पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित
कनेर का पौधा सभी जगहों पर देखने को मिलता है। खासकर तालाबों के किनारे में और ज्यादातर मंदिरों में यह पौधा देखने को मिलता है। कहीं-कहीं जगह खेतों के मेड़ों में भी लगा रहता है। कनेर के फूल कई रंगों में होते हैं। कनेर के फूल से कई रोगों को भी दूर किया जाता है। फरवरी से मार्च महीने में देखा जाए तो इन पौधों पर फुल-फल लग जाते हैं और मार्च महीने तक अच्छे से पकने के बाद सूख जाते हैं। फल के पूरी तरह से सुख जाने पर फलों में दानेदार बीज तैयार हो जाते हैं और डाली से टूट कर नीचे जमीन में गिर जाते हैं। इसका हरट बहुत ठोस होता है, अगर पानी में गिरे तो घुलता-पिघलता नहीं है। जब तक इसके फल को फोड़कर नहीं निकालेंगे, तब तक इसका बीज अंदर में सुरक्षित रहता है।
कनेर के फल के अंदर दानेदार बीज होता है, उस बीज को निकालकर सिलबट्टा में पीसकर औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और छोटे बच्चों में होने वाले रोगों का निवारण किया जाता है। छोटे बच्चों के कान के बगल में होने वाले घाव, जिसको छत्तीसगढ़ी भाषा में कनकनेर कहा जाता है और उसी घाव को कुष्ठ रोग के नाम से भी जाना जाता है। कनेर फल का बीज निकालकर औषधि बनाया जाता है और उस औषधि को कनकनेर घाव में लगाया जाता है। और औषधि को लगाने के बाद वह घाव ठीक हो जाता है। गांव में रहने वाले लोग अपने घरेलू समस्याएं को ठीक करने के लिए कनेर फल का उपयोग करते हैं। गांव घरों में देखा जाए तो, चूहा को गांव के भाषा में मुसवा कहा जाता है और गांव देहातों में चूहों की बहुत ज्यादा संख्या होती है।
खेती-बाड़ी के समय में खेत-खलिहानों में चूहों का बिल मिलता है और जब किसान खेत-खलिहानों से अपने अनाजों को घर लाते हैं तो, घरों में भी चूहे चले आते हैं। और जब घरों में चूहों की ज्यादा जनसंख्या हो जाती है तो घरों के अनाजों को नुकसान होता है और ज्यादातर मिट्टी के बने घरों को नुकसान होता है। ज्यादातर मिट्टी के बने हुए घरों में चूहे आसानी से अपना बिल बना लेते हैं, ऐसे में इन फलों का उपयोग करना चाहिए। कनेर के फलों को तोड़कर चूहों के बिलों में रख देना चाहिए, जिससे चूहे उस बिल को छोड़कर कहीं और जाकर अपना बिल बना लेते हैं। एक बार जिन जगहों में कनेर के फल को रख दिया जाता है, उन जगहों में चूहे दोबारा बिल नहीं बनाते हैं।
बडे-बुजुर्ग लोग कहा करते हैं कि, इन फलों को इंसानों को धोखे से भी नहीं खाना चाहिए। क्योंकि, अगर इन्हें किसी ने खा लिया तो उसके लिए बहुत समस्या उत्पन्न हो सकता है। क्योंकि, इन बीजों में जहर होता है। इसलिए इसके बीज को ध्यान से देखें तो बादाम की तरह कोमल और सुन्दर होता है। देखने से ऐसा लगता है कि, यह बीज खाने के लिए होते हैं। लेकिन, इन बीजों से बहुत ही गूढ़ और लाभदायक औषधियां भी प्राप्त होती हैं।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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