं। 42 आदिवासी समाज को मिलाकर, सर्व आदिवासी समाज का गठन किया गया है। जिसमें, गोंड़ समुदाय सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला आदिवासी समाज है। उसके बाद, कंवर समाज जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे स्थान पर आता है।
जब, आदिवासी समाज द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से चक्काजाम किया गया। तो, मार्गों पर वाहनों का आवागमन बाधित हुआ। दोपहिया, चारपहिया से लेकर, सभी प्रकार की गाड़ियों की लंबी कतार बन गयी। चक्काजाम से ट्रक और यात्री बस, धीमी गति से चले। जिससे आम लोगों को बहुत ज्यादा परेशानियों का भी सामना करना पड़ा।
कोरबा जिले के ऐसे गांव, जहां आदिवासी समुदाय निवास करते हैं और उस गांव के शिक्षित लोगों ने, गांव में कई दिनों तक सभा के माध्यम से लोगों को जागरूक किया। और अपने 32 प्रतिशत आरक्षण को वापस लेने की बात कही गयी। इस सभा में, सबसे ज्यादा युवाओं को, भाग लेने को कहा गया था। इसलिए, कुछ-कुछ गांवों में, सिर्फ युवाओं की ही बैठकें की गई। अलग-अलग गांव में, अलग-अलग दिनों के हिसाब से सभा किया गया। सभी गाँवो में, जागरूकता अभियान चलाई गई। सभी के जागरूक होने से ही, आज अपने आरक्षण को आदिवासी बचा पाए हैं। और आदिवासियों के आरक्षण को यथावत किया गया, तब जाकर ही आदिवासियों ने प्रदर्शन पर विराम लगाया।

ग्राम डोंगरी के सरपंच, इंद्रपाल सिंह कहते हैं कि, "मैं गांव के आदिवासी युवाओं को बुलाकर, आरक्षण को लेकर यह बताया कि, हमारी आरक्षण कोटा कम कर दिया गया है और कोरबा जिले के सभी गांवों से, आदिवासी इसका विरोध करने वाले हैं। तो, आप सभी, इस विरोध में शामिल हों और अपने-अपने सहयोग से, दूसरे लोगों को भी लेके जाओ, जो जाने में सक्षम ना हो। जिससे, हमारी सरकार, हमारी बातों को सुन कर निर्णय ले। जो लोग शासकीय सेवक हैं, उन्हें भी खास तौर पर अनुग्रह किया गया था कि, जो गरीब परिवार से हैं, उनके लिए कुछ सहयोग किया जाय। जिससे, इस प्रदर्शन को सफल बनाया जा सके।"
ग्राम पंचायत रतिजा में, सरपंच और सचिव सहित अन्य लोगों द्वारा गांव में आदिवासी समाज के लोगों को रात में बुलाकर, आरक्षण के बारे में बताया गया। और सभी आदिवासी समाजों को, सहयोग करने को कहा गया। इस तरह से, कोरबा जिले के लगभग बहुत सारे गाँवों में, आदिवासी समुदाय को जानकारी प्राप्त हुई। सभी को अपने हक के लिए, लड़ना चाहिए। चाहे कोई भी वर्ग के हों, नहीं तो समाज का नुकसान हो सकता है। इसलिए, समाज में शिक्षा बहुत ही जरूरी है। ताकि, इन सभी चीजों का ज्ञान हो, नहीं तो हमारे अधिकारों को सरकारें आंखे बंद कर के हमसे छीन लेंगी।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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