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जानिए गर्मियों में किन फलों पर आश्रित रहते हैं छत्तीसगढ़ के आदिवासी?

Writer's picture: Santoshi PandoSantoshi Pando

गर्मी के दिनों में नाना प्रकार कि फल-फुल पाए जाते हैं। इन वनोत्पादों से अनेकों आदिवासियों का जीवन चलता है। स्वयं इन फलों-फूलों को सेवन करने के साथ-साथ वे हाट बाज़ार में इनको बेचकर आमदनी भी प्राप्त करते हैं। वैसे तो जंगलों से बारहों महीने कुछ न कुछ प्राप्त हो ही जाता है, लेकिन गर्मियों के दिनों में सबसे अधिक वनोत्पाद निकलते हैं। जैसे-चार, तेन्दु,भेलवां, करौंदा, कुरुलु, कारी, बरगद, पीपल, छिंद, मांकड़ आदि।

आइए जानते हैं इनमें से कुछ फलों के बारे में -

तेन्दु

तेन्दु

यह जंगलों में पाए जाने वाला बहुत ही स्वादिष्ट फल है, यह गर्मी के दिनों ही फलता है, यह फल साल भर में एक ही बार फलता है। इसके पत्ते द्विबीजपत्री होते हैं जिनका प्रयोग ग्रामीण आदिवासी बीड़ी बनाने में करते हैं। गर्मियों में हाट-बाज़ारों पर केन्दु के फल बहुत तेज़ी से बिकते हैं।

भेलवां के सुखे फल

भेलवां

यह जंगलों में पाए जाने वाला एक मिठा फल है। भेलवां के पके फल को आग में भुन कर भी खाया जाता है। इसके दो भाग होते हैं, बिज के ऊपर लगा हुआ हिस्सा नर्म होता है और इसे बिज से अलग करके खाया जा सकता है। इसे सावधानी पूर्वक खाना चाहिए खाते वक़्त बिज पर दाँत नहीं लगना चाहिए, इसका तेल यदि शरीर के किसी हिस्से पर गिरे तो घाव होने की संभावना रहती है।



मांकड़ तेन्दु

यह पौधा जंगल के नदियों किनारे उगता है। इसके पेड़ और पत्ते आम के पेड़ एवं पत्तियां जैसे होते हैं। इसके कोमल कच्चे फल के दाने को भी पत्थर से घिस कर खाया हैं, मांकड़ तेन्दु के पौधे पर भी साल भर में एक बार फल लगता है, ये अमरूद के फल के बराबर होता है, इस मांकड़ तेन्दु के छिलके मोटे होते हैं।

जब पकता है तो यह पीले रंग का हो जाता है, इसके फल को फुल से लेकर फल बनकर पकने तक साल भर का समय लगता है। खाने में यह फल मीठा और स्वदिष्ट लगता है।

कुरुलु

कुरलु के पेड़ अधिकतर जंगल के पथरीली एवं चट्टानी भागों में पाए जाते हैं, इसका पेड़ चिकने एवं सफेद रंग का होता है। इसके पत्ते चौड़े होते हैं, ये साल भर में एक बार फलता है और ये सिर्फ गर्मी में ही पकता है। कुरुलु फल के ऊपरी छिलके में छोटा-छोटा काँटे होते हैं। पकने के बाद इसका फल खूल जाता है, और इसके दाने नीचे गिर जाते हैं। कुरुलु के दाने को ही खाने में उपयोग होता है, इसके दाने को दाल बनाकर खाया जाता है


चार (चाँहर)

चार के पेड़ जंगल में सभी जगहों पर उगते हैं, चार भी साल भर में एक ही बार फलता है, इसके पेड़ भुरे रंग के दानेदार होते हैं। इसके फल बाटी जैसे छोटे होते हैं, चार के पके फल काले रंग के होते हैं, इसके ऊपरी हिस्से के छिलके को चूस कर खाया जाता है। चार के चिरौंजी को भी खाया जाता है, चार के गुठ्ठु और उसके चिरौंजी बाजार में भी बिकते हैं।

चार (चाँहर)

जंगली फल पोषक तत्वों से भरपूर होने के साथ सेहत के लिए काफ़ी फायदेमंद होते हैं, लेकिन अज्ञानता की वजह इनको आज तक उतना महत्व नहीं मिल पाया है जितना मिलना चाहिए, अगर इन सभी फलों को बाज़ार से जोड़कर देखें तो आदिवासियों की ग़रीबी को दूर किया जा सकता है।


नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।

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