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Writer's pictureHimanchal Singh

आवारा पशुओं और जंगली जानवरों से हो रहे आदिवासियों के फसल बर्बाद

पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित


छत्तीसगढ़ में बहुत से ऐसे जिले हैं, जहां पर अच्छी मात्रा में रबी फसल की खेती की जाती है। उन्हीं में से एक कोरबा जिला है, जहां पर कुछ जगहों में रबी फसल की अच्छी खेती की जाती है। इसमें धान, गेहूं, चना, मसूर, अलसी, मटर और उड़द आदि फसलों की पैदावार किया जाता है। ग्रामीणों द्वारा इन सब की खेती करने का मुख्य कारण, यहां की कन्हार उपजाऊ मिट्टी है। यहाँ कुछ ऐसे भी गांव हैं, जहां की मिट्टी लाल और बलुई मिट्टी है। जिस कारण, इन सभी फसलों की खेती नहीं हो पाती है और वे पूरे साल भर में, केवल एक ही फसल (धान) की खेती करते हैं। और जैसे ही धान की फसल को घर में ले आते हैं, उसके बाद गांव के सारे मवेशीयों को खुला छोड़ दिया जाता है।

खुले में छोड़े गए मवेशी

अधिकतर गांवों में, होली त्यौहार होने के बाद ही मवेशीयों को छोड़ा जाता है। लेकिन इस वर्ष, अन्य पड़ोसी गांव, जहां अधिक खेती नहीं हो पाती एवं गांव के ऐसे कुछ लोग जिनके पास कम जमीन होते हैं, वह अपनी खेती करने के पश्चात अपने पशुओं छोड़ दे रहे हैं। जिससे, अधिक मात्रा में खेती किए हुए आदिवासी किसानों को इससे बहुत परेशानी हो रही है। उन्हें दिन और रात 24 घंटे अपने खेतों पर ही रहना पड़ रहा है और बार-बार जाकर पशुओं को खेतों से दूर भगाना पड़ता है। जिससे फसल की निदाई कर रहे किसानों के काम भी प्रभावित हो रहे हैं। विगत आठ फ़रवरी को, कोरबा जिला में आए 22 से 24 हाथियों के झुंड ने भी ग्रामीणों को बहुत प्रभावित किया। इनकी दहशत से, ग्रामीण अपने घर से बाहर अपने खेतों पर जा नहीं पा रहे थे। हाथी, ग्राम रतीजा और रेंकी के जंगलों पर थे। जिससे आसपास के पूरे इलाके पर दहशत का माहौल था। लोग, सोशल मीडिया के द्वारा अपने मित्र-परिजनों और अन्य लोगों को, इस जंगल से लगे रास्तों से न आने कि चेतावनी दिये जा रहे थे। इन हाथियों ने कई लोगों को नुकसान भी पहुंचाया।

हाथी के हमले से घायल ग्रामीण

सोशल मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार फोटो में मौजूद व्यक्ति ग्राम रेंकि का रहने वाला है। जो आए हुए हाथियों को देखने जंगल में गया था। वह हाथियों के फोटो खींचने के अलावा उनके वीडियो भी बना रहा था। तभी परेशान होकर, एक हाथी ने देखने गए ग्रामीणों की तरफ दौड़ लगा दी और यह व्यक्ति गिर गया और हाथी द्वारा उसके हाथ को कुचल दिया गया।

हाथियों का झुंड

हाथियों के दहशत से, किसान अपने खेतों में नहीं जा पाए। जिसके कारण, ग्राम केराकाछार के कुछ आदिवासी ग्रामीण गजेंद्र पाल कंवर, भारत सिंह कंवर, प्यारे बिंझवार, अलकर यादव आदि के लगभग एक एकड़ से अधिक खेतों में, मटर और तिवरा की फसलों को नुकसान पहुंचा। जो दिन भर चौबीसों घंटे अपने फसलों की निगरानी में रहते थे। लेकिन, हाथीयों के आने की वजह से, वे शाम को घर आ गए और रात को हाथियों के डर से अपने खेतों पर नहीं गए। जिससे, जहां हाथी आए थे, वह गांव से लगभग 4 से 5 किलोमीटर की दूरी पर है। जिसके कारण पड़ोसी गांव से और जंगलों से आए जानवरों ने उनके फसलों को बहुत नुकसान पहुंचाया। जब वे सवेरे अपने खेत गए, तो पाया कि उनकी आधी फसल पूरी बर्बाद हो चुकी थी।

धूप में काम करते ग्रामीण

अभी भी बहुत लोगों के खेतो में फसल बाकि है, और तेज़ धूप के कारण उन्हें दोपहर में काम करने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण फसलों को घर लाने के बाद, उन्हें तेज धूप में सुखाते हैं और दोपहर के तेज धूप पर ही, उसे बैलों को दौरी फांध के मिसाई करते हैं। तब जाकर उनकी मेहनत अनाज के रूप रंग लाती है। किसान, फसल को तैयार करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं, और यदि आवारा पशुओं द्वारा उनकी फसल नष्ट होती है। तब उन्हें, नुकसान के साथ ही बहुत पीड़ा भी होती है। इसलिए, लोगों को चाहिए कि वे अपने मवेशियों के चारा का उचित इंतेज़ाम कर के रखें, ताकि मेहनतकश किसानों के फसलों को नुकसान न पहुंचे।


नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।

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