मनोज कुजूर द्वारा सम्पादित
आप सभी जानते हैं कि, हमारे छत्तीसगढ़ में ऐसे कई गांव हैं, जहां आज तक पुल का निर्माण नहीं हो पाए हैं। वैसा ही कोरबा जिले की पाली ब्लाक के अंतर्गत लाफा ग्राम से 3 किलोमीटर दूर औराभाढा जाने वाले रास्ते में एक नाला मिलता है। जिसे गुंजन नदी के नाम से जाना जाता है, इस नाले की वजह से आदिवासी लोगों को बहुत सी समस्याएं होती है। क्योंकि, मैं जिस एरिया के बारे में बात कर रही हूं, उस एरिया में सिर्फ आदिवासी लोग ही बसे हुए हैं। चूँकि, यह एक पहाड़ी क्षेत्र है।
नाला की वजह से आदिवासी बच्चों को पढ़ाई में बहुत ही समस्याएं होती है जब नाले में बाढ़ आती है, तो बच्चे पढ़ाई करने स्कूल भी नहीं जा पाते और ना ही बच्चे स्कूल से वापस घर आ पाते हैं। जब बाढ़ आती है तो आदिवासी लोग अपने बच्चों के लिए राशन का सामान भी नहीं ला पाते। गुंजन नदी की वजह से छोटे बच्चे आंगनबाड़ी भी नहीं जा पाते। जब नाले में बाढ़ आ जाती है एवं बच्चे स्कूल जाते हैं, तो बच्चों के माता-पिता उन बच्चों को नदी को पार कराने उस पार और वापस भी लेन भी जाना होता है। जब बाढ़ की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, तो उन बच्चों को नदी से इस पार से उस पार कराना चुनौती भरा होता है जिस कारण अक्सर बच्चों की पढ़ाई रुक जाती है और अंत में कम उम्र में बच्चों की पढ़ाई रुक जाती है।
हमने औराभाढा के निवासी गुरूचरण जी जिनका उम्र 62 वर्ष है जो एक मजदूर भी हैं। जिनसे हमने नदी-नाला के बारे में चर्चा की, तो उन्होंने ने हमें बताया की गुंजन नदी की वजह से आदिवासी बच्चों को पढ़ाई में बहुत ही समस्याएं होती है।
आदिवासी बच्चे पढ़ाई में इसलिए पीछे होते जा रहे हैं। क्योंकि, आदिवासी बच्चों को समुचित सुविधाएं नहीं मिल पाती है। साथ ही आदिवासी बच्चों को स्कूल जाने में बहुत समस्याएं होती है। जैसे की औराभाढा के आदिवासी बच्चों को पढ़ाई करने के लिए बहुत दूर जंगलों से होकर जाना पड़ता है और बीच रास्ते में नदी को पार करना पड़ता हैं। जिस दिन बाढ़ आ जाता है उस दिन पढ़ाई करने नहीं जा पाते। बहुत दूर जाने की वजह से बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं। आदिवासियों के छोटे बच्चे भी पढ़ाई नहीं कर पाते क्यूंकि ना तो गांव में आंगनबाड़ी है ना तो स्कूल है। कम से कम छोटे बच्चों के लिए मिनी आंगनबाड़ी होना बहुत जरूरी है ताकि छोटे बच्चे गांव में ही अच्छे से पढ़ाई कर सकें। आदिवासी बच्चों का पढ़ाई में मन भी नहीं लगता है। इस वजह से आदिवासी बच्चे छोटी सी उम्र में ही मजदूरी का काम करने लग जाते हैं। आज भी आदिवासी बच्चे बहुत दूर से पढ़ाई करने आते हैं पढ़ाई करने के लिए उन्हें दूसरों के घर में किराए में रहना होता है जिसका खर्च वाहन करना काफी कष्ट दायक होता है। कुछ स्कूलों में हॉस्टल तो हैं पर आदिवासी बच्चे इतने ज्यादा है कि, हॉस्टल फुल हो जाते हैं। जिस वजह से बच्चे दूसरों के घरों मे किराए में रहना पड़ता है। और जिन आदिवासी बच्चों के घर की स्थिति गंभीर होती है। वे स्कूल की चौखट तक कदम भी नहीं रख पाते है। क्योंकि, वे बहुत ज्यादा गरीब होते है। उनके पास ना तो छात्रावास में रहने के लिए कुछ पैसे होते हैं और ना ही किसी के घरों में किराए में रहने के लिए ही पैसे होते हैं। ऐसे बच्चे पढ़ाई से अक्सर महरूम रह जाते हैं। खासकर आदिवासी लड़कियां पढ़ाई नहीं कर पाती, क्योंकि स्कूल बहुत दूर होने के कारण आदिवासी परिवार लड़कियां को बाहर पढ़ाई करने के लिए नहीं जाने देते है।
आइए जाने गुंजन नदी की वजह से आदिवासियों को कौन-कौन से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है
यहां के आदिवासी परिवारों को आने-जाने के लिए बहुत ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है। किसी की तबीयत खराब हो जाने पर अस्पताल जाने के लिए भी इसी मार्ग का प्रयोग करना पड़ता है। यदि किसी की तबीयत हद से ज्यादा बिगड़ जाए तब भी आवागमन का कोई भी साधन उस नदी को पार करके हमारे तक नहीं पहुंच पाती। नदी में पूल के अभाव के कारण कई बार तो ऐसी भी स्थिति आ गई है कि एंबुलेंस तक उस गांव में नहीं पहुंच पाई है, जिसकी वजह से कई लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है। नदी में अधिक बाढ़ होने के कारण समय पर लोग अपने गंतव्य स्थान में निर्धारित समय पर नहीं पहुंच पाते हैं। लोगों की समस्या तो तब और भी बढ़ जाती है, जब दूर सुदूर क्षेत्रों एवं पहाड़ी इलाकों से लोग अपने आमदनी के साधन जुटाने के लिए बाजारों तक नहीं पहुंच पाते। पहाड़ी क्षेत्रों से अधिक से अधिक फसल प्राप्त करने के बाद, जब उन फसलों को बेचने के लिए इस नदी को पार करके जाना होता है तब अपने फसल के साथ-साथ खुद को इस नदी से पर करना एक कठिन चुनौती बन जाती है।
बारिश के मौसम में पहाड़ी क्षेत्रों से आदिवासी महिलाएं भोज्य पदार्थ इकट्ठा कर उन्हें बाजारों में बेचने की कोशिश करती हैं लेकिन कभी-कभी अधिक बारिश के कारण नदी में बाढ़ आ जाने से वे लोग उस बाजार तक नहीं पहुंच पाते जहां उन्हें पहुंचना होता है जिसकी वजह से उन्हें आर्थिक नुकसान तो होता ही है साथ ही इकट्ठा किए गए भोज्य पदार्थों के खराब हो जाने का भी डर रहता है। क्योंकि, ये यह इनके आमदनी का एकमात्र स्रोत होता है जिसे बहुत ही कठिन परिश्रम एवं करने के पश्चात खाद्य पदार्थों का संग्रहण कर पाती हैं। सभी क्षेत्रों में विकास होने के बावजूद हमारे ग्राम पंचायत लाफा में अभी तक ऐसी स्थिति बनी हुई है, जो बहुत ही दयनीय है। सभी क्षेत्रों इतना विकास होने के बाद भी आवागमन के लिए मूलभूत सुविधा हमारे ग्राम पंचायत लाफा से कोसो दूर है। हमरे पंचायत में उन्नति के मार्ग, मार्ग के अभाव में मानो जैसे रुक ही गया हो। जबकि सरकार को सबसे पहले आवागमन के लिए सुविधाओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए। ताकि स्वास्थ्य, स्कूल, व्यापार आदि के विभिन्न समस्याओं को आसानी से दूर किया जा सके। साथ ही लोग सही जगह पर समय से पहले और आसानी से पहुंच सके और अपने नित्य दिन के क्रियाकलाप को आसानी से कर पाए।
अगर इस नदी पर पुल बन जाता है तो सभी लोगों को सभी प्रकार की सुविधाएं आसानी से मिल सकती हैं, लोगों के काम आसानी से संपन्न हो सकते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों को सुविधा आसानी से मिल सकती है। आदिवासी लोगों को अपने आमदनी के स्रोत में वृद्धि करने के लिए किसी भी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस प्रकार से कहा जा सकता है कि, सभी प्रकार के विकास की राह में आगे बढ़ाने के लिए हमारे ग्राम पंचायत लाफा के नदी पर पुल बनना आवश्यक है।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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