नितेश कु. महतो द्वारा सम्पादित
इस समय पुरी दुनिया कोरोना माहामारी से लड़ रही है और यह बीमारी पुरी तरह जड़ सहित खत्म नही हुआ है, कहीं ना कहीं इसका असर अभी भी देखने को मिल रहा है। हमारे छत्तीसगढ़ राज्य के चार जिलों में ( कोरबा, ग्वरैला-पेंड्रा-मरवाही,बिलासपुर,कोरिया ), एकता परिषद और Adivasi Lives Matter के द्वारा कोरोना वायरस के टीकाकरण को लेकर जन जागरुकता अभियान चलाया गया।
इस अभियान में मुझे भी शामिल होने का मौका मिला। मुख्य रूप से हम विशेष पिछड़ी अनुसूचित जनजातियों के समुदाय से मिलकर उनसे बातचीत किये। इन चार जिलों में हम अनेक समुदायों से मिले, ये वो आदिवासी समुदाय हैं जिन पर सरकार या किसी सरकारी तंत्र की नज़र तक नहीं पड़ती। जैसे कि - बिहार, पांडो, धनवार आदि समुदाय।
हमने उनसे कोरोना वायरस को लेकर चर्चाएं की तथा अनेक लोगों के साथ वार्तालाप किये। इस दौरान मुझे महसूस हुआ कि इन समुदायों में कोरोना को लेकर उचित जानकारी बहुत कम ही है, इनमें जागरूकता का अभाव दिखा। यही वज़ह है कि इन क्षेत्रों में कोरोना वायरस को लेकर कई सारी भ्रांतियां और अफवाहें फैली हुई हैं। हमारे इस अभियान से इन समुदायों के बीच जागरूकता फैलने लगी।
यह अभियान मेरे लिए भी बहुत उपयोगी साबित हुआ। इन आदिवासी क्षेत्रों की अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य ने मेरा मन मोह लिया। अनजान जगहों पर जाकर अनजान लोगों के साथ घुल मिलकर बातचीत करना, एक तरह से यह सब मेरे लिए बिल्कुल ही नया अनुभव था। इस अभियान के दौरान मैंने इन समुदायों के बीच रात भी बिताया, जिससे काफ़ी करीब से मुझे इन्हें जानने का अवसर मिला। पारंपरिक तरीके से बना खाना, झरिये का पानी, विभिन्न वेशभूषा, साथ ही इन विनम्र आदिवासियों का गर्मजोशी के हमारा स्वागत करना एवं हमारे साथ उनका अपने जैसे व्यवहार से, या यूँ कहें उनके सम्पूर्ण जीवन शैली से मैं बहुत प्रभावित हुआ।
मैंने एकता परिषद तथा आदिवासी आवाज़ की टीम का हिस्सा बनकर भी काफ़ी कुछ सीखा, जैसे - फोटोग्राफी, इंटरव्यू लेना, लैपटॉप तथा प्रोजेक्टर का इस्तेमाल करना इत्यादि। यह अभियान मेरे लिए बहुत ही यादगार रहा। मैंने जीवन की खूबसूरती को बहुत करीबी से देखा और समझा, यहाँ मिली सीख मुझे जीवन भर याद रहेगी।
यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अन्तर्गत लिखा गया है जिसमें Prayog Samaj Sevi Sanstha और Misereor का सहयोग है l
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