पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित
सरसों अक्टूबर माह में उगाया जाता है। सरसों की भाजी बहुत ही अच्छा एवं गुणकारी होता है। इसके सेवन से हमें अनेक प्रकार के लाभ मिलते हैं, साथ ही यह औषधि के रूप में भी काम आता है। सरसों भाजी एक पाचक भाजी के नाम से भी जाना जाता है, यह हमारे शरीर के पाचन क्रिया को ठीक करता है। सरसों भाजी हमारे लिए बहुत ही उपयोगी होता है। यह रक्तचाप (बीपी) को कंट्रोल में रखता है, इसके सेवन से बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं होता है। मगर कुछ राहत जरूर मिलती है। उसी तरह शुगर बिमारी के लिए भी लाभदायक होता है।
सरसों की भाजी एवम उसके बीज बहुत गुणकारी होते हैं। हमारे आदिवासी गोंड जनजाति के लोग सरसों के भाजी को बहुत ही अच्छा मानते हैं और इसकी सब्जी बनाकर बहुत ही चाव के साथ खाते हैं। और इसके बीज को भी कई प्रकार से उपयोग में लाया जाता है। इसके बीज तथा भाजी को औषधि के रूप मे भी प्रयोग किया जाता है। सरसों बीज से तेल भी निकाला जाता है।
सरसों का बीज बोने से पहले, खेत या बारी कोला (बाड़ी) के चारों तरफ फसल को बचाने के लिए अच्छी तरह से लकड़ी या कांटे से रूंध-बांधा जाता है। ताकि, इसके अंदर में बैल-बकरी या कोई अन्य जानवर घुसकर नुकसान न पहुंचा सके। फिर, खेत की जोताई करने के बाद घास-फूस को अच्छी तरह से साफ करते हैं। खेत साफ करने के बाद सरसों के बीजों को बोया जाता है। और दो सप्ताह में पौधे निकल आते हैं। फिर, भाजी को तोड़ कर साफ-सुथरा पानी से अच्छे से धोकर, सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है।
सरसों के पौधों में एक महीने बाद कली खिलना शुरू हो जाता है। इसके फूल पीले रंग के होते हैं। एक माह बाद उसमें बीज आना शुरू हो जाते हैं और महीने भर में बीज तैयार हो जाता है। फिर, इसे हशिया की सहायता से काटकर, धूप में सुखाया जाता है। और सूखने के बाद, सरसों को मीसा या लकड़ी की सहायता से पीटकर, बीज को निकाला जाता है।
सरसों के बीज का उपयोग, अचार बनाने के लिए उपयुक्त होता है एवं इसके बीज को भी बेचा जाता है। इसके बीज से तेल निकालकर, इसे आर्थिक पूंजी के रूप में प्राप्त किया जाता है। इसका तेल, सर्दी-खांसी के लिए दवाई के रूप में उपयोग किया जाता है। हमारे आदिवासी जनजाति के लोग इसके भाजी को बेचते भी हैं। सरसों भाजी को एक बार तोड़ने के बाद, इसमें दो-तीन सप्ताह के बाद फिर कली आना शुरू हो जाता है।
सरसों के तेल से सब्जी बनाया जाता है एवं दवाई के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसका मुल्य अच्छा रहता है। और उचित मूल्य होने पर किसानों को बहुत फायदा मिलता है, जिससे किसान बहुत ही आनंदित रहते हैं। सरसों के तेल को बालों में लगाने से, बाल घने और सुन्दर होते हैं और छोटे बच्चों को मालिश करने से बच्चे स्वास्थ्य रहते हैं।
सर्दी होने पर, सरसों के तेल को गर्म करके, उसमें लहसुन डालकर अच्छी तरह से मिला लेते हैं। फिर, उस तेल को नाक, गला, छाती और पीठ में हल्का-हल्का हाँथ से मालिश करते हैं। ऐसा करने से सर्दी-खांसी ठीक हो जाता है। कान दर्द करने पर भी सरसों का तेल लगाया जाता है।
इसके अतिरिक्त सरसों के भाजी का भी प्रयोग कई तरह से किया जाता है। सरसों भाजी को पानी में अच्छी तरह धोने के बाद, उसे धूप में सुखाकर रख दिया जाता है। ताकि, उसे कभी भी जरूरत पड़ने पर उपयोग में लाया जा सके।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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