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Writer's pictureAjay Kanwar

हसदेव नदी के किनारे बसे, झोरा गांव के लोगों से, जानें इस नदी की अहमियत के बारे में।

पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित


दुनिया में कई नदीयां, अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती हैं। ये नदियां, किसी का भी मन मोह लेती हैं। बहुत सारी नदियां, बहुउद्देश्यीय होती हैं, जो कई प्रकार से लोगो को लाभ दिलाती हैं। अगर हम बात करें, हसदेव नदी की, यह भी एक बहुउद्देश्यीय परियोजना है। जो छत्तीसगढ़ के लोगों को, कई तरह से लाभ दिलाती है। हसदेव नदी के साथ हसदेव जंगल भी, बहुत ही ज्यादा घना और पुराने पेंडो से घिरा हुआ है। जो वन्य प्राणियों के रहने की अच्छी जगह है। जिसे कोल-माइंस की एक कंपनी, इस जंगल को उजाड़ कर, कोयला निकालने का प्रयास कर रही है। जिसका वहाँ के आदिवासी घोर विरोध कर रहे हैं। क्योंकि इस जंगल के उजड़ने से कृषि, वन्य-जीवन, स्थानीय-उद्योगों और इसकी सुंदरता पर बहुत ही बुरा असर पड़ेगा।

बांगो बांध का जल भराव

कोरबा जिले में स्थित मिनीमाता बांगो बांध, जो कि जल भराव में छत्तीसगढ़ में दूसरे नम्बर पर है। जो छत्तीसगढ़ के कई जिलों को सिंचित करती है। मिनीमाता बांगो बांध का भराव, कोरिया और सरगुजा जिले में अधिक वर्षा से होती है। अगर, इन जिलों में कभी सूखा हो जाय तो बांगो बांध का पूर्ण भराव नही हो सकता। इन जिलों की नदियों का पानी ही, इस बांध के भराव का एक रास्ता है। और इस बांध पर कोरबा, जांजगीर चांपा और रायगढ़ जिले के किसान आश्रित हैं। लेकिन, इन सबके बीच, इस बांध पर गहरा संकट मंडरा रहा है। क्योंकि कोल-माइंस, इस हसदेव के जंगलों को काटकर, कोयला निकालने की प्रक्रिया चला रही है। और बहुत सारे पेड, काटे भी जा चुके हैं। जिसे वहाँ के आदिवासी बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। जिस जगह, इस खदान से कोयला निकाला जायगा। वहीं से बांगो बांध में, नदियों से पानी आने का रास्ता है। जो इस बांध को भरती है। अगर इस बांध में, पूर्ण भराव नही होगा, तो बहुत सारी समस्याएं आएंगी।

पर्यटकों के लिए बनाया गया गार्डन

बांगो बांध के न भरने से, गर्मी के समय में, कोरबा और जांजगीर चांपा में, धान की रबी फसल पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। क्योंकि, यहाँ इसी बांध के सहारे ही, रबी फसल हो पाता है। जांजगीर चांपा में, सबसे ज्यादा रबी फसल से, धान की खेती की जाती है। कोरबा जिले में, बहुत से पॉवर प्लांट को इसी नदी से ही पानी की आपूर्ति की जाती है। जिससे पूरे देश में, बिजली की सप्लाई की जा रही है। वहीं, बहुत जगह इस बांध के पानी का उपयोग पीने के पानी लिए भी उपयोग किया जाता है। क्योंकि गर्मी में, इस नदी का पानी बहुत ही साफ और ठंडा रहता है। इस हसदेव बांगो बांध से, इस कोरबा जिले में, बहुत ही सुंदरता वाले पर्यटन स्थल हैं। जहाँ प्रति दिन हजारों पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। सतरेंगा, बांगो और बुका, कोरबा के मुख्य पर्यटक स्थल हैं। जहाँ छत्तीसगढ़ शासन, इस जगह को पूरी तरह से विकसित करने का प्रयास कर रही है।

बरसात में हसदेव नदी का दृश्य

अगर यह खदान, हसदेव अरण्य पर खुल जायेगा, तो हर क्षेत्र में नुकसान होगा। खदान के आस-पास के क्षेत्रों में, कोयले की धूल लोगों को परेशान करेगी। और हवा में मिलकर, लोगों के स्वांस में चली जायेगी और लोगों को बिमार करेगी। किसानों को पानी की कमी हो जायेगी और फसल अच्छे से नही हो पायेगी। उद्योगों को पर्याप्त पानी मिलना मुश्किल हो जायेगा साथ ही पर्यटन-स्थलों की सुंदरता खत्म हो जायेगी। हसदेव जंगल के आस-पास के गांव के आदिवासी, इसी जंगल पर ही निर्भर रहते हैं। उनके रोजगार का यह सबसे बड़ा साधन भी है। क्यूंकि तेंदू, चार, महुआ, तेंदूपत्ता आदि के साथ ही इस जंगल में बहुत सारी जड़ी-बूटियां भी मिलती हैं। जो बहुत सारी बीमारियों को ठीक करती हैं। जो खदान खुलने के पश्चात लगभग सब नष्ट हो जाएंगे।

सतरेंगा जल विहार

ग्राम झोरा के कार्तिक राम का कहना है, कि जब यह बांगो बांध नही बना था। तब इस नदी का पानी, बरसात के बाद सूख जाता था। बरसात के रहते तक, इसमें पानी बहुत ज्यादा रहता था। गर्मी के दिनों में, नदी सूख चूका होता था। तब नहाने के लिए पानी बहुत कम मिलता था, वह भी बहुत गर्म होता था और नदी के किनारे सब्जी नही लगा पाते थे। लेकिन, बांगो बांध के बनने के बाद, गर्मी में हमें फसल के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी और नहाने के लिए साफ पानी के साथ ठंडा पानी भी मिल जाता है।

घाट से नदी का दृश्य

इस नदी की सुंदरता को देखते हुए, NTPC लिमिटेड कंपनी ने, झोरा गांव को पर्यटन स्थल बना दिया। जिसके बाद, इसे झोरा घाट के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ, ठंड के समय बहुत संख्या में पर्यटक आते हैं। जिसमें, गांव के लोग, पर्यटक स्थल की साफ-सफाई करते हैं और पर्यटकों से शुल्क लेते हैं। जो गांव के आदिवासी महिलाओं के समूह को रोजगार दिलाता है। और पर्यटक न आने से, इन्हें भी लाभ मिलना बंद हो जायेगा।


नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।


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