यह आदिवासी लाइव्स मैटर प्लेटफार्म मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी साबित हो रहा है, क्योंकि इस संस्था से मुझे बहुत कुछ सीखने व देखने को मिल रहा है। साथ ही मुझे अपने ही समुदाय से अनेक प्रकार के चीज़ों के बारे मे जानने व सीखने का अवसर मिल रहा है जिससे मुझे अब अपने समुदाय से अधिक लगाव होने लगा है।
मुझे इस प्लेटफार्म का सदस्य बनने का एक अच्छा अवसर मिला है, मैं अपने आदिवासी समुदाय के बारे में आर्टिकल्स लिखने का कार्य करता हूँ, जिससे हमारे समुदाय के बारे में बाकी लोगों को भी पढ़कर जानने का मौका मिलेगा जिससे हमारी समुदाय के पारंपरिक संस्कृति व आवाज़ सामने आयेगी। क्योंकि हमारे आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में सोशल मीडिल, पत्रकार व अन्य प्रकार से आदिवासी के बारे पढ़ने व देखने को काफ़ी कम मिलता है, हम लोगों को इस तरह के अवसर व मंच नहीं मिलता है जिससे हम अपनी संस्कृति, वेश-भूषा, कल्चर व अन्य बातचीत को आगे ला सकें, लेकिन अब हमें एक ऐसा मंच व अवसर मिला है जिसके माध्यम से हम आज अपनी परम्परागत आदिवासी समुदाय के बारे में जानकारी दे पा रहे हैं, और जागरूक कर रहे हैं। इस प्लेटफार्म के माध्यम से हम अपने समुदाय के रीति-रिवाज, पारंपरिक कल्चर, ऐतिहासिक कहानी व अन्य समस्या को आगे ले जाने का काम करते हैं।
आज वर्तमान में आदिवासी आवाज के माध्यम से कई आदिवासी समुदाय के युवक युवतियों को क्रिएटर बनकर बेरोजगार से रोजगार की भी सहारा मिल रहा है उनमें से एक मैं भी हूँ, इस प्लेटफार्म के माध्यम से मुझे मेरा पढ़ाई व अन्य समस्याओं को सुधारने में मदद मिल रहा है और नई-नई ज्ञान के बातें भी सीखने को मिल रहा है। मैं इस आदिवासी लाइव्स मैटर से बहुत खुश हूँ व गर्व भी करता हूँ। इस प्लेटफार्म के आदिवासी क्रिएटर भाई-बहनों से वार्तालाप व बौद्धिक परिचर्चा करने से बहुत सारे ज्ञान की बातें सीखने व देखने को मिलता है।
इस प्लेटफार्म के जरिए छत्तीसगढ़ के कई ऐसी आदिवासी समुदाय हैं जिनकी जीवन शैली को सामने लाया गया है, यह समुदाय ऐसे गाँवों में रहते हैं जो नक्शा मे भी अंकित नहीं हैं। आदिवासी समुदायों को आगे बढ़ने के लिए ऐसे ही नए सोच विचार-विमर्श के साथ विकास की ओर आगे बढ़ना होगा जिससे आने वाले भविष्य मे किसी भी प्रकार का रूकावट व समस्या न आये।
आदिवासी लाइव्स मैटर प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी आदिवासी आवाज़ शिखर-सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है, जहाँ कई आदिवासी युवा व युवतियों के लिए एक सुनहरा अवसर मंच प्रदान किया जा रहा है। इस आयोजन में सभी आदिवासी समुदाय भाग ले सकते हैं और अपनी कहानियों को लेखन, वीडियो के माध्यम से प्रस्तुत कर सकते हैं। आदिवासियों के विषय में ही आर्टिकल्स लिखना है विषय 1. भाषाओं के माध्यम से आदिवासियों की पहचान। 2. मेरी भाषा, मेरी विश्व दृष्टि। 3. आदिवासी भाषाओं के लिए 21 वीं सदी की चुनौतियां। यह आर्टिकल्स लगभग 1000 - 1500 शब्दों के बीच लिखना है। आदिवासी आवाज़ समिट के ये प्रतियोगितायें आदिवासी युवाओं के लिए सुनहरा अवसर प्रदान कर रही हैं कि वे अपने काबिलियत का प्रदर्शन कर अपनी भाषा एवं संस्कृति की बात को विश्व पटल पर रखें।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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