आदिवासी साधारणतः किसी धर्म के नहीं होते क्योंकि वे प्रकृति की पूजा करते हैं। लेकिन अन्य समाजों के संपर्क में आने से आदिवासी आज हिन्दू, ईसाई, मुस्लिम, सिख और अन्य धर्म को भी अपना रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के 92.25% आदिवासी हिन्दू धर्म को मानते हैं। श्री राम की पूजा उनके लिए खास हैं। श्री राम की पूजा में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, लोग इसे राम सत्ता के नाम से जानते हैं।
राम सत्ता की शुरुआत
राम सत्ता रक्षाबंधन से शुरुआत होती है। राम सत्ता का कार्यक्रम एक महीनों तक चलता है। ये राखी पुन्नी से शुरू होता है और श्री गणेश विसर्जन के बाद खत्म होता है। राम सत्ता कार्यक्रम में सिर्फ श्री राम जी की कहानियों का वर्णन किया जाता है, इनके अलावा किसी और देवी-देवताओं का ज़िक्र नहीं किया जाता है।
राम सत्ता की प्रथा राम-राज खत्म होने के बाद से चली आ रही है। बड़े-बुजु़र्ग बताते हैं कि जब से श्री राम ने अयोध्यापुरी को त्यागा, तब से राम सत्ता मनाने की प्रथा शुरू हुई। श्री वाल्मीकि जी ने यह भविष्यवाणी की थी कि सतयुग में भगवान विष्णु, जो कि इस सृष्टि के रचयिता है, वह खुद सतयुग में मनुष्य का शरीर धारण करके जन्म लेंगे। वे अयोध्यापुरी में राजा बनकर अयोध्या पुरी का उद्धार करेंगे, जहां पर अन्याय होता रहेगा वहां न्याय दिलाएंगे।
वे राक्षसों का विनाश करेंगे, उनकी प्रजा को सत्य के रास्ते पे चलने के लिए सिखाएंगे और अनाचार, दुराचार, रूढ़ीवादी, भ्रष्टाचारी को खत्म करेंगे। श्री राम बहुत पराक्रमी, बुद्धिमान योद्धा के रूप में जन्म लेंगे। उन्होंने यह भी कहा था की भगवान विष्णु जी का शेषनाग जो कि उनका शयन है, जिस पर वह हमेशा लेटे रहते हैं, जिसे समुद्र का राजा बोलते हैं, वह भी मनुष्य रूप में जन्म लेंगे, छोटे भाई के रूप में। यह सब भविष्यवाणी सच हुई, रामायण कथा इसका सुबूत है।
इस रामायण को, श्री राम की गाथा को लिखने वाले हैं तुलसीदास जी, जिन्होंने उनके जन्म से लेकर उनकी लीलाओं तक सब के लेख, व्याख्या, वर्णन किए हैं।
धूमधाम से होता है आयोजन
एक महीने के दौरान अलग-अलग गाँव में अलग-अलग दिनों पर राम सत्ता का आयोजन किया जाता है। कार्यक्रम पूरे 24 घंटे का होता है। इसमें विभिन्न गाँवों की टीमें भाग लेती हैं। हर टीम से एक व्यक्ति अपने गाँव की टीम का नाम दर्ज कराते हैं। इसके बाद अपनी बारी आने पर मंच पर प्रदर्शनी करते हैं। इसमें हर प्रकार की कला को देखने का अवसर मिलता है। मंच पर नाटक, नृत्य, झांकी, कथा और गीत का भव्य प्रदर्शन होता है।
देखिए छत्तीसगढ़ के छिंदवाड़ा में राम सत्ता का कार्यक्रम
लोगों की भीड़ से मंच घिरा होता है। दर्शक अपने प्रतिभागी बंधुओं को 50-100 रुपए खुशी से दान देते हैं। जिस गांव में राम सत्ता कार्यक्रम होता है, उस गांव की आयोजक समिति मंच पर आने वाले प्रत्येक टीम को सुचारित रुप से राशि देती है।
गांव वालों का मानना है कि राम सत्ता पूजा कार्यक्रम करने से गांव में अच्छी वर्षा होती है। श्री राम की कृपा गांव में अच्छी फसल के रूप में मिलती है। पूजा आराधना करने से मन को शांति मिलती है और गांव में खुशहाली आती है। यह राम सत्ता कार्यक्रम हर साल मनाया जाता है और इस कार्यक्रम को लोग बहुत दूर-दूर से देखने के लिए आते हैं।
लेखक के बारे में: खाम सिंह मांझी छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं। उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई की है और वह अभी अपने गाँव में काम करते हैं। वह आगे जाकर समाज सेवा करना चाहते हैं।
यह लेख पहली बार यूथ की आवाज़ पर प्रकाशित हुआ था
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