प्लास्टिक आज के दुनिया की सबसे बड़ी सुविधा और उसके साथ-साथ समस्याओं में से एक है। सुविधा इसलिए क्योंकि अस्पताल और कारख़ानों से लेकर घर तक, इसका कई चीजों में उपयोग होता है और समस्या इसलिए, क्योंकि लोग जहां प्लास्टिक के बदले कोई और सामग्री का इस्तेमाल हो सकता है, वहां भी प्लास्टिक इस्तेमाल करते हैं।
प्लास्टिक सस्ता है, टिकाऊ है, लेकिन अजैव निम्नीकरणीय और धरती, पशु-पक्षियों के साथ-साथ इंसानों के लिए भी हानिकारिक होता है।
सिंगल यूज़ प्लास्टिक
छत्तीसगढ़ के हमारे आदिवासी गाँव में लोग प्लास्टिक का बहुत ही कम उपयोग करते हैं लेकिन कभी-कभी जब उपयोग हो जाता है, तो प्लास्टिक की चीज़ों का कई तरीक़ों से पुनः प्रयोग करते हैं।
इसका एक उदाहरण यह है प्लास्टिक की बोतल से गुलदस्ता या झूमर तैयार करना। यह बनाकर लोग अपने घर में सजावटी सामान की तरह इसका उपयोग करते है। इसे फेंकने के बदले में इसका पुनः प्रयोग करने से प्रदूषण थोड़ी मात्रा में ही सही लेकिन कम होता है।
प्लास्टिक बॉटल का सजावटी सामान बनाने की विधि
सजावटी समान बनाने के लिए पहले प्लास्टिक की बोतलों को गाँव के कई घरों से इकट्ठा किया जाता है। फिर बोतल को बीच से और फिर और छोटे-छोटे भागों में कैंची की सहायता से काटा जाता है। इसके बाद उसमें थर्माकोल के गोले लगाए जाते है।
एक कटी हुई बोतल के ऊपर दूसरी बोतल रखी जाती है और दूसरी बोतल पर तीसरी बोतल। इन्हें फिर गोंद से चिपकाया जाता हैं और इस तरह एक बहुत ही सुंदर गुलदस्ता तैयार हो जाता है।
प्रयोग किए जा चुके प्लास्टिक से बना गुलदस्ता
प्लास्टिक से होने वाले नुकसान
प्लास्टिक से होने वाले नुकसान अनगिनत हैं। जिस प्लास्टिक के बोतल से हम पानी पीते हैं, उसकी वजह से कई तरह की बीमारियां होने की सम्भावना रहती है, क्योंकि प्लास्टिक स्वाभाविक तरीके से नहीं सड़ता है, उसके साथ करें क्या?
प्लास्टिक की चीज़ें जब हम फेंक देते हैं, तो उसे या फिर जलाया जाता है, या सागर में फेंक दिया जाता है, या ऐसे ही प्लास्टिक की चीजों के ढेर बढ़ते जाते हैं।
इस प्लास्टिक से फिर पानी, हवा और धरती के जीव-जंतुओं को खतरा होता है। कई पशु प्लास्टिक की थैलियां खा जाते हैं और पानी में प्लास्टिक की चीजों में प्राणी अटक भी जाते हैं। उन्हें सास लेने में तकलीफ होती है और वे मर जाते हैं।
हमारे दैनिक जीवन में प्लास्टिक का प्रयोग
सागर में फेंके जाने वाली प्लास्टिक की चीजों में से ज़्यादा मात्रा में हैं थैलियाँ, स्ट्रॉ, बोतलें और ऐसी वस्तुएं, जिन्हें हम एक बार इस्तेमाल करके फेंक देते है। इन्हें ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक’ कहते हैं।
स्कूलों में पेन से लेकर घर में चावल के पैकेट तक- हमारे जीवन में प्लास्टिक भरा पड़ा है, क्योंकि यह खरीदने में आसान है और कहीं भी मिल जाता है इसलिए लोग इन्हें इस्तेमाल करना पसंद करते हैं।
व्यक्तिगत स्तर पर कैसे रोके प्लास्टिक प्रदूषण को
एक साधारण-सा उपाय है कि अपने घर में प्लास्टिक की चीजों का उपयोग कम-से-कम करें। प्लास्टिक को ना खरीदते हुए हम उन चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं जो किसी और सामग्री से बनी हों साथ ही पर्यावरण के अनुकूल हों।
प्लास्टिक की चीज़ें अगर घर में हों, तो उनका जितना हो सके पुनः प्रयोग करना चाहिए, ताकि यह वातावरण को प्रदूषित ना करें। प्लास्टिक कई क्षेत्रों में अटल चीज़ है, लेकिन जिन क्षेत्रों में प्लास्टिक के बिना भी काम चल जाता है, वहां हमें इसके प्रयोग से बचना चाहिए।
यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजैक्ट के अंतर्गत लिखा गया है। इसमें Prayog Samaj Sevi Sanstha और Misereor का सहयोग है।
यह लेख पहली बार यूथ की आवाज़ पर प्रकाशित हुआ था
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