जुलाई 2020 में, छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रामीणों को एक अतिरिक्त आय प्रदान करने के लिए गौठान न्याय जोजना की शुरुवात की। इस योजना के तहत, सरकार लोगों को 2 रुपये प्रति किलो गोबर का भुगतान करती है। गोबर की खरीद, ग्राम पंचायत स्तर पर बनी गौशाला में की जाती है। राज्य के ग्राम पंचायत में लगभग 5000 से अधिक गौशालाओं का निर्माण किया जारहा है।
यह योजना कई गांवों में बहुत फायदेमंद साबित हुई है लेकिन इस में एक समस्या भी है जो है गाँवों और गौशाला के बीच की दूरी। ग्राम पंचायत कापु बहरा में गौठान निर्माण का कार्य प्रगति पर है। लेकिन कापुबहरा गाँव और ग्राम पंचायत द्वारा बनाया जारहा गौशाला के बीच कम से कम 2.5 किलोमीटर की दुरी है। इस दूरी के कारण, हर कोई योजना का उपयोग नहीं कर सकता है। न केवल 5 किलोमीटर तक पैदल चलके आवाजाही करना मुश्किल है, बल्कि पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के साथ, गौशाला में गोबर पहुंचाना बहुत फायदेमंद नहीं होगा।
यह समस्या 25 साल की अंजना राज जैसे विकलांग लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने हमे बताया कि गांव का गौठान उनके घर से बहुत दूर है और वह हाथ से विकलांग हैं जिस कारण उसको गोबर लेजाने में बहुत दिक्कत आती है। वे अपने घर की गोबर को अपने धान के खेत में इस्तेमाल करती हैं जिससे उनकी खेतो में अच्छी फसल हो पाती है।
कापु बहरा में लगभग 250 परिवार रहते हैं। इनमें से अधिकांश परिवार जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। वे मवेशियों को भी पालते हैं। गोबर बेचना परिवार की आमदनी का अच्छा जरिया होता। लेकिन, वर्तमान परिस्थितियों में, यह संभव नहीं हो सकता है।
गोबर बेचने से लाभ: छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना का शुभारंभ किया गया है ताकि किसानों और पशुपालकों को लाभ पहुंचाया जा सके। अगर गांव के सब लोग गोबर बेचते हैं तो उस गोबर को इकट्ठा करके जैविक खाद बनाया जाता है जिसको लोग बेचकर पैसा कमा सकते है। यह लोगों के लिये एक रोजगार का साधन है और लोग इस खाद को खरीद कर अपने खेतों में डालकर भी अच्छा फसल उत्पादन कर सकते हैं । यदि लोग ऐसा करते हैं तो उनको पैसा और अच्छा फसल दोनों प्राप्त हो सकते हैं।
छत्तीसगढ़ गोधन न्याय योजना (वर्मी कंपोस्ट) का क्या भूमिका है: पिछले 4-5 सालो में, छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने नरवा, गरुआ, घुरुआ, बारी योजना के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। गाँवों में पशुओं के संरक्षण और पोषण के लिए गौशालाएँ बनाई जा रही हैं। आज तक, राज्य सरकार ने 10,000 से ज्यादा गांवों में गौशालाओं का निर्माण किया है, और अगले 2 से 3 महीनों में, लगभग 15 से 20 हजार गाँवों को आजीविका केंद्रों के रूप में गौधन सुविधाओं से अवगत किया जाएगा। यहां महिला स्व-सहायता समूहों (SHGs) की मदद से एक बड़ी योजना पर वर्मी कंपोस्ट बनाया जा रहा है।
गोधन न्याय योजना के तहत पशुपालको के माध्यम से गौठान समिति द्वारा गोबर की खरीदी कर उसे जैविक खाद में बदला जाता है। गौठान में ही महिला स्व-सहायता समूहों (SHGs) की मदद से मसरूम उत्पादन, सब्जी उत्पादन, फलोंउद्यान, मछली पालन इत्यादि का काम किया जाता है।
कापूबहरा में गौठान की स्थिति: आज हम गौठान गए थे तो वहाँ हमने देखा कि कापू बहरा गौठान का प्रगति अधूरा है। जिसके कारण गांव के लोगो को गौठान से मिलने वाली लाभ का फायदा नही मिल पारहा हैं जो गांव के लोगों के लिये काफी बड़ी समस्या है। जितनी देर से वहाँ का गौठान निर्माण होगा उतनी ही गौठान से मिलने वाली लाभो से वांछित रह जाएंगे।अतः ग्राम पंचायत कापुबहरा सरपंच,सचिव,रोजगार सहायक से निवेदन है कि वहाँ के गौठान निर्माण कार्य को जल्द से जल्द शुरू करके उसे पूर्ण करे ताकि आपके पंचायत के लोग गौठान से मिलने वाली सभी लाभों के फायदा उठा सक।
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यह आलेख आदिवासी आवाज़ प्रोजेक्ट के अंतर्गत मिजेरियोर और प्रयोग समाज सेवी संस्था के सहयोग से तैयार किया गया है।
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