छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में कोविद 19 के बढ़ते हुए संक्रमण को देखते हुए, हर एक दिन तालाबंदी के कड़े नियम बनाये जा रहे हैं। किसी इलाके को रेड जोन तो किसी और इलाके को कंटेनमेंट जोन पर रखा जा रहा है, जिससे उस जगह को पूरी तरह से सील किया जा रहा है। ऐसे जगहों में लोगों को आने जाने में परेशानियां हो रही हैं। संपूर्ण तालाबंदी की वजह से लोग घर से निकल नहीं पा रहे और लोगों में मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। मध्यम परिवार से लेकर उच्च परिवार तक समस्याएं उतनी नजर नहीं आ रही जितनी एक गरीब परिवार और मजदूरी करने वाले लोगों पर छाई हुई है।
पिछले साल की तुलना में इस साल लॉकडाउन काफी सख्त है। जबकि पहले कम से कम बैंकों और किराने की दुकानों को खुला रखा गया था, इस साल वे आम आदमी के लिए कार्यात्मक नहीं हैं। गांवों में रहने वाले लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार और पंचायत आवश्यक वस्तुओं के साथ उनकी मदद करेंगे।
कोरबा जिला में जब 12 अप्रैल को तालाबंदी करने का ऐलान किया गया था उसके पहले ही दिन शहरी क्षेत्रों में और जितने भी राशन की दुकान हैं, फल के दुकान हैं, सभी जगह पर भीड़ नजर आई। क्योंकि हमारे छत्तीसगढ़ में संपूर्ण तालाबंदी करने का निर्णय लिया गया था। सिर्फ स्वास्थ्य केंद्र, पैथोलॉजी, सोनोग्राफी, दवाखाना जैसे जगह को ही खुला रखने का निर्देश दिया गया है। चूंकि हर दुकान बंद है, इसलिए लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जो लोग दैनिक मजदूर हैं, उन्होंने अपनी आय का स्रोत खो दिया है और जिन लोगों के पास आय है वे किराने का सामान खरीदने में असमर्थ हो गए हैं।
कुमारी पतंग एक दैनिक मजदूर हैं। जब तक वह मजदूरी नहीं करती हैं तब तक उनका घर परिवार नहीं चलता है। लेकिन अचानक से जब संपूर्ण तालाबंदी कर दिया गया तो उन्हें कहीं काम नहीं मिल पा रहा। बड़ा परिवार होने की वजह से उन्हें और ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
गांव की ग्रामीण महिलाओं से चर्चा किया गया जिसमें श्रीमती सविता गोस्वामी और श्रीमती तिलकुंवर द्वारा बताया गया की दवाखाना तो खुल रहा है, लेकिन बैंक बंद है तो पैसे का इंतेज़ाम करना मुश्किल हो गया है। गांव में संपूर्ण तालाबंदी होने की वजह से वे अपने घरों से निकल नहीं पा रहे हैं, और ना ही वे किसी ग्राहक सेवा केंद्र में जा सकते हैं। राशन की सभी दुकाने बंद हैं जिससे रोज का राशन मिलना मुश्किल हो गया है। बैंक खुले हैं लेकिन लेन-देन का काम नहीं हो रहा ह। उनका कहना है कि पिछले साल सन 2020 में जब तालाबंदी किया गया था, तो भले ही कुछ समय के लिए हे सही दुकान और बैंक को खुला रखा गया था, उसी तरह से इस साल भी किया जाना था, जिससे कम परेशानी होती।
श्रीमती गेंद बाई ग्राम पंचायत बिंझरा की एक पटेल समाज से हैं। वे गांव में सब्जियां बेचने का काम करती हैं। उन्होंने बताया कि सुबह 6:00 से लेकर 11:00 बजे तक का समय दिया गया है, इतने में ही अपनी सब्जियों को गांव भर में बेचना होता है। क्योंकि गर्मी का समय है, तो सब्जियां भी बहुत जल्दी खराब हो जाती है, और इतने कम समय में गेंद बाई पूरे गांव में सब्जी नहीं बेच पाती हैं। वे कहती हैं, "सब्जियां बेचकर ही हम अपना जीवन यापन करते हैं, यही हमारे आजीविका का आसार है, लेकिन इस तालाबंदी की वजह से हमारे आर्थिक स्थिति पर बहुत प्रभाव पड़ रहा है, हमारी कमाई उतनी नहीं हो रही है, जिससे हम इस तालाबंदी के दौर में अपने घर को चला सके।"
जनपद पंचायत पोंडी उपरोड़ा की जनपद सदस्य
श्रीमती अनीता यादव जो कि जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा की जनपद सदस्य हैं, ग्राम पंचायत बींझरा की निवासी हैं । उनका कहना है कि उनके द्वारा अपने जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले जितने भी ग्राम पंचायत है, वहां सन 2020 में जब तालाबंदी हुआ था, तब राशन सामग्री वितरण किया गया था, क्योंकि तालाबंदी के दौरान लोगों को गांव से बाहर जाना मना था। उन्होंने कहा कि पिछले साल की तरह ही इस साल भी वे अपने ग्राम पंचायत में खाद्य सामग्री वितरण करने का प्रयास करेंगे। "कुछ दिनों के अंदर हम निर्णय लेकर अपने जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले गांव में मदद पहुंचाने की कोशिश करेंगे।" उन्होंने कहा कि अगर गांव के किसी नागरिक को बहुत ही जरूरी काम रहता है, जिसकी वजह से उन्हें बाहर जाना पड़ता है, तभी वे उन्हें पास बना कर देते हैं, नहीं तो उनको वे स्वयं मना कर देते हैं।तालाबंदी से पहले गांव में रोजगार गारंटी का काम किया जा रहा था, लेकिन इस बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मना कर दिया गया है। उन्होंने कहा, "हमारे द्वारा गांव गांव जाकर मोहल्ले मोहल्ले में राशन सामग्री वितरण किया जाएगा। जैसे चावल, दाल, आलू, प्याज, हाथ धोने के लिए साबुन, इस तरह के सामग्री का वितरण करने का प्रयास किया जाएगा। ताकि इस तालाबंदी में जो गरीब परिवार हैं, जो मध्यम परिवार हैं, उनको थोड़ी राहत मिल सके।"
सन 2020 के मार्च से लेकर अभी तक कुछ ही दिनों के लिए लोगों को इस तालाबंदी से छुटकारा मिला था कि अचानक से फिर हमारे छत्तीसगढ़ में तालाबंदी करने का निर्देश दे दिया गया। छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में अलग-अलग समय पर तालाबंदी किया गया। कोरबा जिला में 12 अप्रैल से लेकर 22 अप्रैल 2021 तक तालाबंदी किया गया था, लेकिन इस बढ़ते हुए संक्रमण को देखते हुए 27 अप्रैल किया गया और अब उसको और आगे बढ़ाकर 5 मई कर दिया गया है। आगे चलके शायद तालाबंदी और अधिक कर दी जाएगी।
नोट: यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, जिसमें ‘प्रयोग समाजसेवी संस्था’ और ‘Misereor’ का सहयोग है।
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