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Writer's pictureVarsha Pulast

कोरोना की तीसरी लहर को देख गांव के लोगों को मास्क लगाने के लिए चलाया गया जागरूकता अभियान

शिवम जोशी द्वारा संपादित


यह तो आप सभी को मालूम होगा कि काफी समय से कोरोना महामारी चल रही है जिसमे बहुत लोगों की मृत्यु हुई है। यह कोरोना-वायरस लोगों में कई तरह के लक्षण दिखाता है। इस महामारी के बीच सरकार द्वारा लोगों को जागरूक करने का भी अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत लोगों को कोरोना-वायरस से बचने का उपाय बताया जा रहा है। गांव-गांव में भी यही प्रयास किया जा रहा है, जिसमे लोगों को कोरोना वायरस से लड़ने और दूसरो को बचाने की सलाह दी जा रही है। आइए जानते हैं कि गांव में अभी कोरोना-वायरस की तीसरी लहर से बचने के लिए क्या प्रयास किये जा रहे हैं।

गांव में कोरोना के प्रति जागरूकता के लिए समूह बनाये गए हैं। इनमे से एक समूह की सदस्य हैं कौवाताल की निवासी उषा राज। 30 वर्षीय उषा राज का मानना है कि अभी कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो रही है। वह कहती हैं - " इस तीसरी लहर से बचने के लिए हम गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। पौड़ी ब्लॉक में स्थापित सभी गॉवों में पुरुषों का एक संगठन लोगों को समझाने एवं जागरूकता फ़ैलाने जाता है, जिससे कि लोग कोरोना से लड़ सकें और अपनी सुरक्षा कर सकें।" उषा बतातीं हैं कि गांव में वे सभी एक संगठन बना के जाते हैं, जिसमे 10 सदस्य पुरुष होते हैं। इनमे गांव के लोग और अन्य आदिवासी भी शामिल रहते हैं। यह संगठन द्वारा चलाये जा रहे जागरूकता अभियान में लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, दिन में 2-3 बार साबुन से हाथ धोने, किसी से भी मिलते समय कुछ फ़ीट की दूरी पर खड़े रहने और हाथ ना मिलाने की सलाह दी जाती हैं। संगठन द्वारा इन सभी बातों की सलाह दी जाती हैं ताकि गांव के लोगों में कोरोना न फ़ैल सके। लोगों को यह जागरूकता अपने साथियों को भी देने को कहा जाता है ताकि यह महामारी और फ़ैल ना सके।


आइए जाने कि संगठन के द्वारा कहांँ-कहाँ लोगों को जागरुक किया गया है


पुरुषों द्वारा बनाया गया यह संगठन सभी गॉवों में जाकर लोगों को जागरूक कर रहा है। पोंडी ब्लॉक में शामिल 191 ग्रामों में से 7 ग्रामों में संगठन द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा चुका है। अब संगठन के लोगों ने आदिवासियों को जागरूक करने का निर्णय लिया है। चूँकि आदिवासियों के घर एक दूसरे से बहुत दूर स्थापित रहते हैं, इससे वे गांव में होने वाले किसी भी कार्यक्रम या अभियान में शामिल नहीं हो पातें। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गांव की जो बस्ती है, जहाँ सभी कार्यक्रम आयोजित किये जातें हैं, वह इनके निवास क्षेत्र से काफी दूर होती हैं। इस कारण संगठन के लोग स्वयं उनके घर जाकर उन्हें जागरूक करेंगे एवं मास्क वितरण करेंगे ताकि आदिवासी भी सुरक्षित रहें।


आदिवासी कोरोना महामारी से बचने के लिए कर रहें प्रयास


यह तो आप सभी को पता होगा कि गावों में अक्सर आदिवासी ही बसे रहते हैं। जो आदिवासी जंगल में रहते हैं, उनको जागरूक करने के लिए गांव के लोग जंगल के भीतर अक्सर नहीं जा पाते हैं। जंगल बहुत घना होने के कारण ये आदिवासी भी जंगल से बाहर बस्ती में ज़्यादातर नहीं आ पाते हैं। अगर कभी उन्हें बस्ती में आना होता है तो वे रोड के अभाव में पैदल चलकर सभी खतरों का सामना कर के आते हैं। हालाँकि अभी कोरोना महामारी के बीच आदिवासी भी बस्ती में नहीं आ रहे हैं। ऐसे में गांव एवं बस्ती में कोई भी कार्यक्रम में आदिवासी नहीं आ पातें हैं। जंगल में रहने वाले आदिवासी पत्ते का मास्क बनाकर उसका उपयोग करते हैं। कोरोना की तीसरी लहर में भी वे सराई पेड़ के पत्तों से मास्क बनाकर उपयोग करते हैं। उनका मानना है कि जैसे वे पेड़ पौधे लगाते हैं जिससे उन्हें शुद्ध हवा मिले, उसी तरह वे पत्तों का मास्क बनाकर उपयोग करते हैं, जिससे उन्हें कोई नुक्सान नहीं होगा और उनमें ऑक्सीजन की कमी भी नहीं होगी। वे कहते हैं कि अगर पत्ते का मास्क फट गया तो वे तुरंत अपने हाथों से दूसरा मास्क बना सकते हैं। पत्तों का मास्क बनाने में कोई खर्च भी नहीं आता जबकि बाजार में मिलने वाले मास्क की कीमत 10-20 रुपये हैं, इस कारण से भी वे इस मास्क का उपयोग करते हैं। वे कहते हैं कि पत्तों वाली मास्क को बनाने की विधि भी सरल हैं, जबकि बाजार वाली मास्क पहनने से साँस लेने में तकलीफ होती है। यह समस्या पत्तों वाली मास्क में नहीं आती।


'जय बिहान' समूह द्वारा बांटे गए मास्क


'जय बिहान' महिलाओ का एक समूह है, जिसमे 10 महिलाएं शामिल हैं। कोरोना की बढ़त को देखते हुए इन महिलाओं ने अपने घर पर ही कपडे का मास्क बनाया और गांव के घर-घर जा कर परिवार के सभी सदस्यों को मास्क वितरित किया ताकि कोरोना महामारी उनमें ना फ़ैल सके। सभी समूहों के लोग किसी ना किसी तरीके से गांव के लोगों की मदद करने के लिए तत्पर रहें, जो कि बहुत ही सराहनीय कार्य है। महिला समूह ने सभी का सही मार्गदर्शन किया एवं सुझाव दिए। महिला समूह के लोग कहतें हैं कि उनसे जितना हो सकेगा वे उतनी मदद गांव के लोगो और आदिवासियों को प्रदान करेंगे।


समूह के अलावा, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ द्वारा भी लोगों को सुझाव दिए गए एवं उन्हें जागरूक किया गया। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ ने गांव वालों को समझाते हुए कहा- "आप सभी लोग कोरोना महामारी की पहली और दूसरी लहर से भली भांति परिचित हो चुके हैं। लेकिन अब हम सभी को मिलकर कोरोना की तीसरी लहर से लड़ना है।" स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ ने गांव में एक जगह सबको एक जुट करके कोरोना महामारी के प्रति

जागरूकता अभियान चलाया।


कुछ इस तरह गावों में कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए सभी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही हमें स्वयं से जागरूक होना चाहिए, ताकि हम कोरोनावायरस से लड़ सकें। अगर हम थोड़ी सी भी लापरवाही करेंगे तो नुकसान सिर्फ हमारा ही नहीं, बल्कि हमारे साथ-साथ दूसरे लोगों का भी होगा।


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नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।

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