सरकारों द्वारा विकास के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन हक़ीक़त कुछ और ही होती है। छत्तीसगढ़ एक ग्रामीण एवं आदिवासी बहुल राज्य है। यहाँ के ज्यादातर आदिवासी गाँवों में रहते हैं। शहरों की चमक दमक से गाँवों की समस्याएं छिप जाती है, ऐसा ही पहाड़ियों के बीच स्थित ग्राम परेवा है जहाँ आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सड़क, बिजली इत्यादि मूलभूत सुविधाओं से वहाँ के निवासी अंजान हैं। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिला में पहाड़ियों से घिरा प्राकृतिक वादियों के मध्य यह गॉंव है। इस गाँव में 18 परिवार हैं जो जंगलों के मध्य खेती किसानी कर अपना जीवन यापन करते हैं।
ग्राम परेवा के 65 वर्षीय बुजुर्ग श्री अन्ता राम बोगा से यह जानकारी मिली कि उनके पिता श्री स्व. मानुराम बोगा जी की दो पीढ़ी उसी स्थान पर अभी भी निवासरत है। वे बताते हैं कि, पहाड़ियों के बीच स्थित होने से इस गाँव में आज भी आवागमन हेतु बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पगडंडी रास्ते से होते हुए पहाड़ियों और नदियों को पार करके आवाजाही किया जाता है। बरसात के दिनों में कई दिनों तक आसपास तथा विकासखंड का संपर्क टूट जाता है और लोग गाँव तक ही सीमित रह जाते हैं ।
यहाँ आज भी शिक्षा का अभाव है, स्कूल के न होने से लोग शिक्षा से अंजान हैं। जिन हाथों में पढ़ने के लिए कॉपी-किताब होना चाहिए था, वे बच्चे हाथ में गुलेल लिए घूमते फिरते रहते हैं। यहाँ के बच्चों को उचित शिक्षा न मिलने से सिर्फ बच्चों का ही नहीं बल्कि पूरे गाँव/शहर का भविष्य अंधकार में जा रहा है। स्वास्थ्य सुविधाएं भी बिल्कुल नहीं है, आपातकालीन स्थिति में किसी रोगी को अस्पताल ले जाना किसी चुनौती से कम नहीं होती क्योंकि यहाँ चार पहिया वाहन का पहुंच पाना असंभव है।
ग्राम परेवा में बिजली नहीं पहुंच पाई है, लोग आज भी चिमनी (लालटेन) के उजाले से रात काटने पर मजबूर हैं। एक बुजुर्ग ने बताया कि पीने लायक पानी की भी कोई सुविधा नहीं है, लेकिन यह तो अच्छा है कि यहाँ के झारिये/झरना का पानी स्वच्छ है। परंतु सब जगह ऐसे नहीं होते इसीलिए कई लोग गंदा पानी पीकर बीमार हो रहे हैं। ग्राम पंचायत मड़ियानवाडवी क्षेत्र के सरपंच श्री कुंदन लाल धुर्वे, बताते हैं कि उनके द्वारा उस क्षेत्र के विकास के लिए अथक प्रयास किया जा रहा है और विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री तक वहां की मूलभूत सुविधाओं हेतु ज्ञापन देकर मांग किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ का गठन हुए 21 साल हो गया, परंतु इस गाँव के लोग आज भी अपने मूलभूत सुविधाओं जैसे शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली का आस लगाए बैठे हैं।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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