पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित
जैसा कि आप सभी जानते हैं दोस्तों, कि धान की फसल लगने के पश्चात, उस धान की फसल में छोटे-छोटे कीट लग जाते हैं। और वह कीट, फसल को नुकसान पहुँचाते हैं। जिससे फसल नष्ट होने लगता है। और धान की पैदावार काम होती है, जिससे लोगों को भारी नुकसान होता है। उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगती है। कोई भी किसान भाई नहीं चाहता है, कि उनकी फसल बर्बाद हो, उनको किसी तरह का नुकसान हो। और इन सब से बचने के लिए उनको धान की फसल में कीटनाशक दवाई का छिड़काव करना पड़ता है।
आइए, हम आपको अपने हाथों से कीटनाशक दवाई अपने घर में बनाकर, उसका छिड़काव कैसे करें? उसके बारे में विस्तार से बताएंगे।
आज हम उस व्यक्ति की बात करेंगे, जो अपनी धान की फसल की सुरक्षा, अपने हाथों से कीटनाशक दवाई बनाकर, उसका छिड़काव कर, अपनी फसल को सुरक्षित बचाकर, अच्छी उत्पादन प्राप्त करती हैं। उनका नाम बिंदिया रानी है। उन्होंने, हमें बताया कि कई पत्तियों को मिलाकर, हम एक अच्छी कीटनाशक दवाई बना सकते हैं। उसके लिए हमें बहुत सारी पत्तियों की जरूरत पड़ती है।
जैसे कि नीम का पत्ता, आंख-दूध का पत्ता, कर्मही का पत्ता, माह नीम का पत्ता, बलिया-कोचिया का पत्ता, भांठ का पत्ता, कनेर का पत्ता, अमर लटी और धतूरा का पत्ता। सर्वप्रथम, इन सभी पत्तों को बराबर मात्रा में रख लें और उसे एक बड़े बर्तन में डाल लें, और उसमें 10 से 12 लीटर पानी भर दें। ऐसा करने के बाद उसे अच्छे से ढक्कन में ढक दें। फिर उसे एक चूल्हे में आग जलाकर, उसे अच्छे से दो-ढाई घण्टे उबालें। फिर उसमें डाले गए पानी, आधा या आधा से थोड़ा कम बचे, तो उसे चूल्हे से नीचे उतार लें और जब ठंडा हो जाए, तब उसमें डाली गए सभी पत्तियां बाहर निकाल लें। ऐसा करने से इन सभी पत्तियों में जो कीटनाशक तत्व होते हैं, वो पानी में उबलकर बाहर आ जाते हैं।
सभी पत्तियां बाहर निकालने के बाद, उसे कपड़े में अच्छे से छान लें, और कपड़े में बचे पेस्ट को अच्छे से निचोड़ लें और बाहर कर दें। अब आपका कीटनाशक दवाई तैयार हो चुका है। इसे जैविक कीटनाशक दवाई के नाम से जाना जाता है। फिर इसे किसी अच्छे से डब्बे में सुरक्षित रख दें। और जब छिड़कने का समय आए तो एक लीटर जैविक कीटनाशक में 15 से 20 लीटर पानी मिलाकर, अच्छे से छिड़काव करें। इसे हफ्ते में दो बार छिड़क दें, सभी कीट नष्ट हो जाएंगे। आपकी फसल सुरक्षित हो जाएगी और अच्छा उत्पादन होगा और आपको अधिक लाभ होगा।
आइए जानें, ये सभी पेड़-पौधे किन जगह में मिलते हैं
सर्वप्रथम, नीम का पेड़ आपको आस-पास के जंगलों में आसानी से मिल जाएगा। और आंख-दूध का पौधा सड़क किनारे मिल जाएगा। कर्मही का पौधा पानी वाली जगह या खेतो में धान के फसल के साथ मिल जाते हैं। महा-नीम का पेड़ जंगल में आसानी से मिल जाता है। बलिया-कोचिया का पौधा नमी वाली जगह और जंगलों में मिल जाएगा। भाठ का पौधा खेत के मेड के किनारे में मिल जाएगा। कनेर और अमर लटी का पेड़ जंगलों में मिल जायेगा। और धतूरा का पौधा आपके आस-पास में आसानी से मिल जाएगा।
इस औषधि को बनाने में किसी भी प्रकार का पैसा नहीं लगता, आप अपने आस-पास के क्षेत्र में इन सभी चीज़ों का जुगाड़ कर, आसानी से बना सकते हैं। ये सभी आदिवासी भाइयों के लिए बहुत ही लाभदायक है। अतः सभी आदिवासी भाइयों से मेरा निवेदन है, कि सभी किसान भाई अपनी फसल की सुरक्षा खुद कीटनाशक दवाई बनाकर उपयोग करें। अगर आपको हमारा आर्टिकल अच्छा लगा होगा, तो लाइक और शेयर जरूर करें। धन्यवाद!
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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