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Writer's pictureChaman Netam

आखिर क्यों किया आदिवासियों ने कलेक्ट्रेट का घेराव?

पंकज बांकिरा द्वारा सम्पादित


छत्तीसगढ़ राज्य का गरियाबंद (गिरिबन्द) जिला, जो कि आदिवासी बहुल जिला की गिनती में आता है। यह जिला, राजधानी रायपुर से पृथक होकर 1 जनवरी सन् 2012 में गठित हुआ था। आज से लगभग दस साल पहले, तब कई समस्याओं से यहां के लोगों को जुझना पड़ता था। तब कहा गया था, जिला बनाने के बाद विकास के अनेक रास्ते खुलेंगे, लोगों को सुविधा उपलब्ध होंगी, युवा-पीढ़ी को रोजगार मिलेगा और ऐसे कई रोजगार मुहैया कराई जाएँगी, साथ ही शासन के द्वारा, अनेक योजनाएं अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचाया जायेगा।


दिनांक 19 फरवरी, 2023 को शाम 5 बजे गरियाबंद थाना के जोबा में एकत्रित होकर, अगले दिन सुबह 8 बजे टैक्टर रैली निकालकर, सुबह 11 बजे गांधी मैदान, गरियाबंद में जनसभा का आयोजन किया गया और दोपहर 2 बजे पैदल यात्रा निकालकर, कलेक्टर आफिस का घेराव करके, ज्ञापन सौंपा गया।

रैली में नारे लगाते हुए जन-प्रतिनिधि

जबकि इस जनसभा में, जिला के कलेक्टर को भी आमंत्रित किया गया था। जहाँ, वह नहीं आये और अपने सहयोगी अधिकारी को भेज कर, समस्याओं को जानने का प्रयास किया। वहाँ उक्त अधिकारी ने कहा कि, जिला अन्तर्गत समस्याओं को, जो जिला प्रशासन कर सकती हैं, वो उन कार्य को करेंगी। और इसके अतिरिक्त अन्य मुद्दों को, सरकार तक पहुँचाने का आश्वासन दिया।

रैली में शामिल हुए हजारों लोग, 100 से भी अधिक टैक्टरों व पिकअप वाहनों से आये हुए थे। जिससे नेशनल हाईवे जाम हो गया था। भीड़ को देखते हुए, अन्य मार्गों का विकल्प उपलब्ध कराने में, जिला प्रशासन लगी हुयी थी, ताकि लोगों को आवागमन की समस्याएं न हो।

नेशनल रोड पर बैठ कर प्रदर्शन करते हुए लोग

इस विराट टैक्टर रैली में जिला के तमाम आदिवासी व मुलवासी जनता सम्मिलित थे। वहाँ मौजूद जन-प्रतिनिधिओं ने चेताया कि, इन मुद्दों को सरकार शीघ्र सुनवाई करे अन्यथा और ऐसे विराट रैली, भविष्य में निकली जाएँगी और कड़ा विरोध किया जायेगा।


विगत वर्षों में, छत्तीसगढ़ में विभिन्न मुद्दों पर आंदोलन हुए हैं। जैसे :- आरक्षण, हसदेव-अरण्य आदि। आदिवासी जिलों व क्षेत्रों की जो समस्याएं हैं, वो जस की तस बनीं रहती हैं। और यही साल-दर-साल चुनावी एजेंडे बनती रहती हैं।


गरियाबंद जिला के आदिवासी, किसानों व मजदूरों के प्रमुख मुद्दे


1. पांचवी अनुसूची, पेशा-कानून और ग्राम-सभा सशक्तिकरण कानून को संपूर्ण रुप से लागु किया जाए एवं जल-जंगल-जमीन, संस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक और संविधानिक अधिकारों को अमल में लाया जावे।


2. पायली खंड, बेहराडीह खदान, पांचवी अनुसूची के अंतर्गत आता है। इसपर स्थानीय आदिवासी व मूलवासी जनता का संपूर्ण अधिकार है। इसलिए ‘अर्जेंट हियरिंग’ याचिका को खारिज किया जावे।


3. लंबित व्यक्तिगत वन-अधिकार पत्रों को त्वरित निराकरण किया जावे और वन-अधिकार पत्र जिसके नाम से हैं, लेकिन नक्शा खसरा, अलग किसानों के नाम से निकलता है। इसलिए, इसको तुरंत सुधारा जावे।


4. उदंती सीता नदी अभ्यारण क्षेत्र के कोर इलाकों में, तेंदूपत्ता एवं अन्य वनोपज संग्रहण कार्य का अधिकार दिया जाए।


5. तेंदूपत्ता तोड़ाई प्रति सैकड़ा, 500 रुपए बढ़ाया जावे। साथ ही वनोपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए।


6. लंबित 170 (ख) प्रकरण को तत्काल कार्यवाही कर अधिकार दिलाएं जाए।


7. मां जतमई गढ़ को, जिसे शासन द्वारा अपने कब्जे में रखा है। उसे तत्काल ग्रामसभा को सौंपा जाए।


8. गरियाबंद जिला में आदिवासीयों के नाम पर फर्जी नौकरी करने वालों पर तत्काल कार्यवाही हो।


9. उदंती, सीता नदी, राजा पडाव क्षेत्रों एवं तमाम आदिवासी क्षेत्रों में विद्युतीकरण की व्यवस्था तुरंत किया जावे।


10. किसानों की 12 महीने कमाने वाली फसलों को, न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारण्टी दिया जाए एवं सरकार और व्यापारी, किसानों की फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी करें। साथ ही किसानों के ऊपर से सरकारी साहूकारों के तमाम कर्ज़ों को माफ किया जाए।


11. जन आंदोलनों के ऊपर पुलिस दमन एवं आदिवासी क्षेत्रों में सीआरपीएफ, बीएसएफ, पुलिस कैंपों को हटाया जाए।


12. निर्दोष जनता के ऊपर, झूठे माओवादी केस लगाकर, धमकी देना और डराना बंद किया जाये। क्यूंकि, जल, जंगल और जमीन के ऊपर, आदिवासी व मूलवासी जनता का संपूर्ण अधिकार है।


गरियाबंद जिला, वनों से आच्छादित होने के कारण, यहाँ अनेक वनोपज संग्रहण कार्य किया जाता है। यहाँ वनांचल ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आजादी के 75 साल बाद भी, बुनीयादी सुविधाएं नहीं मिल रहा है। आदिवासी क्षेत्रों के लिए, हर वर्ष करोड़ों रुपए का बजट, सरकार द्वारा पास किया जाता है। किन्तु, विकास देखने को नहीं मिलता, फिर ये रुपये, आखिर जाते कहाँ है? और कौन इसके जिम्मेदार हैं? इन क्षेत्रों की जनता की समस्याओं का हल, कब और कैसे होगा और कौन करेगा? सड़क-मार्ग, बिजली, शुद्ध-पेयजल, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, सुरक्षा और अन्य जरुरी मुद्दों पर सरकारें कब काम करेंगी?


नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।

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