भारत के आदिवासी क्षेत्रों में प्रकृति से मिली कई चीज़ों का इस्तेमाल दैनिक जीवन में होता है। यह चीज़ें गुणों से भरपूर होती है और आदिवासियों को इन गुणों का ज्ञान होता है। आज कल लोग ज़्यादातर समान दुकानों से खरीदते हैं लेकिन कई आदिवासी क्षेत्रों में आज भी इन प्राकृतिक चीज़ों का इस्तेमाल जारी है। इन्हीं में से एक है मिट्टी।
आपको पेड़ पौधों के औषधीय गुणों और उपयोग के बारे में तो पता होगा, लेकिन क्या आपको पता है की मिट्टी में भी ऐसे गुण होते है जो हमारे शरीर के लिए फायदेमंद हैं? जी हां, छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में काली मिट्टी या रेगुर मिट्टी का उपयोग आदिवासी महिलाएं अपने बाल धोने के लिए करती हैं।
कहां पाई जाती है काली मिट्टी?
काली मिट्टी गीले स्थानों में और जंगलों में पाई जाती है। पहले काली मिट्टी को घर लाया जाता है और उसे अच्छी तरह से पीसा जाता है। इसके बाद इसे पानी में डालकर और फेट लेते हैं। फिर इस मिट्टी को बालों पर लगाया जाता है। यह प्रथा सदियों से चली आ रही है। इस मिट्टी को शैम्पू की तरह इस्तेमाल किया जाता है और बालों पर लगाकर मसाज किया जाता है और फिर धोया जाता है।
काली मिट्टी का खेत
इस मिट्टी से बालों को कोई भी नुकसान नहीं होता। लोगों का अनुभव है कि इस मिट्टी से बाल धोने से बाल झड़ते नहीं हैं और रेशमी और चमकीले हो जाते हैं। बाल जितने भी रूखे हो, इस काली मिट्टी का उपयोग करने से बाल मुलायम हो जाते है और बड़े सुंदर दिखते हैं। यह मिट्टी शैम्पू और कंडीशनर दोनों का काम करती है और इससे बाल सिल्की भी हो जाते हैं।
कभी-कभी शैम्पू और कंडीशनर में केमिकल होते हैं, जिससे बालों को और त्वचा का भी नुक़सान होता है। शैम्पू के उपयोग से कई बार चेहरे पर छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं, बाल रूखे हो जाते हैं। काली मिट्टी प्राकृतिक है और इसके इस्तेमाल से कोई दुष्परिणाम नहीं होता।
क्या हैं काली मिट्टी के अन्य उपयोग
काली मिट्टी में मैग्नीशियम उपस्थित होता है। यह मिट्टी फसल के लिए बहुत ही उपयोगी होती है, जिसमें रोपा लगाया जाता है। अन्य दरदरा मिट्टी में खेती करना बहुत ही कठिन होता है और फसल का भी नुक्सान होता है, इसलिए काली मिट्टी का उपयोग होता है।
यह मिट्टी चिकनी और काली होती है और छूने में ठंडी होती है। इस ठंडक के गुण के कारण, इस मिट्टी का उपयोग जली हुई त्वचा पर लेप लगाने के लिए भी किया जाता है। इसका उपयोग कीड़े के काटने से जो विष लगता है, उसके प्रभाव को कम करने के लिए भी किया जाता है।
काली मिट्टी
इस काली मिट्टी का प्रयोग दूसरे रूपों जैसे खप्पर बनाने के लिए, दीया, मटकी, घड़ा और मिटी के बर्तन आदि बनाने के लिए भी किया जाता है। कई गाँव में इस काली मिट्टी से घर भी बनाए जाते हैं, क्योंकि इस काली मिट्टी में कंकड़-पत्थर नहीं पाए जाते, जिससे घर बहुत ही अच्छा बनता है।
अन्य मिट्टीयों में कंकड़ मौजूद होते हैं और इनसे बने घर बरसात में जल्दी खराब हो जाते हैं। इन घरों पर लीपाई करने में भी बहुत ही कठिनाई होती है। खुरदुरा होने के कारण कभी-कभी इन घरों पर लीपाई करते वक्त हाथ छिल जाते है। इसलिए गाँव में घर बनाने में ज़्यादातर काली मिट्टी का उपयोग किया जाता है।
बाज़ार में मिलने वाले प्लास्टिक के पैक के बदले में प्राकृतिक चीज़ों का उपयोग करना शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। केमिकल से भरी हुई वस्तुओं को खरीदने से पहले हमारे भारत में मिलने वाली शुद्ध, प्राकृतिक चीज़ों के बारे में भी सोचें और इन्हें बढ़ावा दें।
आपके यहां क्या दैनिक जीवन में मिट्टी का उपयोग होता है?
यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजैक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, और इसमें Prayog Samaj Sevi Sanstha और Misereor का सहयोग है।
यह लेख पहली बार यूथ की आवाज़ पर प्रकाशित हुआ था
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