लेखक- राकेश नागदेव
हमारा छत्तीसगढ़ भारत का एक कृषि प्रधान राज्य है। छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। यहां धान की उत्पादकता बहुत होती है, चाहे वह मैदानी हो, चाहे पठारी क्षेत्र हो, हर जगह धान की अलग-अलग प्रजाति पाई जाती है।
इस राज्य में अन्य वर्ग एवं ज़्यादातर आदिवासी समाज निवासी हैं। छत्तीसगढ़ में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक त्यौहार आश्चर्य ही नहीं, बल्कि आनंद भी प्रदान करने वाले है।
छत्तीसगढ़ में छेरछेरा, हरेली सावन, भोजली तथा अन्य आदिवासी समाजों के त्यौहारों के साथ नई फसल होने की खुशहाली में अपने-अपने घरों में भी एक त्यौहार मनाया जाता है। इस त्योहार को छत्तीसगढ़ी बोली में नवा खाई त्यौहार कहते हैं।
नए धान के चांवल को जांते से आंटा बनाया जा रहा है । फ़ोटो- राकेश नागदेव
इस त्यौहार में आदिवासी समाज के लोग अपने घरों में फसल के अनाज से अपने इष्ट देव की पूजा बनाते हैं।
अपने ईष्ट देवताओं की पूजा की जाती है और सबसे पहले उन्हीं को भोग लगाया जाता है, फिर घर के सभी लोग भोजन करते हैं।
अपने इष्ट देव की पूजा । फ़ोटो-राकेश नागदेव
आदिवासी बहुत से देवी-देवताओं को मानते हैं- दूल्हा देव, ठाकुर देव, मरखीमाता, रक्सा, बूड़हा देव, चूल्हा देव, झगराखाड़, इत्यादि।
किसी भी गाँव या बाहरी लोगों का आना इस समय वर्जित रहता है। लोग तो यह भी कहते हैं कि अगर कोई बाहरी व्यक्ति आया, तो घर के कुल देवता नाराज़ हो जाते हैं।
आदिवासी लोग नवा भोजन के नाम से इस त्यौहार को पूर्ण निष्ठा से मनाते हैं। छत्तीसगढ़ के आदिवासी एवं अन्य लोगों द्वारा मनाया जाने वाला यह त्यौहार इस राज्य के लिए बेहद खुशी वाला पल होता है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। यह हमारी छत्तीसगढ़ की संस्कृति है, जिसपर मुझे गर्व है।
तुलसी पूजा। फ़ोटो- राकेश नागदेव
लेखक के बारे में- राकेश नागदेव छत्तीसगढ़ के निवासी हैं और मोबाइल रिपेयरिंग का काम करते हैं। यह खुद की दुकान भी चलाते हैं। इन्हें लोगों के साथ मिलजुल कर रहना पसंद है और यह लोगों को अपने काम और कार्य से खुश करना चाहते हैं। इन्हें गाने का और जंगलों में प्रकृति के बीच समय बिताने का बहुत शौक है।
यह लेख पहली बार यूथ की आवाज़ पर प्रकाशित हुआ था
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