कोचई कांदा अरबी का स्थानीय नाम है। घरों के आसपास ही इसकी खेती करके इसे उगाया जाता है। सदियों से गाँव के आदिवासी इसे खाते आ रहे हैं। कोचई कांदा को बरसात का मौसम आने से पहले (अप्रैल से मई के बीच) ज़मीन में लगाया जाता है। आइए आपको बताते हैं कोचई कांदा की खेती कैसे की जाती है।
कोचई कांदा का कोई बीज नहीं होता। इसके पौधे का ऊपरी हिस्सा काटकर (जिसे स्थानीय भाषा में मुडी कहते हैं) ज़मीन में तीन से चार फूट गहरे गड्ढे में बो दिया जाता है।
कोचई कांदा।
इस गड्ढे को दोनों ओर से मिट्टी और खाद डालकर ढक देते हैं। एक साथ मिट्टी ना डालकर अगल-बगल से इसलिए डाली जाती है, ताकि अंकुरित होने वाला हिस्सा पूरी तरह मिट्टी में ना दब जाए। एक महीने बाद इस पौधे की दोनों ओर से गुड़ाई की जाती है। इसे (कोड़ा) देना बोलते हैं।
ऐसा करने से कोचई कांदा को बढ़ने क लिए पर्याप्त जगह मिलती है। वैसे तो यह वर्षा-पोषित पौधा होता है मगर यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि इसमें जल-भराव नहीं होना चाहिए। अगर वर्षा ठीक से नहीं होती तब कोचई कांदा के पौधे की अलग से सिंचाई की जाती है। लगभग 7-8 महीने बाद कोचई कांदा अच्छे से उग जाता है। इसे लकड़ी या लोहे के औज़ार से निकालते हैं।
कोचई कांदा की सब्ज़ी बनाने की विधि
कोचई कांदा का पौधा।
सबसे पहले कोचई कांदा को अच्छे से धोकर साफ किया जाता है, ताकि उसमें से धूल, मिट्टी, कंकड़ आदि सब निकल जाए। अब एक बर्तन में पानी भरकर कोचई कांदा उबाला जाता है।
एक बड़ा बर्तन लें, जिसमें कोचई कांदा पूरी तरह पानी में डूब भी सके और उबाल आने पर पानी बाहर ना छलके। कोचई कांदा को लगभग 1 घंटे तक अच्छे से उबाल लेते हैं।
उबालने के लिए रखा हुआ कोचई कांदा।
याद रखें अगर कोचई कांदा अच्छे से ना उबाला गया हो तो इसे खाने से गले में खुजली हो सकती है। इसलिए इसे अच्छे से उबालना चाहिए। उबल जाने के बाद जब ये थोड़ा ठंडा हो जाए तब इसके ऊपर का छिलका निकालकर छोटे-छोटे टुकड़े काट लेते हैं।
अब सब्ज़ी बनाने का मसाला तैयार किया जाता है। इसके लिए इन सारी चीज़ों का प्रयोग होता है– लहसुन, प्याज़, जीरा, स्वाद अनुसार नमक, एक चम्मच हल्दी पाउडर, एक चम्मच मिर्च पाउडर, तीन से चार छोटे चम्मच तेल, तीन टमाटर, और धनिया।
अब कढ़ाई में तेल गर्म कर लेंगे। फिर थोड़ी देर बाद जीरा, लहसुन, प्याज़, टमाटर, नमक, हल्दी और मिर्च डालेंगे। फिर इसमें कोचई डालकर सब कुछ अच्छे से पकाएंगे। जब सब्ज़ी अच्छे से पक जाए, तब अंत में इस पर कटा धनिया डालें। अब कोचई कांदा सब्ज़ी बनकर तैयार है।
लेखक के बारे में: खाम सिंह मांझी छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं। उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई की है और वो अभी अपने गाँव में काम करते हैं। वो आगे जाकर समाज सेवा करना चाहते हैं।
यह लेख पहली बार यूथ की आवाज़ पर प्रकाशित हुआ था
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