फैशन के इस दौर में लोंगो की पहनावा फिल्मी दुनिया के हाव-भाव को उभरके हमारे सामने रखता है। आज के लोग तरह- तरह के रंग- बिरंगी कपड़े पहनकर किसी फिल्मी हीरो -हीरोइन की नकल उतारने से नहीं चूकते। यह कपड़े- साड़ी, ब्लाऊज, पेंट- शर्ट इन्हीं हीरो हीरोइन के नाम पर या सीरियल के नाम पर बेचते है। इन कपड़ों के नाम भी ग़ज़ब रहते हे- छोटी बहू, बहू रानी! लोग इस तरह के विशेष नाम से इंगित कपड़े, साड़ी को ख़रीदना और पहनना पसंद भी करते हैं, जो आधुनिक परिवेश को दर्शाता है।
लेकिन कुछ पोशाक ऐसे भी है, जो विशेष जाति या समुदाय की संस्कृति को दर्शाते है। क्या आपको उरांव समाज के पहनावे के बारे में जानकारी है? उरांव समाज देश के कई राज्यों में बसा है, लेकिन इस लेख में मैं आपको छत्तीसगढ़ के कोरबा ज़िले के उरांव लोगों के पोशाक के बारे में बताना चाहता हूँ।
श्रीमती जुलियाना एक्का ने उरांव जनजाति के पहनावे के बारे में बताया, “हमारी जाती (उरांव समाज) के महिलाओं का अलग पहनावा है जिसे हम अपनी भाषा में “ठाढी गतला तोलोंंग किचरी कूरना” कहते हैं। अर्थात साड़ी को सीधा पल्ला पहनकर, कमर के पास से आंचल निकालते हैं। आज कल ये पहनावा बहुत कम लोगों के द्वारा पहना जाता है, ज़्यादातर किसी विशेष कार्यक्रमों में ही पहना जाता है।”
छत्तीसगढ़ के साथ साथ यह पहनावा अधिकतर झारखंड के सरगुजा क्षेत्र में ज्यादातर प्रचलन में है। जब आदिवासियों का सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जा रहा हो, तब इस तरह की पोशाक पहना जाता है। महिलाएँ तोलोंग साड़ी पहनती है और पुरुषों धोती कमीज़। उरांव जनजाति की महिलाएं एक विशेष प्रकार की साड़ी को पहनते हैं। जिसे वे “मठ्ठा किचरी” कहते हैं, अर्थात मोटा साड़ी। ये साड़ी सूती साड़ी होती है।
हर आदिवासी समुदाय और समाज के अलग अलग पहनावे होते है, और मुझे मेरे समाज के पहनावे पर बड़ा गर्व है। हमें मिलकर कोशिश करनी चाहिए, की हमारे सांस्कृतिक पोशाक धीर-धीरे ग़ायब न हो जाए।
लेखक के बारे में -मनोहर एक्का छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं। यह खिलौने बनाना, सजौटी समान बनाना, बांसुरी बजाना, पेंटिंग करना पसंद करते हैं। यह पेंटर बनना चाहते हैं।
यह लेख पहली बार यूथ की आवाज़ पर प्रकाशित हुआ था
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