कोरबा जिले के सभी इलाकों में अचानक मौसम खराब हो गई, दिन भर की सर्द हवाओं ने लोगों को कंपाकर रख दिया। गिरते तापमान और ठंड बढ़ने की संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन ने 3 दिनों तक सभी शासकीय, अशासकीय स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया। कड़ाके की ठंड की वजह से कई जगह चौक चौराहों पर लोग आग तापते हुए नज़र आये। मौसम में अचानक बदली से किसानों के सब्जियों की भी काफी हद तक नुकसान होने लगी है। इस सीजन में होने वाले सेमी, मुनगा, सब्जियों के फूल अधिक मात्रा में झड़ रहे हैं।
मध्य जनवरी के आसपास कई दिनों तक तापमान में भारी गिरावट के साथ इस जिले में शीतलहर का अहसास होने लगा, सुबह से लेकर शाम तक काले बादल छाए रहते थे। पूरे दिन भर सूर्य के दर्शन नहीं हुए और तेज ठंडी हवाएं चली जिससे ठिठुरन भरी ठंड से लोग परेशान रहे हैं। पूरा शहर शीत लहर की चपेट में था। लगातार बादल छाए रहने की वजह से लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया था। साथ ही बाड़ी में लगे सब्जियों के फसलों में किट पतंगों का प्रकोप दिखाई देने लगी है। वहीं दूसरी तरफ सेम, टमाटर, बरबट्टी, नीम्बू, मुनगा, में लगे फूल अपने आप बड़े पैमाने पर नीचे गिरने लगे हैं, और इस मौसम से मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव होने लगा है, वैसे भी ठंडी के मौसम में लोगों को सर्दी खाँसी बहुत ज्यादा परेशान करती है। खासकर बच्चों को आसानी से सर्दी पकड़ लेती है। गांव में आधे से ज्यादा बच्चे ऐसे होंगे जिन्हें सर्दी है। इस मौसम में सभी को खान पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि जिसकी पाचन संबंधी समस्या होती है उनको ज्यादा हैवी खाना नही खाना चाहिए उन्हें हल्का भोजन ही करना चाहिए।
कोरबा जिले में पिछले दिनों जो पानी गिरने की संभावना बनी हुई थी, जिसे लेकर धान खरीदी केंद्रों के प्रभारियों को मौसम साफ होने पर बड़ी राहत मिली है, बारिश की संभावना बनती बिगड़ती रही है। धान खरीदी केंद्रों से धान का उठाव नहीं होने से बारिश होने पर भीगने की संभावना बन गयी थी।
जब मैंने ग्राम पंचायत छुरी खुर्द के बाबूलाल महंत से पूछा तो उन्होंने मुझे बताया कि हम लोग मंडी में धान बेचने के लिए बोरी में रख कर आंगन में रखे हुए थे लेकिन ठंड इतनी ज्यादा हुई कि हम लोग उसे बेचने भी नहीं जा सके, बल्कि दिन भर घर में ही आग के पास बैठे रहे क्योंकि ठंड से कुछ करने का मन ही नहीं कर रहा था। पानी नहीं गिरा ये बढ़िया बात है, अगर पानी गिरा रहता तो हमारे धान भी भीग गए होते। जिलाधिकारी ने भी ठंड को देखते हुए स्कूलों की छुट्टी घोषित कर दी जो बच्चों के लिए बहुत अच्छा हुआ नहीं तो बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता जिससे तबियत खराब होता। इस बदली से हमारे घर मे लगे सेम के फूल झड़ने लगे थे, धूप निकलने के बाद थोड़ी अच्छी लगी फिर भी ठंड कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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