देश में कोरोना माहामारी स्थिति जैसे-जैसे कोरोना नियंत्रण में आ रही है, लोगों की लापरवाही भी बढ़ती जा रही है। दीपावली के बाज़ार में इसका प्रत्यक्ष उदाहरण देखने को मिला। दिपावली की खरीददारी को लेकर दुकानों में लगी लंबी-लंबी क़तारों ने एक बार फ़िर से कोरोना की चिंता को बढ़ा दिया है।
इस दीपावली के त्योहार में, प्रत्येक हाट बाज़ार में लोगों की भारी भीड़ उमड़ी, एक तो भीड़ ऊपर से बहुत कम ही लोगों ने कोरोना से जुड़ी गाइडलाइन का पालन किया, मास्क पहने गए भी इक्के-दुक्के लोग ही मिलेंगे। लोग इस संक्रमण से बचे रहें, इसीलिए सरकार ने कुछ गाइडलाइन और नियम भी बनाये हैं। लेकिन लोगों ने इन चंद दिनों में गाइडलाइनों की धज़्ज़ियाँ उड़ाकर सभी नियमों का बेझिझक उल्लंघन किया है।
आदिवासी समुदायों में पहले से ही वैक्सीनेशन को लेकर अफवाहें हैं, ऐसे में बहुत कम ही लोग हैं जिन्होंने वेक्सीन की दोनों डोज़ लगवाएं हैं। बिना वैक्सीन लगवाए, नियमों को ताक पर रखकर इस तरह की ठसाठस भीड़ में शामिल होना खतरे को आमंत्रण देना हो सकता है। कोरोना अभी भी पूरी तरह से गई नहीं है, और आशंका यह भी लगाया जा रहा है कि तीसरी लहर भी आ सकती है। लगातार दो साल लॉकडाउन में घर पर रहने के कारण अब लोगों में घर से बाहर निकलने की बेचैनी बढ़ती जा रही है। अब लोगों में कोरोना का डर खत्म होने लगा है, और डर के न होने से लापरवाही भी बढ़ती जा रही है।
बता दें कि त्योहारों से पहले केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को कोरोना को लेकर सतर्कता बरतने के लिए कहा है। केन्द्र सरकार ने कहा कि सभी राज्य यह सुनिश्चित करें कि त्योहार में कोरोना वायरस के केस बढ़ न पाए और कोरोना गाइडलाइन का सही से पालन किया जाए।
अगर हम पिछ्ले वर्ष की बात करें तो कोरोना कारण दीपावली त्योहार पर कोई बाज़ार नहीं लगा था, लेकिन इस वर्ष वैक्सीनेशन होने की वजह से एवं कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण होने के कारण, हमारे छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कोरोना गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए बाज़ार लगाने की छूट दिए गए थे। हक़ीक़त में इन गाइडलाइनस का पालन किया ही नहीं गया
कुछ दुकानदारों से बातचीत करने पर उन्होंने हमें बताया कि, पिछले वर्ष बाज़ार के बंद रहने से उन्हें काफ़ी भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था, अतः इस वर्ष अपनी स्थिति को सुधार मिला, और लोगों ने भी जमकर खरीददारी किए हैं। उन्होंने हमेशा लोगों से कोरोना की गाइडलाइन्स का पालन करने को कहा है, लेकिन बहुत कम ही लोगों ने इसका पालन किया। एक दुकानदार नूतन साहू जी ने हमें बताया कि, "हमने बिना मास्क लगाए दुकान में प्रवेश से मना किया है, लेकिन लोग मानते ही नहीं हैं।"
सरकार और WHO ने शुरू से ही कहा है कि चाहे स्थितियां कितनी भी समान्य हो जाए और भले ही वैक्सीनेशन के दोनों डोज़ लग जाएँ पर हमें सोशल डिस्टेंस का पालन और मास्क ज़रूर लगाना चाहिए। आमतौर पर त्योहारें एक भीड़ को आकर्षित करती हैं, लेकिन जिला प्रशासन को यह सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत व्यवस्था करनी चाहिए की ग्राहक लोग कोविड नॉर्म्स का पूर्ण पालन करें।
आदिवासी क्षेत्रों में अभी तक कोरोना का व्यापक असर देखने को नहीं मिला है, लेकिन यदि दीपावली की तरह बाज़ारों में लोग नियमों की अवहेलना करते रहें तो फ़िर कोरोना के तीसरी लहर की आशंका सच हो जाएगी।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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