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गोबर गैस के उपयोग से बदल सकती है किसानों की ज़िन्दगी

नितेश कु. महतो द्वारा सम्पादित


हाल ही में, छत्तीसगढ़ सरकार गोबर से बिजली बनाने की संभावनाओं को तलाशने में लग गयी है। अगर ऐसा होता है तो यह उन गाँवों के लिए फायदेमंद हो सकता है, जहां आज भी बिजली नहीं है। वैसे तो छत्तीसगढ़ के गाँवों में, गोबर का काफी इस्तेमाल किया जाता है चाहे वो खेतों में खाद के रूप में हो या रसोई में चूल्हा जलाने के रूप में।


पिछले कुछ सालों में गोबर का सबसे ज्यादा इस्तेमाल गोबर गैस बनाने में हो रहा है। इससे गाँव के लोगों को काफी लाभ मिला है। आज हम जानेंगे की गोबर गैस कैसे बनता है।

गोबर को पानी मिलाकर घोला जा रहा है

सबसे पहले घर पर गोबर गैस का प्लांट बनाना पड़ता है। गोबर गैस प्लांट एक ऐसा प्लांट है जिसके माध्य्म से हमें भोजन पकाने के लिए ईंधन, खेतों के लिए जैविक खाद, एवं घरों के लिए प्रकाश ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। यह ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बहुत उपयुक्त है, इससे हमें और हमारे पर्यावरण को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता। यह हमारे लिए अत्यंत ही लाभदायक है।

पंचायत छुरी खुर्द, ग्राम - झोरा निवासी, 65 वर्षीय लीलम्बर सिंह कंवर से हमारी मुलाक़ात हुई। उन्होंने हमें बताया कि एक बायो गैस प्लांट के संचालन के लिए घर में 4 से 5 या उससे अधिक पशु का होना ज़रूरी है ताकि पर्याप्त गोबर मिल सके।

पानी में घुला हुआ गोबर

गोबर से बायो गैस बनने की पूरी प्रक्रिया के बारे में पूछने पर उन्होंने हमें बताया कि, "गोबर डालने से पहले गोबर टैंक का प्रवेश पाइप बन्द करना पड़ता है। फिर गोबर को टैंक में डाल कर आवश्यकतानुसार पानी डालकर टैंक में उपस्थित गोबर को 2-3 मिनट घोलना पड़ता है। तीन-चार घंटे बाद टैंक के प्रवेश पाइप को खोलकर गोबर को अंदर प्रवेश कराना पड़ता है, 24 घंटे पश्चात मीथेन गैस का बनना शुरू हो जाता है।

गोबर गैस से जलता चूल्हा

इस गैस को पाइप के माध्यम से चूल्हे तक लाया जा सकता है फिर गैस जलाकर भोजन बनाने में उपयोग किया जाता है। टैंक से बाहर निकलने वाली भुरभुरा गोबर अवशेष को हम उर्वरक खाद के रूप में उपयोग कर सकते हैं। यह खाद मिट्टी की उपज क्षमता को बढ़ा देती है। पूरी तरह से प्राकृतिक होने की वजह से, इस खाद से पर्यावरण को भी किसी तरह का नुकसान नहीं होता है।


बायो गैस संयंत्र से लाभ

बायो गैस (गोबर गैस) पर्यावरण के अनुकूल है एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बहुत उपयोगी है। बायोगैस उपलब्ध होने पर खाना पकाने में लगने वाली लकड़ी के उपयोग को कम कर सकते हैं, फलस्वरूप पेड़ों को भी बचाया जा सकता है।


गोबर गैस का उपयोग बल्ब जलाने में भी किया जा सकता है, अतः बिजली की भी बचत होगी।


कुछ लोग गोबर को सुखा कर कंडे के रूप में भी इसका उपयोग करते है। कंडों को जलाने के बाद गोबर में, पौधों के लिए मौज़ूद अधिकांश पोषणकारी तत्व नष्ट हो जाते हैं। गोबर के कंडों/उपलों से खाना बनाने की तुलना में कहीं ज्यादा लाभदायक है गोबर गैस से खाना बनाना, न धुएँ की परेशानी, न समय की बर्बादी ऊपर से मुफ़्त का प्राकृतिक खाद भी मिल जाता है।


प्राकृतिक खाद का मुफ़्त में उपलब्ध हो जाने से किसानों को रासायनिक खाद लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जिससे उनके पैसे भी बचेंगे और खेतों की उपजाऊ छमता भी घटने के बजाए बढ़ेगी।


खेतों की उपजाऊ ज़मीन खलिहानों को भरेंगे, और भरे हुए खलिहान किसानों के घरों में खुशियां भरते हैं।


यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अन्तर्गत लिखा गया है जिसमें Prayog Samaj Sevi Sanstha और Misereor का सहयोग है l


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