छत्तीसगढ़ में सदियों से चलती आ रही धान की बुवाई एवं कटाई से पहले वहां के गाँवों के खेतों में की जाती है रोपा की प्रक्रिया। रोपा की प्रक्रिया धान की बुवाई से पहले की जाती है। छत्तीसगढ़ में साल में दो बार फसल लगाई जाती है, पहली फसल बारिश के मौसम में लगायी जाती है जो खरीफ फसल कही जाती है। दूसरी फसल गर्मी के मौसम में लगायी जाती है जिसे रबी फसल कहते हैं।
रोपा की जो प्रक्रिया है, उसे बारिश आने से पहले शुरू कर दी जाती है। रोपा से भी पहले, खेतों की साफ़ सफाई की जाती हैं, जैसे खेतों में हल चलाकर उसे उपजाऊ बनाते हैं। इसके बाद इस उपजाऊ खेत पर धान का छिड़काव किया जाता है। नदी या कैनाल के अभाव में बोरवेल के पानी से खेतों को पानी दिया जाता है, और उसमे धान का छिड़काव किया जाता है। इस धान को महीने भर या 15 दिनों के लिए ऐसे ही बढ़ने दिया जाता है, जिसके बाद फिर बारिश का मौसम आ जाता है। फिर इस धान को जिस खेत में रोपा करना होता है उसमे ले जा कर लगा दिया जाता है।
छत्तीसगढ़ निवासी चैनसिग दीवान जी की 2 एकड़ ज़मीन है। उन्होंने इस 2 एकड़ ज़मीन पर रोपा की प्रक्रिया की है। वे कहते हैं कि रोपा की विधि से खेती करना उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ है और रोपा की विधि उनके लिए आसान भी है क्योंकि रोपा एक बार कर देने के बाद खेतों में बार बार जाना नहीं पड़ता है। रोपा की प्रक्रिया से उगने वाली फसलों में बीमारी से लड़ने की क्षमता भी ज़्यादा होती है। वे कहते है- "रोंपा विधि को हम पिछले कई सालों से करते आ रहे हैं और इससे हमें अच्छा से अच्छा लाभ होता आ रहा है।"
रोपा की प्रक्रिया से धान की खेती करने के लिए इन बातों का ध्यान रखें :
इस प्रक्रिया से खेती वहां आसानी से हो सकती है जहाँ पानी की अच्छी सुविधा है। रोपा को गाँव के लोगों की सहायता से किया जाता है। रोपा मशीन से भी की जाती है। कुछ इस तरह छत्तीसगढ़ में धान अलग अलग तरीकों से उगाया जाता है।
रोपा की तैयारी
छत्तीसगढ़ के रहने वाले सुखी कमार कहते हैं- "हमारे छत्तीसगढ़ में रोपा विधि कई वर्षों से चलती आ रही है और अब हम भी रोपा विधि को अपना रहे हैं। मेरा मानना है कि रोपा विधि हमारे लिए बहुत ही आसान तरीका है और इससे फायदा भी काफी अच्छा होता है, इसीलिए हम रोपा विधि का उपयोग करते हैं। इसे अधिकतर हम खरीफ फसल में उपयोग में लाते हैं क्योंकि खरीफ फसल में अधिक बारिश होने के कारण रोपा की विधि बहुत ही अच्छे से हो पाती है। मेरा मानना है कि रोपा विधि का उपयोग आप लोग भी करें क्योंकि इसमें बहुत लाभ हैं। यह आसान तरीका है क्योंकि खेतों पर जा जाकर बार-बार उसे देखना नहीं पड़ता है। खेतों में कुछ बीमारी लग जाने के कारण हमें कई प्रकार की पद्धति को अपनाना पड़ता है पर यह रोपन विधि बहुत ही आसान है इसमें बीमारी नहीं होती है और अच्छे से मुनाफा प्राप्त होता है।"
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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