नितेश कु. महतो द्वारा सम्पादित
स्वच्छ भारत का सपना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के द्वारा देखा गया था। स्वच्छता से तात्पर्य है शारीरिक, मानसिक और प्राकृतिक स्वच्छता I इसी उद्देश्य से स्वच्छ भारत मिशन चलाया गया, जो अभी बहुत तेजी से प्रगति कर रहा है।
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गांव के युवा भी अब इस मिशन में अपना योगदान भरपूर देने लगे हैं। अपने आसपास के गड्ढे, गली एवं नालियों को साफ सफाई करने की एक धुन सी चल पड़ी है। अगर इसी तरह हमारी युवा पीढ़ी स्वच्छता की कार्य में तत्पर रहें तो, कुछ समय बाद स्वच्छ भारत मिशन चरम पर होगा। अगर हमें सही अर्थों में अपने गाँव,गली - मोहल्ले तथा अपने देश को सुरक्षित रखना है तो सिर्फ किसी एक व्यक्ति की संकल्प नहीं, एक जन आंदोलन की जरूरत होगी।
पहले गाँव के लोग अपने नित्य कर्म के लिए खुले में, या नदी-तालाब किनारे जाया करते थे, परंतु अब लोगों में जागरूकता बढ़ी है और वे शौचालय का इस्तेमाल करने लगे हैं। केंद्र सरकार द्वारा चलाए गए इस योजना से घर-घर में शौचालय बनाये जा रहे हैं। निर्मल ग्रामों में नाली का व्यवस्था है, ताकि कीचड़ ना रुके और वहां मच्छर ना पनपें और अनेक बीमारियों से बचा जा सके। अगर हमें कुछ बड़ा करना है तो गाँव के हर व्यक्ति की भागीदारी अति आवश्यक है। क्योंकि यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है। अगर अपने गाँव को स्वच्छ करना है, तो गाँव के नव युवकों को इसमें हिस्सा लेना पड़ेगा।
इसी तर्ज़ पर छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के अंतर्गत आने वाले बिंझरा पंचायत के एक ग्राम पंचायत के आह्वान पर पंच से लेकर गाँव के पढ़े-लिखे बेरोजगार युवक भी बरसात के दिनों में नाली सफाई का कार्य में जुड़ गए। उनका कहना है कि – “अभी एक मोहल्ले को साफ किए हैं, अगर पंचायत हमें आदेश दे तो पूरे गाँव को हम साफ कर देंगे ताकि कहीं भी पानी ना रुके। और किसी भी प्रकार की बरसाती बीमारी किसी को ना हो।“
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ग्राम पंचायत बिंझरा के नव युवकों का कहना है कि, वह किसी पैसे के लिए कार्य नहीं कर रहे हैं। वे अपने गांव की स्वच्छता को महत्व देते हैं, ग्राम पंचायत अगर चाहे तो, उन्हें मानदेय दे सकती है। इन युवकों को किसी भी प्रकार की लालच नहीं है। वह तो सिर्फ यह चाहते हैं कि, उनका गांव स्वच्छ - रोगमुक्त हो।
ग्राम पंचायत बिंझरा के भूतपूर्व सरपंच, श्री शंभू शरण, हर सप्ताह अपने हैंडपंप के क्षेत्र को, वहां की नालियों को, खुद साफ करते हैं। उनको देखकर लोग अचंभित भी होते हैं और प्रेरित भी होते हैं। हम सभी को पता है कि स्वच्छता के अनेक फायदे हैं, स्वच्छता रहने पर तन और मन दोनों की बीमारियों से बचा जा सकता है। जिस प्रकार दया, प्रेम, क्षमा, आदि मानवीय गुणों के बिना मनुष्य, मनुष्य नहीं, उसी प्रकार स्वच्छता के बिना एक स्वस्थ समाज की कल्पना नहीं की जा सकती।
यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अन्तर्गत लिखा गया है जिसमें Prayog Samaj Sevi Sanstha और Misereor का सहयोग है l
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