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Writer's pictureSantoshi Pando

क्या आपको मालूम है छत्तीसगढ़ के पण्डो आदिवासी कैसे रोटी बनाते हैं?

छत्तीसगढ़ राज्य में कई आदिवासी समुदाय बसे हैं जिनकी अपनी-अपनी संस्कृति और व्यंजन हैं। कोरिया ज़िले में एक छोटा सा गाँव है, जहां पण्डो आदिवासी लोग निवास करते हैं।

इस गाँव में मैं मिली बिरसिया दीदी से, जिसने मुझे पण्डो आदिवासियों की एक अनोखी खाना बनाने की प्रक्रिया के बारे में बताया। सुबह के नाश्ते में ये आदिवासी रोटी रंगते हैं। इनका रोटी तैयार करने का तरीका कुछ अलग ढंग का होता है। वे साल के पत्ते में रोटी बनाते है।


ऐसे बनाते हैं साल के पत्ते में रोटी

साल के पत्तों में आटे के गोले। फोटो साभार- संतोषी


बिरसिया दीदी ने सबसे पहले 1.5 किलो चावल लिए फिर चावल को बर्तन में रखकर धो लिया। इसके बाद चावल को सूपा में रखकर पतला-पतला बिखराकर, धूप में लगभग 20-25 मिनट के लिए सुखा लिया। उसके बाद चावल को चक्की (छत्तीसगढ़ी: जतरी) में पीस लिया।


यह हो जाने के बाद चावल के आटे को पानी में मिलाकर आटा गुथ लिया। बिरसिया दीदी ने बताया कि हमें इतना ही पानी डालना चाहिए जिससे यह ना तो ज़्यादा गीला हो और ना ही कड़क।


आटा ज़्यादा गिला होने से यह साल के पत्ते पर नहीं रहेगा और ज़्यादा कड़क होने से इसकी रोटी भी कड़क हो जाती है फिर आटे के छोटे-छोटे गोले बनाकर साल के पत्ते में डाल देने हैं और इन्हें बंद करना है।

उसके बाद बर्तन में एक लीटर पानी लेकर पानी के ऊपर लकड़ी बिछाते हैं ताकि साल के पत्ते और उसमें रखी रोटी नीचे पानी में गिरे ना।

इसमें रोटी (जिसे पीठा रोटी कहते हैं) को चूल्हे पर पकाया जाता है। यह पकने के बाद पत्तों को खोल दिया जाता है और रोटी को निकाला जाता है।

साल के पत्तों में पकी हुई रोटियां। फोटो साभार- संतोषी


पण्डो आदिवासी नए चावल की बनी पीठा रोटी ज़्यादातर एकादशी के त्यौहार के दिन खाते हैं। यह रोटी सुखी बनती है, क्योंकि पण्डो आदिवासी तेल का इस्तेमाल नहीं करते हैं।


साल के पत्ते में आप कुछ भी बनाकर खाओ इसका स्वाद कुछ अलग और मज़ेदार होता है। साल को हमारी आदिवासी भाषा में सरई कहते हैं और इसका उपयोग लोग विविध प्रकार (जैसे-शादी से लेकर दसघात्र तक) से करते हैं।


साल के पत्तों का दोना पत्तल भी बनाया जाता है। साल का पेड़ बड़ा मज़बूत होता है, जिसे इमारत बनाने के कामों में भी उपयोग करते हैं। इसकी लकड़ी बहुत ही कठोर, भारी और मज़बूत होती है।


लेखिका के बारे में- संतोषी छत्तीसगढ़ के कोरिया ज़िले की निवासी हैं। वो अभी BA की पढ़ाई कर रही हैं। वो दुनिया के बारे में जानकारी रखना पसंद करती हैं और नाचना उनकी रुचि है। गणित और हिंदी विषय में उनकी दिलचस्पी है और वो शिक्षिका बनना चाहती हैं।



यह लेख पहली बार यूथ की आवाज़ पर प्रकाशित हुआ था

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