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जीवन के इस सफर में कैसे ALM आत्मनिर्भर बनने में सहायक बना?

Writer: Sadharan BinjhwarSadharan Binjhwar

पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित


बचपन से ही हमें आत्मनिर्भर बनने का ज्ञान दिया जाता है। ताकि बड़े होकर हम अपने पैरों पर खड़े हो सकें, और हम खुद से ही अपनी जरुरतों की पूर्ति हेतु पैसा कमा सकें।

साधारण बिंझवार

नमस्कार! मेरा नाम साधारण है, और मैं बिंझवार समुदाय से सम्बंध रखता हूं। मैं छत्तीसगढ़ राज्य से हूँ। यह वही छत्तीसगढ़ है जो पूरे देश भर में, “धान के कटोरा” के नाम से विख्यात है। इसके अलावा यहाँ आदिवासी भाषा, कला, नृत्य, परम्परा व संस्कृति देखने को मिलती है। जिसका प्रसार पूरे विश्व में फैला है। मैं उसी छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में निवास करता हूँ। मेरा गांव रिंगनियाँ है, और ब्लॉक पोंडी उपरोड़ा है। मेरे पिता जी (ददा) एक किसान हैं, और वे बचपन से खेती का कार्य सँभालते आ रहे हैं, और मेरी मां (दाई) भी एक किसान परिवार से ही आती हैं। मेरे माता-पिता दोनों एक-साथ मिलकर खेती का कार्य करते हैं। मेरे पिता जी पढे-लिखे नहीं हैं, और मेरी माँ को उनके घरवाले पढ़ने के लिए स्कूल तो भेजते थे, लेकिन पेन-कॉपी के लिए पैसे नहीं देते थे। इस कारणवश वे भी नहीं पढ़ पायीं। और अपने संघर्ष को देखते हुए मेरे माता-पिता ने मेरी शिक्षा में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आने दी। मेरी प्रारंभिक शिक्षा, अपने गाँव में ही शुरू हुआ, जहाँ मैंने आंगनबाड़ी से लेकर 8वीं तक की पढ़ाई की। 6वीं से 8 वीं के बीच मुझे बहुत अच्छे शिक्षक मिले, जिनके मार्गदर्शन से मैं बहुत कुछ कर पाया। आगे की पढ़ाई के लिए मुझे दूसरे गाँव के स्कूल में दाखिला लेना पड़ा। जहाँ मैंने 9वीं (2016-17) व 10वीं (2017-18) की पढ़ाई शासकीय हाईस्कूल, मड़ई में किया। जो मेरे घर से 5 km दूर है। वहाँ केवल 10 वीं तक की ही कक्षा होने के कारण 11वीं (2018-19) व 12 वीं (2019-20) की पढ़ाई के लिए मुझे शासकीय हायर सेकण्डरी स्कुल, गुरसियाँ में दाखिला लेना पड़ा, जो मेरे घर से 3.5km की दूरी पर है। 9वीं से 10 वीं व 11वीं से 12 वीं के बीच मुझे अच्छे शिक्षक मिले, जो मेरा उत्साह बढ़ाते थे। और मेरा पढ़ाई में रुचि बढ़ता चला गया।

ट्रेनिंग के दौरान

12 वीं की पढ़ाई समाप्त होने के बाद, स्नातक की पढ़ाई के लिए मुझे बाहर जाना पड़ा और मैंने स्नातक की पढ़ाई के लिए शासकीय मुकुटधर पाण्डेय महाविद्यालय, कटघोरा में दाखिला लिया। जहां से मैंने B.sc Maths (2020-22) की पढ़ाई पूरी की। और अभी वर्तमान (2022) में प्राइवेट कॉलेज जय बूढ़ा देव, कटघोरा में फाइनल ईयर में अध्ययनरत हूँ, साथ ही Brain Tech Computer Academy में DCA का कोर्स भी कर रहा हूँ। और यहां तक कि पढ़ाई में मेरे माता-पिता का बहुत सहयोग मिला, और अभी भी वे अपना सहयोग दे रहे हैं।

मैंने कक्षा 12वीं की पढ़ाई करने तक कोई भी मेहनत का कार्य नहीं किया था। बस छोटे-छोटे सरल कार्यों को ही कर पाता था। 12वीं के बाद, मुझे लगा कि अब मुझे अपने खर्चों के लिए खुद से ही पैसा कमाना चाहिए और मैं उसी दिन से मेहनती कार्य करना शुरू कर दिया। ताकि मेरे माता-पिता को ज्यादा दिक्कत का सामना न करना पड़े।



मेरे जीवन का Turning point तब आया, जब मैं आदिवासी लाइव्स मैटर (ALM) में जुड़ा। मुझे ALM की जानकारी वर्ष 2021 में मेरे गाँव के ही एक मित्र जगमोहन से मिला। फिर हम दोनों एक साथ ALM की प्रशीक्षण हेतु आदिवासी प्रयोग आश्रम, तिल्दा नेवरा, रायपुर पहुँचे। हमारे साथ और भी साथी प्रशिक्षण हेतु वहाँ पहुँचे हुए थे। ALM से जुड़ने के बाद मेरे जीवन में बहुत बदलाव आया, मुझे समाज के बारे में जानने को मिला। साथ ही ALM के माध्यम से अपनी और अपने आस-पास के ग्रामीण आदिवासियों की बातों को लेख व वीडियो के माध्यम से दूसरों तक पहुंचाने का मौका मिला। और इसी से मेरा इनकम आना भी शुरू हुआ, जिससे मेरा आर्टिकल लिखने में रुचि बढ़ा।

मेरे साथी

शुरुआत में Smartphone में आर्टिकल लिखने में कई समस्याएं भी आईं, जिसमें हमारे ट्रेनर ने मेरा और बाकि सभी कन्टेन्ट-क्रियटर्स का बहुत सहायता किया। जिससे हमारे लिखने की शैली में सुधार आया। ALM के माध्यम से मैं कोरबा जिले के बाहर के लोगों से मेरी मित्रता हुयी और साथ ही छत्तीसगढ़ व अन्य राज्यों में बसे आदिवासियों के रहन-सहन, भाषा, संस्कृति के बारे में जानने को मिला। ALM में प्रशीक्षण लेने के बाद ही मैंनें अपने पूर्वजों व उनकी संस्कृति को जानने की पूरी कोशिश किया। जो विलुप्त होने के कगार पर हैं। जिसे हमें निखारने की आवश्यकता है।


आदिवासी लाइव्स मेटर में जुड़ने से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है। और साथ ही इससे मैं आत्मनिर्भर भी बन पाया। यहां से इनकम मिलने से मैं अपने कई जरूरतों को पूरा कर पाया, पढ़ाई के क्षेत्र में भी बहुत सहायता मिला। पढ़ाई में लगने वाले छोटे-बड़े खर्चों को स्वयं पूरा कर पाया।


मुझे गर्व है कि मैं ALM टीम का हिस्सा बना। यह एक परिवार की तरह ही है। जिसका मैं और मेरे साथी इसके सदस्य हैं। ALM में काम करके मुझे अच्छा लग रहा है। इसके माध्यम से हम अपना करियर भी बना सकते हैं, बस हमें जुझारू होने की आवश्कता है। जिससे हम लेखक भी बन सकते हैं और फोटोग्राफर व वीडियो एडीटर भी बन सकते हैं। मैं ALM टीम को मुझे इस मंच में अवसर प्रदान करने हेतु धन्यावाद ज्ञापित करता हूं।


नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।

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