गाँव देहात में पाए जाने वाले ज्यादातर औषधियों को जंगल से ही प्राप्त किया जाता है। विभिन्न जड़ी बूटी के औषिधिए गुणों बारे में गाँव के बड़े बुजुर्गों को अधिक जानकारी होती है। उन्हें बेहतर रूप से पता होता है कि, कौन से पेड़ का छाल, पत्ता या जड़ किस रोग के लिए सही है। गाँव की एक 80 वर्षीय पंडो आदिवासी महिला, श्यामा बाई ने हमें औषधियों के बारे में अनेक जानकारी दी और अपने दिनचर्या के बारे भी बतायी।
उन्होंने हमें बताया की वे अपने घर में अकेली रहती हैं और जंगलों से प्राप्त जड़ी बूटी बेचकर अपना जीवन यापन करती हैं, अब तक वे टीवी, मलेरिया, हैज़ा जैसी अनेक बीमारियों का इलाज कर चुकी हैं। उन्होंने हमें बताया कि पहले जब उनके पिताजी जंगल में औषधि लेने जाते थे तो वह भी अपने पिता जी के साथ जाया करती थी और वहीं से श्यामा बाई जी को भी औषधियों के बारे में जानकारी मिलने लगी। बाद में उन्होंने एक गुरु से अनेक चीजें सीखकर जड़ी बूटी द्वारा बीमारियों को दूर करना ही अपने जीवन का उद्देश्य समझा।
श्यामा बाई जी बताती हैं कि पहले लोग दूर दूर तक उन्हें इलाज करवाने के लिए ले जाते थे, परंतु अभी उम्र हो जाने की वजह से लोग उनके घर तक आते हैं। श्यामा बाई जी जीवन भर जंगलों के किनारे व पेड़ पौधों के बीच ही अपना जीवन बिताई हैं, वे किसी भी रोग की औषधि जंगल से लाकर दे सकती हैं।
उदाहरणस्वरूप उन्होंने हमें बताया कि यदि कोई व्यक्ति नशे का आदि हो चूका है तो उसका आदत छुड़ाने के लिए भी जंगल में औषिधि मिलती है। यदि किसी को कमजोरी की समस्या है तो 'नांगर केना' नामक एक जड़ को औषधि के रूप में इस्तेमाल करने से कमजोरी दूर हो जाती है। गाँवों में महिलाएं अक्सर इस जड़ का उपयोग करती हैं।
उनका कहना है कि पहले लोग अपने बीमारियों का इलाज दवाखाने की गोलियों के बजाय जंगलों की जड़ी बूटियों से करते थे। परंतु अब इसका प्रचलन धीरे धीरे कम हो रहा है। जंगलों में पाए जाने वाले जड़ी बूटियों को औषधि बनाकर हम बड़े से बड़े रोग का भी इलाज कर सकते हैं, बशर्ते हमें सही जानकारी हो। श्यामा बाई जी ने हमें बताया था कि जंगलों के जड़ी बूटी से बने औषधि बहुत लाभदायक होते हैं और इनसे किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता। श्यामा बाई जी ने हमें बहुत सारे जड़ी बूटियों के बारे में जानकारी दिए, उन्होंने हमें तुलसी के भी अनेक फायदे बताएं।
आजकल तो कई सारे आयुर्वेदिक कंपनियाँ भी बाजार में आ गयी हैं, जो जड़ी बूटियों को औषिधि के रूप में बेचती हैं। आयुर्वेदिक दवाई के रूप में जंगली जड़ी बूटी को बेचकर लोग अच्छा खासा पैसा कमा ले रहे हैं। हम सभी को जंगल में पाए जाने वाले इन जड़ी बूटियों के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी जरूर रखनी चाहिए, इससे हम अनेक बीमारियों से अपने शरीर को बचा सकते हैं।
यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अन्तर्गत लिखा गया है जिसमें Prayog Samaj Sevi Sanstha और Misereor का सहयोग है l
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