पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित
‘बंध जिमी कांदा’ ऐसी कांदा है जो साल भर में एक ही बार उगता है। जुलाई माह में इसका पौधा देखने के लिए मिलता है। बाद में उसका तना नष्ट होकर सुख जाता है। उसके सूखने के बाद, जमीन से बंध जिमी कांदा को कुदारी या राप की सहायता से खोदकर निकाला जाता है। जिमी कांदा व बंध जिमी कांदा को सूखे हुए तना के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। अगर सुखा हुआ तना नहीं मिलता है तो, उसका कांदा मिलना असंभव होता है। यह कांदा कई तरह की बीमारियों के लिए काम आता है और जिमी कांदा देखने में बंध जिमी कांदा जैसे ही दिखता है। लेकिन, इसका उपयोग सब्जी बनाने के लिए होता है। जबकि, बंध जिमी कांदा का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।
औषीधाय बंध जिमी कांदा का उपयोग पथरी बीमारी के इलाज के लिए किया जाता है। जो बारीकोला के जंगल में कहीं-कहीं से प्राप्त होता है, यह हर जगह नहीं मिलता है। साल में यह एक जगह ही होता है। फिर, दूसरे साल स्थान बदल देता है। यह बरसात के समय उगने वाला पौधा है। इसका तना और पत्ता बहुत ही सुंदर हरा-हरा दिखता है और इसका तना लंबा होता है। इस कांदा से पथरी बीमारी का इंलाज सम्भव होता है। यह कोलिया कांदा के नाम से भी जाना जाता है।
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कोलिया कांदा के कंद को काटने पर उसके पत्ती से जो रस निकलता है, उसके शरीर में लगने से शरीर बहुत खुजलाता है। इसलिए, कंद के कच्चा होने पर इसको नहीं खाया जाता है। कंद के सुखने के बाद ही इसको प्रयोग में लाया जाता है। इसे जमीन से खोद के निकालकर, पानी से अच्छी तरह से धोकर पतला-पतला बारीक काटा जाता है। काटने के बाद उसको सुख दिया जाता है, दो-तीन दिन उसको धूप में रखने के बाद उसको पत्थर के सहारे से पीसा जाता है। पीसकर रखने के बाद, उसमें गुड को अच्छी तरह से मिलाया जाता है। फिर, उसको छोटा-छोटा लड्डू के रूप में बनाया जाता है। ताकि, वह खाने के लिए आसान हो।
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ऐसा करने से हमारे शरीर में जो पथरी रहता है वह महीने भर में धीरे-धीरे नष्ट हो जाता है। यह जड़ी-बूटी पथरी को गलाने का काम करता है और वह मल के द्वारा बाहर निकल जाता है और पथरी को पूरी तरह से साफ कर देता है। बंध जिमी कांदा और जिमी कांदा अलग-अलग होते हैं। जिमी कांदा सब्जी बनाने के लिए काम आता है, वह दिखने में अलग प्रकार से दिखता है और इसके संपर्क से भी खुजली होता है। और इसका तना भी सब्जी बनाने के लिए काम में आता है और उसके पत्तों से बड़ी बनाया जाता है। इसको उबालकर, सूखा कर भी रख सकते हैं। ताकि, बाद में भी इसका इस्तेमाल हो सके। वहीँ बंध जिमी कंद को ऐसे उपयोग नहीं कर सकते हैं। इसे केवल दवाई के रूप में ही प्रयोग किया जा सकता है।
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जिमी कांदा बाड़ी में ही प्राप्त किया जाता है और यह कहीं-कहीं पर ही मिलता है। जिमी कांदा के बीज को लगाया जाता है और बंध जिमी कांदा अपने आप ही उगता है, उसको लगाया नहीं जाता। जिमी कांदा दो-तीन साल के बाद बहुत बड़ा हो जाता है। बंध जिमी और जिमी कांदा का आकार बहुत ही अलग अलग होता है, वे एक जैसे और एक समान नहीं होते हैं।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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