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Pradip Rupini

त्रिपुरा के आदिवासी समुदाय कैसे बनाते हैं ये तीन लजीज़दार पकवान

भारत के त्रिपुरा राज्य में 19 आदिवासी समुदाय रहते हैं। क्या आपको अंदाज़ा है कि इन समुदायों में खाने की कितनी विविधता होगी? इस लेख द्वारा में आपको त्रिपुरा के आदिवासी समुदाय के कुछ पसंदीदा पकवानों में बारे में बताना चाहूंगा, जिसे पढ़कर आपको ज़रूर भूख लगेगी!


चाक्खुई


हमारा पहला पकवान है चाक्खुई। इस पकवान में सूखी मछली, नींबू के पत्ते, मिर्ची और नमक के साथ साथ बेकिंग पाउडर की भी ज़रूरत होती है। बेकिंग पाउडर इस्तेमाल करने से यह सब्ज़ी रंग से भरपूर हो जाती है।

नींबू के पत्तों से सब्ज़ी में अच्छी सुगंध आती है और स्वाद भी बढ़ जाता है। सब्ज़ी पकाने के लिए पहले पानी को उबाला जाता है फिर गरम पानी में सब्ज़ियों को डाला जाता है।

सब्ज़ी पकाने के बाद उसमें सूखी मछली और नमक डालते हैं। इसमें स्वाद के लिए मिर्ची भी डाली जाती है। मिर्ची और सूखी मछली पकने तक इसे ऐसे ही रखा जाता है।


उसके बाद इसमें बेकिंग पाउडर डाली जाती है, जिससे सब्ज़ियों का रंग लाल होने लगता है। 10 मिनट के बाद इसमें चावल डाला जाता है। जब सभी सब्ज़ियां पक जाएं, तो अंत में नींबू के पत्ते डाले जाते हैं और ऐसे तैयार होती है चाक्खुई।


आवान ब्रो

आवान ब्रो। फोटो साभार- प्रदीप रूपिनि


आवान ब्रो बनाने के लिए नमक, मिर्ची और सूखी मछली की ज़रूरत होती है। पहले पानी उबालकर उसमें सब्जी, मिर्ची, नमक, सूखी मछली डालते हैं जिसके बाद बनकर तैयार हो जाता है आवान ब्रो।


वासूंग गोदोक

वासूंग गोदोक बनातीं त्रिपुरा की आदिवासी समुदाय की महिला। फोटो साभार- प्रदीप रूपिनि


वासूंग गोदोक एक ऐसा पकवान है जो बांस में पकाया जाता है। इसलिए यह पकाने से पहले जंगल या पहाड़ों से बांस काटकर लाया जाता है। इसके साथ एक डंडे की भी ज़रूरत पड़ती है, सब्ज़ी को ठीक से पीसने के लिए।

इस पकवान की सामग्री कुछ ऐसी दिखती है- बांस, सूखी मछली, किण्वित मछली, प्याज़ हल्दी के पत्ते और मिर्ची। खाने को एक-एक करके बांस की ट्यूब में डाला जाता है और उसे हल्दी के पत्तों से भर दिया जाता है।

इस बांस की ट्यूब को फिर आग पर रखते हैं और खाना पकने के बाद इसे निकाल देते हैं फिर इसमें प्याज़ डालते है। इसे डंडे से ठीक से पीसते हैं और तैयार हो जाता है वासूंग गोदोक!

ये सब्ज़ियां और पकवान त्रिपुरा के कई आदिवासी समुदाय बनाकर खाते हैं। हमारे दादा-दादी बताते हैं कि यह बहुत पहले से त्रिपुरा के लोगों की संस्कृति का भाग है। चाक्खुई, आवान ब्रो और वासूंग गोदोक के अलावा और भी ऐसे पकवान हैं जो त्रिपुरा के व्यंजन का भाग है।


जैसे- मोसदेंग, पेंगमनी, चाखुटवी और बेरेमा बोटवी। मोसदेंग और गोदोक को लोग हर रोज़ खाते हैं और यह त्रिपुरा की पहचान का अहम भाग है। अगर आप कभी त्रिपुरा आते हो, तो यह तीन पकवान ज़रूर चखना!

संदर्भ- trci.tripura.gov.in



लेखक के बारे में- प्रदीप रूपिनि त्रिपुरा के निवासी हैं। इन्हें घूमने का शौक है और ये आगे चलकर जज बनना चाहते हैं।


यह लेख पहली बार यूथ की आवाज़ पर प्रकाशित हुआ था

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