मनोज कुजूर द्वारा सम्पादित
जैसे की आप सभी जानते हैं दोस्तों सबके घरों में खाना बनाने के लिये चुल्हे का उपयोग किया जाता है। यहां बात हो रही है, लकड़ी की चूल्हे की। जिसमें लकड़ी से आग जलाते हैं। उस जले हुए आग से बने अपशिष्ट राख बहुत ही उपयोगी है। लोगों को इसकी पूरी जानकारी न होने से इसे अनुपयोगी समझ इसे फेक देते हैं। क्योंकि, उन्हें पता ही नहीं होता है कि, राख कितना उपयोगी है। इस अनुपयोगी राख को हम कई तरीकों से उपयोग कर सकते हैं। यदि, हम इसकी पूरी जानकारी रखें, तो ये हमारे लिये बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है।
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जब हम ग्राम सिरकी कला गये थे, वहां गांव की एक ऐसी महिला से मिले जो, लकड़ी के चूल्हे से बने अनुपयोगी राख का उपयोग विभिन्न कामों में करती है। जिनका नाम बुधवारो बाई है। जिनकी उम्र लगभग 50 साल होगी। उन्होंने हमें बताया कि, इस बेकार लकड़ी के रखा को हमलोग बहुत से कामों में उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जब वो बहुत छोटी थी, तब उनकी माँ चूल्हे में बनी राख से बर्तन साफ किया करती थीं और इन्हें भी राख से बर्तन साफ करना सीखाती थीं। क्योंकि, उस समय बर्तन साफ करने के लिए आज के जैसे टिकिया एवं लिक्विड कुछ भी चीज नहीं था। इसलिए, बर्तन साफ करने के लिये राख का उपयोग अधिक करते थे। जिससे बर्तन जल्दी साफ भी हो जाते थे। लकड़ी के राख में चारकोल के अंश भी होते हैं, जो बर्तन में जमे फफूंद और गंध को भी नष्ट कर देते हैं।
शौच के बाद जब हाथ धोना अनिवार्य होता था तब भी इसी राख से अपनी हाथ की धुलाई करते थे। उस वक्त यह राख हैंडवास तथा सेनेटाइज का काम करता था। इसके साथ ही आज भी यह राख कई चीजों के लिए उपयोगी है। जैसे:- दिमकों से फसलों को नुकसान होने से बचाती हैं। जब हम बाड़ी में खाने वाले उपका, कांदा, गेठोरा, कांदा, शक्कर-कांदा, भांठा(बैंगन), प्याज, हल्दी, मूनगा का पौधे लगाते हैं। तब उसे कभी-कभी दीमक नुकसान पहुंचाता है।
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ऐसे परिस्थिति में यदि इन पौधों की जड़ों के पास ये जली हुई राख डाल देते हैं और उसको रापा या कुदारी की सहायता से अच्छे से मिट्टी में मिला दिया जाता है। तो उस जगह से दीमक हट जाते हैं। जिससे पौधों में दीमक लगना भी बंद हो जाता है। एक तरह से कहा जाए तो यह राख बीएसी पाउडर का काम करता है। साथ ही पौधों के नीचे जमीन में लगे काई को भी खत्म करने का काम करता हैं जिससे एक लाभ यह मिलता है कि वहां की मिट्टी पूरी तरह से भुरभुरी हो जाती है। जिससे कांदा बड़ा-बड़ा होता है साथ ही पौधों में फल-फूल की उपज अधिक होने से लोग बेच कर पैसा कमा सकते हैं।
इसके साथ-साथ राख का उपयोग घर के लिए नींव नक्सा बनाने में उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए सार की लकड़ी का उपयोग कर सफेद वाली राख इक्कठा किया जा सकता है। इससे अच्छे-अच्छे रंग भी तैयार कर मिट्टी के घरों की लिपाई की जा सकती है। यदि आप मिट्टी के घर लिए खपरा (छप्पर) बनाना चाहतें हैं। तब इस राख का उपयोग घर के लिए खपरा बनाते वक्त सांचे में भी कर सकते हैं। यदि आप हल्दी का खेती करते हैं तो इसकी क्वालिटी अच्छी बनाने के लिये इसे उबलते समय राख और खड़ी भूसा का उपयोग कर सकते हैं।
राख बीज को रखता है सुरक्षित:- लगभग सभी आदिवासी-किसान लाल झूँनगा, बतरी झूँनगा, हिरवा, चना, राहर, सेमी, भुट्टा, झिलार जैसे चीजों का खेती करते हैं। अगले साल की खेती के लिए भी बीजों को अलग से संभाल के रखते हैं। इन बीजों को साल भर कीटों से सुरक्षित एवम नष्ट होने से बचाने के लिए नीम की पत्ती और राख मिक्स कर एक डब्बे में रख देते हैं। जिससे यह बीज एक साल से अधिक के लिए सुरक्षित हो जाता है। एक गांव की महिला सरल जीवन यापन करते हुवे राख जैसी अनुपयोगी चीज को एक बेहतरीन उपयोग में ला रही हैं। यह आर्टिकल उन्ही के बताए जीवन शैली के आधार पर लिखा गया है।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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