वर्तमान समय में चल रही इस महामारी के दौर में एक ओर आदिवासी ग़रीबी और लाचारी से झुलस रहे हैं वहीं दूसरी ओर जीवन दांव पर लगी हुई है। वनांचल क्षेत्रों में निवास करने वाले आदिवासियों के बीच शिक्षा की कमी है परंतु सोचने समझने की शक्ति और सूझ-बूझ अधिक रहता है, यही कारण है कि 18 नवंबर से छत्तीसगढ़ में चल रही विशेष कोरोना टीकाकरण महा अभियान में आदिवासियों का विशेष रुझान देखने को मिल रहा है। इस कोरोना काल में लोगों को कैसे रहना? कैसे खाना? और लोगों से बातचीत करना सिखा दिया, समय का सही सदुपयोग करना भी इसी ने सिखा दिया है।
इसी का साक्षात उदाहरण हमें आदिवासी समुदायों के लोगों में दिखा है, जो रोजाना अपने पेट के लिए काम करने निकल पड़ते हैं और शाम को भोजन करते हैं, परंतु जिन्होंने अपने पेट की चिंता न रखते हुए इस कोरोना महामारी में टीका लगवाना महत्वपूर्ण समझा और अपने क्षेत्र में निवास करने वाले सभी आदिवासियों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित किया l
हम ऐसे परिवार से मिलें जिन्होंने अपने परिवार में संपूर्ण टीकाकरण तो कराया ही, साथ ही साथ अपने समुदाय में अपने क्षेत्र के सभी लोगों को टीका लगवाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई है। ये आदिवासी कोरबा वनांचल के पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक में ग्राम पंचायत बांगो के निवासी हैं, जो विशेष आदिवासी समुदायों में अगरिया जनजाति से हैं, जिन्होंने स्वयं और अपने परिवार की चिंता करते हुए अपने सभी अगरिया समुदाय के लोगों को ले जाकर टीकाकरण केंद्र द्वारा और बाकियों को गाँव में लगे शिविर में टीकाकरण कराया और एक साथ अपने परिवार को टीका लगवा कर फोटोग्राफी भी कराया, जिसे देखकर शिविर में आए नर्स और डॉक्टर भी आश्चर्यचकित रह गए। क्योंकि जो काम एक प्रशासनिक व्यक्ति नहीं कर पाया वह काम एक मामूली आदिवासी ने कर दिखाया। कोरोना टीकाकरण महा अभियान में पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक में एक ही दिन में 21000 के लगभग टीका लगवाए गए जो अपने आप में एक रिकॉर्ड बन गया। इस टीकाकरण अभियान में पूरे कोरबा जिला एक नया आयाम दिया है और बढ़ते हुए करोना वायरस को रोकने में अपनी अहम भूमिका निभाई है l
कार्य को प्रगति देने में गाँव के आशा दीदी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, प्राथमिक शाला की शिक्षिका, वार्ड पंच और प्रशिक्षित व्यक्तियों को इस अभियान से जोड़ा गया ताकि अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सका जाए और शत प्रतिशत टीकाकरण हो सके।
हमने अगरिया समुदाय के एक परिचित व्यक्ति से पूछा तो उन्होंने बताया कि "हम गरीब हैं परंतु शासन के हर नियम और उसके कार्यों में अपना भूमिका अदा करेंगे, कोरोना काल की जो विशेष परिस्थिति हमने देखा है जिसमें हमको भोजन के लिए बाहर जाना मुश्किल होता था उस परिस्थिति में भी शासन के द्वारा पंचायत के तरफ से हमें मुफ़्त राशन दिया गया साथ ही साथ विभिन्न समाजसेवी संगठनों के द्वारा भी हमारा सहयोग किया गया इसके लिए मैं प्रशासन और समाजसेवी संगठनों का बहुत-बहुत धन्यवाद व्यक्त करता हूँ जो इस कठिन परिस्थिति में हमारा सहयोगी बनें।"
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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