कहते हैं कि आदिवासी जंगल के राजा होते हैं उनका गुजारा जंगल से ही चलता है, इसीलिए वह लोग जंगल के किनारे या बीच में बसे होते हैं और उसी जंगल से अपनी जीविका चलाते हैं। कवरेज के दौरान हमने देखा कि पन्ना जिले के गांव कंचनपुरा कुंडन के आदिवासी परिवार खेती-किसानी कर अपनी जीविका तो चला रहे हैं, लेकिन इन लोगों के पास मनोरंजन का कोई जरिया नहीं होता। न ही यहाँ बिजली की व्यवस्था है जिससे टीवी चलाया जा सके। और न ही लोगों के पास इतने पैसे हैं कि वो स्मार्टफोन खरीद सकें। ऐसे में इन परिवारों ने मनोरंजन का नया तरीका ढूंढ निकाला है।
इस गाँव की महिलाएं और पुरुष नाच-गाना कर अपना मनोरंजन करते हैं। भक्ति से भरे गीत गाते हैं, ढोलक-सारंगी बजाते हैं। और सिर्फ़ यही नहीं गानों के ही ज़रिये महिलाओं और पुरुष के बीच सवाल-जवाब का दौर चलता है। जिसमें महिलाएं बाज़ी भी मार लेती हैं, तो चलिए आप हमारे साथ इस मनोरंजन का हिस्सा बनिए।
कंचनपुरा गाँव के पुरूषोत्तम जी बताते हैं "पुरखों से ही मण्डली बनाकर कीर्तन करने की परम्परा चली आ रही है। हाल के वर्षों में महिला मण्डल की भी शुरुआत किया गया है।"
गाँव की ही एक महिला ब्रजरानी जी बताती हैं कि "यह जवाबी कीर्तन जैसा होता है, दिन भर काम करने के बाद शाम को इसके जरिए मनोरंजन हो जाता है।"
नोट:- यह लेख ख़बर लहरिया की अनुमति के साथ पुनर्प्रकाशित किया गया है।
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