पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित
आप सभी जान रहे होंगे कि, आज भी आदिवासी लोग जंगलों में निवास करते हैं। और जंगलों पर ही निर्भर रहते हैं। जंगलों के बिना, आदिवासीयों के अस्तित्व की कल्पना करना असंभव है। जैसे जंगल से लकड़ी लाना और लाकर उसे बेचना, उसी से अधिकतर आदिवासियों का जीवन-यापन होता है। आज भी आदिवासी जंगलों में छोटे-छोटे घर बनाकर रहते हैं। आज भी उन आदिवासियों को, शासन की सुविधा नहीं मिल पाई है। इस कारण आदिवासी, जंगलों से ही अपने जीवन की अवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
आइए जानें शासन की, कौन सी सुविधा आज भी यहाँ के आदिवासियों तक नहीं पहुंच पाया है
ग्राम लाफा से 3 किलोमीटर की दूरी में, मोहल्ला औराभाढा स्थित है। ग्राम लाफा और औराभाढा के बीच में एक छोटा सा जंगल पड़ता है। वहां कुछ आदिवासी निवास करते हैं। इनमें से एक आदिवासी हैं संजय सिंह, जिनकी उम्र 28 वर्ष है। उनका कहना है कि, यहां बिजली-पानी और सड़क की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है। वैसे तो यहां मात्र 5-6 घर है। यहां के आदिवासी जंगल में अंधेरे में ही रहते हैं और पानी नदी से लाते हैं, खासकर गर्मी के दिनों में। क्योंकि, जंगल में रहने वाले आदिवासी, पानी पीने के लिए छोटे-छोटे गड्ढा बनाकर, उसमें से पानी पीने के लिए लाते हैं। और बिजली की व्यवस्था न होने के कारण, अंधेरा होने से पहले खाना बनाकर, खाकर सो जाते हैं। क्योंकि, अंधेरा होने के बाद, यहाँ के लोग घर से बाहर नही निकलते हैं। चूँकि, इनके पास कुछ और साधन भी नहीं है। जिनके सहारे, यह लाइट जला सकें और रात में कहीं आ-जा सकें।
आमतौर पर देखा जाये तो, आदिवासियों के घर, जंगल और पहाड़ी इलाकों में होने के कारण, शासन की सुविधा उन तक नहीं पहुंच पाती। जिससे, आदिवासी समुदाय, शासन की सुविधा का लाभ नहीं उठा पाते हैं। इसका नुकसान सबसे अधिक बच्चों को उठाना पड़ता है। क्योंकि, जंगली इलाकों में घर होने के कारण, बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं और आदिवासी बच्चे पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं। फिर भी, शासन को आदिवासियों की समस्याओं का निवारण करना चाहिए। चूँकि, यहाँ के आदिवासियों के पास, खेती करने के लिए खेतों की व्यवस्था नहीं है।
यदि, शासन इस इलाके के आदिवासियों की समस्याओं का समाधान करे, तो इन आदिवासियों को ऐसी कोई समस्या नहीं होगी और इनके बच्चों को भी अच्छे स्कूलों की सुविधा मिल पाएगी। जिससे, आदिवासी बच्चे अच्छे से पढ़ाई कर सकेंगे और अपना भविष्य बना सकेंगे।
इस क्षेत्र के आदिवासियों का कहना है कि, यदि हैंड-पंप या बोर-वेल की सुविधा मिल जाती, तो यहां पानी की समस्या भी नहीं होती और ना ही लोगों को कष्ट उठाकर नदी से पानी लाना पड़ता। और यहां बिजली या सौर-प्लेट की सुविधा मिल जाती, तो यहां के आदिवासी और राहगीरों को आने-जाने में कोई तकलीफ नहीं होती। यहां जंगली जानवर भी आते-जाते रहते हैं। यहाँ बिजली की व्यवस्था हो जाती, तो लोगों को जंगली जानवरों से कोई खतरा नहीं होता।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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