मनोज कुजूर द्वारा सम्पादित
जैसे की आप सभी जानते हैं कि, गांव के लोग दारू का सेवन अधिक करते हैं। जिससे उनको दारू की लत लग जाती है। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब होने लगती है। आर्थिक स्थिति खराब होने से परिवार के लोग काफी परेशान होते हैं। लगातार दारू का सेवन करने से स्वास्थ्य भी खराब होने लगता है। और इन सब से बचने के लिए दारू को छोड़ना बहुत जरूरी है। लेकिन, नशे की लत इंसान इतनी आसानी से नहीं छोड़ता। इसके लिए हमें औषधि के सहारे की जरूरत पड़ती है। परन्तु, क्या करें? जानकारी के अभाव में लोग यह सारी परेशानियां झेलते हैं। इसलिए, हम आपको ऐसे औषधि के बारे मे बताएंगे जो दारू के नशे से तुरन्त राहत दिलाएगा।
आज हम सिरकी कला के मंगल दास से मिले जो कई औषधियों का ज्ञान रखते हैं। जिनकी उम्र 32 साल के आस-पास होगी। उन्होंने हमें बताया कि, प्रायः गांवों में रहने वाले लोगों में दारू के नशे का प्रचलन ज्यादा होता है। कुछ लोग तो ऐसे हैं, जिनको दारू की लत लग जाने के बाद, वे दारू के बिना रह नहीं सकते हैं। यदि, दारू नहीं पीते हैं, तो उनके हाथ-पैर कांपने लगते हैं। और उनका स्वास्थ्य उतनी भी अच्छा नहीं रहता है कि, कोई भी काम अच्छे से कर सकें। उनके परिवार वाले उन्हें अनेकों बार दारू पीने से मना करते हैं। फिर भी वे उनकी बात नहीं मानते। इससे परिवार वाले काफी परेशान रहते हैं। इस तरह नशे की लत में पड़े इंसान को छुटकारा दिलाने के लिये औषधि की जरूत पड़ती है।
आइए उस आयुर्वेदिक औषधि के बारे और इसका उपयोग के बारे में जाने :-
यह औषधि हमारे गांव के आस-पास आसानी से मिल जाते हैं, जिसका नाम कुम्भी है। इसके पेड की ऊँचाई बीस से चालीस फीट होती है एवम पत्तियां महुआ के पत्ते जैसे दिखाई देते हैं। इसके फल हरे गोल-गोल होते हैं तथा इसके फल पकने के बाद लाल-सफेद मिक्स दोनों ही प्रकार के होते हैं।
सबसे पहले कुम्भी का पहला अंग अर्थात जड़ का ही उपयोग किया जाता है। इसके जड़ को निकालने के लिए रविवार के दिन सुबह का समय उपयुक्त हो सकता है। क्योंकि, प्रायः रविवार का दिन आवकाश का होता है। इसको उपयोग करने की विधि एक टोटके के सामान है। ऐसी मान्यता है कि, शाम होने के पहले एक नारियल और थोड़ा सा चांवल-दाल का इंतजाम कर लेना है तथा इसे साथ लेकर कुम्भी के पेड़ के पास जाना है और चांवल-दाल को उसके ऊपर छींच (छिटक) कर अपने ईष्ट देव को याद कर एक नारियल फोड़ देना है। तत्पश्चात, कुम्भि के जड़ के एक टुकड़े को खोद कर निकाल लेना है। फिर, इसे लोगों की नजरों से बचाते हुए उस जगह पर चुपके से गाड़ देना है, जहाँ दारू बनता है। ऐसी मान्यता है कि, ऐसा करने से उस जगह में बनने वाला दारू पानी की तरह बनेगा। अर्थात, नशे के लिए प्रयोग किए जाने वाली सामग्रियां खराब हो जाती है।
इसी प्रकार एक अन्य विधि भी है, जिसमें वही प्रक्रिया फिर से अपनाना है। तत्पश्चात जड़ को लेकर उसे घर के पूजा वाली जगह में रख देना है। इसके बाद उसे काले धागे से लपेटकर इसे गले में पहन लेना है। ऐसे करने से दारू पीने की आदत धीरे-धीरे छूटने लगती है।
दूसरा तरीका यह भी है कि, इसके सूखे फल को इकट्ठा कर उसको पीसकर पाउडर बना लेना है। फिर उसमें लॉन्ग, कालीमिर्च और सेंधा नमक को एक निश्चित मात्रा में डालकर अच्छे से मिला लेना है। इसके बाद छोटी-छोटी गोली बनाकर एक माह तक उसे खिलाना है, जिसे नशे की आदत हो गई है। इसके साथ-साथ कुम्भी के पेड़ के पके फल उल्टी और दस्त के लिये बहुत ही कारगर दवा के रूप में काम आते हैं।
इसके लिए हमें कुम्भी के फल के जूस की जरूरत होती है। इसके जूस को निकालकर पीने से बहुत जल्द आराम मिलता है। दस्त के लिये इसके पेड़ की छाल और जड़ को तेल में पका कर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह औषधीय टोटके मंगल दास के बताए गए निजी अनुभव के अनुसार लिखा गया है। इसमें किसी भी प्रकार का कोई भी नुकसान नहीं है। इस औषधि के लिये हमें किसी भी प्रकार से पैसों की जरूत नहीं होती। हम खुद अपनी हाथों से औषधि बनाकर इसका उपयोग कर सकते हैं। नशे की लत से परेशान परिवार, इस औषधि का उपयोग कर सकते हैं।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
Comments