मनोज कुजूर द्वारा संपादित
आजकल अक्सर देखा जा रहा है कि, झड़ते बालों और गंजेपन से लोग काफी परेशान हैं। और इसके साथ कभी-कभी सरदर्द, चर्मरोग, खुजली, फोड़े-फुंसी, छोटे-छोटे घाव जैसे तकलीफों को झेल रहे होते हैं। जानकारी के अभाव में लोग कुछ नही कर पाते हैं और इन परेशानियो से छुटकारा पाने के लिए काफी खर्चीले एलोपैथी दवाइयों का उपयोग करते हैं। सभी भाई, बहनों और साथियों को आज मैं एक ऐसे औषधीय तरीके के बारे में बताऊंगा, जिसके द्वारा इन सभी परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है। साथ ही फिजूल के खर्चे को भी कम किया जा सकता है। आइए उस तरीके के बारे में जानते हैं। जिसके द्वारा गांव के लोग अपने आस-पास में मिलने वाली औषधिये पौधे के द्वारा इलाज कर सकते हैं।
सबसे पहले हम उस व्यक्ति के बारे में जानते हैं, जिन्होंने इन औषधियों का उपयोग किया है एवं इसकी पूरी जानकारी भी रखते हैं। इन सज्जन का नाम मंगल दास है, जिनकी उम्र लगभग 32-33 साल के आस-पास है। जिन्होंने हमें बताया कि हमारे गांव के आस-पास कई ऐसे औषधिये पौधे विद्यमान हैं। जिससे इन सारी परेशानियों से छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं। परंतु जानकारी के अभाव में लोग अपना खुद का इलाज नहीं कर पाते हैं। मंगल दास ने गांव कई लोगों को अपने हाथों से औषधि बनाकर दिए हैं। जिससे कई लोग ठीक भी हुए हैं। यह औषधि हमारे गांव के आस-पास आसानी से मिल जाते हैं। इस औषधि पौधे का नाम कथूआ है। इस पौधे को हमारे क्षेत्र में कथूआ के नाम से जाना जाता है। इसे छोटा धतूरा के नाम से भी जाना जाता है। अलग-अलग क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना है। यह पौधा बरसात के दिनों में खुद ही उग जाता है। और हमारे गांव के आस-पास भी उगता है। प्रायः रोड किनारे या कच्ची रास्तो के किनारे हमें ये आसानी से मिल जाते हैं। यह पौधा 2 से 4 फिट लंबा होता है। इसकी पत्ती चौड़ी होती है तथा इसका फल बड़े धतूरा जैसा ही काफी कांटेदार होते हैं, परंतु फल का आकार काफी छोटा होता है। इसके फल जनवरी-फरवरी में लगता तैयार हो जाते हैं।
यदि आपके सर के बाल झड़ रहे हैं या गंजापन से परेसान हैं, तो इसके लिये आपको इसके पत्ते की जरूरत पड़ेगी। इस पौधे के कोमल हिस्से वाले पत्ते को अलग कर लेना है, फिर छोटे-छोटे टुकड़े करके उसे औषिधि पीसने वाली ओखली या पत्थर से अच्छे से पीस लेना है। पीसने के बाद एक कप पानी में 5 से 10 मिनट तक डाल दे, ताकि उसका रस पानी में मिल जाए। उसके बाद इसे अच्छे से छान लेना है। इस रस वाले पानी को रोज रात में सोने से पहले अपने सर में लगाना है, जहाँ गंजापन हो या बाल झड़ रहे हो।
इसे दूसरे तरीके से भी बना सकते हैं। इसके पत्ते के छोटे-छोटे टुकड़े को एक कप सरसो तेल या नारियल के तेल में डालकर एक छोटे बर्तन में 10 से 15 मिनट तक हल्के आंच में उबालना है। ऐसा करने से उस पत्ते के सभी औषधिये गुण तेल में बाहर आ जायेंगे। फिर उसे अपने सर के झड़ते बालो या गंजेपन वाले स्थान पर रोज रात के समय लगाना है। ऐसा 10 से 15 दिनों तक करने से बालों का झड़ना रुक जाएगा और गंजेपन वाले स्थान में नए बाल उग जाएंगे। कई लोग सर दर्द से भी परेशान रहते हैं। वे लोग इसकी पत्ती को अच्छे से पीसकर इसके पेस्ट को अपने सर में लगा सकते हैं, कुछ समय बाद सर दर्द ठीक हो जाएगा।
चर्मरोग के लिए भी ठीक इसी प्रकार पेस्ट बनाकर, इसका लेप लगाया जा सकता है। फोड़े-फुंसी के साथ तेज बुखार के समय इसकी पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से तुरन्त आराम मिलता है। इसके फल को पत्थर से बारीक पीसकर लगाने से चेहरे के कील-मुंहासे तथा झाइयां खत्म हो जाती हैं। इस प्रकार यह कथूआ का पौधा औषिधि के रूप में बहुत ही लाभदायक है। इस औषधि का उपयोग करने से किसी प्रकार का कोई भी नुकसान नहीं है।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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