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Writer's pictureManrakhan Singh Agariya

जानिए कैसे छत्तीसगढ़ के विद्यार्थी कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में हिस्सा ले रहे हैं

COVID -19 की द्वितीय लहर ने पूरे विश्व में अपना विष भरा जाल फैला रखा है जो अत्यंत गंभीर विषय बना हुआ है l इस पर काबू करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने ऊपर से नीचे के जितने भी शासन - प्रशासन के कर्मचारी हैं सभी को वालंटियर बनाकर कोरोना रूपी शत्रु का विनाश करने के लिए जंग के मैदान में उतार दिया गया है l जिस प्रकार देश के सिपाही हमारे रक्षा के लिए बॉर्डर पर तैनात रहते हैं ठीक उसी प्रकार देश के अंदर भागों में सभी वालंटियर एक सिपाही की तरह कार्य कर रहे हैं। लेकिन इसके बदले में उनको मेहताना उनका सैलरी दिया जा रहा है l

छात्र -छात्राओं द्वारा जन -जागरूकता अभियान

परंतु, जिस तरह आज के युवाओं में समाज सेवा की भावना देखने को मिल रहा है, वह सच में अद्भुत और गौरान्वित करने वाली बात है। वे नि :स्वार्थ भाव से आज अपने देश के सिपाहियों की तरह कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। छत्तीसगढ़ के कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने अपने छात्रों को जागरूकता अभियान के काम के लिए आमंत्रित किया है। इस कार्य के लिए हजारों छात्रों ने पंजीकरण कराया है ताकि वे अपने समुदाय को कोरोना वायरस के प्रति जागरूक कर सकें। वर्तमान समय की कोरोना काल के दौर में वे जन -जागरूकता अभियान के द्वारा लोगों में कोरोना महामारी के बचाव संबंधित समस्त जानकारी ग्रामवासी को दे रहे हैं l आइए आज हम कुछ ऐसे आदिवासी और गैर आदिवासी युवाओं के बारे में जानें जो महामारी से लड़ने में अपने समुदायों की मदद कर रहे हैं।


आप जयपाल सिंह कंवर है जो छत्तीसगढ़ के ग्राम पंचायत पांथा के मूल निवासी हैं l वर्तमान में आप एक विद्यार्थी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। आपकी पढ़ाई स्नातक स्तर की है lआपने अपने ही गांव में कोरोना महामारी की सभी गाइडलाइंस का पालन करते हुए "2 गज दूरी, मास्क है जरूरी" नियम का पालन करते हुए घर- घर जाकर लोगों को कोरोना के बचाव संबंधी उपायों को विस्तार से बताया है। आप सर्वे के माध्यम से किसके - किसके घरों में परिवार वालों को सर्दी ज़ुखाम है उसकी जानकारी प्राप्त कर उनको नजदीकी समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना चेकअप कराने की सलाह दे रहे हैं l इनके द्वारा लगभग अभी तक 200 से 400 परिवारों को इस कोरोना महामारी में जन जागरूकता अभियान के तहत जानकारी प्रदान किया है l






आप कन्हैया लाल मार्को है जो दीवाल लेखन के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं l ये अपने ही गांव में हर घर की दीवारों पर कोरोना से जुड़े जन जागरूकता संबंधी नारों का दीवाल लेखन कर रहे हैं l जिसे पढ़कर लोगों में कोरोना से बचने और बचाने का जानकारी प्राप्त हो पा रहा है l जैसे :- कि "दो गज दूरी मास्क है जरूरी' ,

"सुन ओ मनटोरा के दाई , कोरोना टीका लगवाए म हावय भलाई l"






इनसे मिले, चंद्रेश अग्रवाल जी जो ई. व्ही. पी. जी.महाविद्यालय कोरबा में एम ए अर्थशास्त्र अंतिम सेमेस्टर में पढ़ाई कर रहे है और नगर पालिका कटघोरा में रहते है । वे कोरोना जन जागरुकता अभियान के तहत शानदार कार्य कर रहे हैं l कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए घर से निकल कर ग्रामीण मोहल्ले के लोगों को वेक्सीनेशन , और कोरोना से बचने के उपाय बता रहे है l अभी तक इन्होंने लगभग 100 से 200 परिवारों से मिलकर कोरोना टीकाकरण के लिए उनको सामुदायिक केन्द्र तक ले जाने में भी अहम भूमिका अदा किए है l जब हमने इनसे पूछा की ईस कार्य को करने से उन पर किया प्रभाव पड़ रहा है तो उन्होने बहुत सुंदर जवाब दिया की, "मैं मनुष्य होने के नाते मानवता धर्म का पालन करते हुए नि:स्वार्थ भाव से सेवा दे रहा हूँ जिससे मुझे बहुत खुशी मिलता है क्योकि वर्तमान समय की कोरोना महामारी के संकट दौर में गरीब परिवारों का सेवा करने का मौका मिला है l इसके लिये हम सभी को सामने आना चाहिए l "




महाविद्यालय के शिक्षकों द्वारा वेबिनार लेते हुए l


विद्यालय - महाविद्यालयों के शिक्षकों द्वारा भी ऑनलाइन वेबीनार (Webinar) के माध्यम से छात्र-छात्राओं स्वयं सेवकों को जन जागरूकता अभियान में जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं l क्योंकि युवाओं के द्वारा ही हम गांव - गांव तक अपना विचार पहुंचा सकते हैं l वर्तमान समय में मोबाइल की अहम भूमिका है क्योंकि सोशल मीडिया के माध्यम से हम अधिक से अधिक लोगों तक अपना संपर्क स्थापित कर पा रहे हैं l शिक्षकों द्वारा छात्र- छात्राओं के मनोबल को बढ़ाकर उनको समाज सेवा के लिए प्रेरित किया जा रहा है l


इस प्रकार हमने देखा की विद्यालयों और महाविद्यालयों के विद्यार्थियों द्वारा गांव-गांव में कोरोना महामारी की सभी गाइडलाइन का पालन करते हुए नि :स्वार्थ भाव से सेवा कार्य किया जा रहा है। वे अपना बहुमूल्य समय निकालकर लोगों को जागरूक करने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं l

यह लेख Adiwasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है और इसमें Prayog Samaj Sevi Sanstha और Misereor का सहयोग है l

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