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Khageshwar Markam

भूंजिया आदिवासी आज भी अपने पूर्वजों द्वारा दिए गए लोक गीत क्यों गुनगुनाते हैं

टेंड़ा चो पाटी देखाब

ढ्ढाय जोरें लपक हो, लपकै

राम जानी चीना

अमचो मामा चो बेटीस देखा कुदां

कुदां टेंरै हो राम जानी चीना।


ये है भूंजिया आदिवासियों द्वारा शादी के अवसर पर गाए जाने वाले गीत। शादी विवाह के मौसम में आप बॉलीवुड से लेकर लोकल टॉलीवुड के गाने पर नाचते और थिरकते होंगे लेकिन छत्तीसगढ़ के भूंजिया आदिवासी आज भी अपने पूर्वजों द्वारा दिए गए लोक गीत के गानों को गाते और इन पर ही नाचते हैं।


भूंजिया आदिवासी आज भी अपनी संस्कृति को संजोय हुए हैं


भूंजिया समाज में शादी-विवाह में गाए जाने वाले लोक गीत को चीना गीत कहते हैं। इन गीतों को बुज़ुर्ग लोग शादी-विवाह समारोह में सदियों से गाते आए हैं और ये अभी तक चला आ रहा है। इसमें आज भी युवक और बूढ़े गाते और नाचते हैं।


इन गीतों में एक-दूसरे से नोक-झोंक और हंसी-मज़ाक किया जाता है। ऐसा ही एक चीना गीत को कामेश कुमार और खगेश्वर मरकाम गाते हैं और इन गीत के बोल का अर्थ बताते हैं,


टेंड़ा चो पाटी देखा

बढ्ढाय जोरें लपक हो, लपकै

राम जानी चीना

अमचो मामा चो बेटीस देखा कुदां

कुदां टेंरै हो राम जानी चीना।


इसका अर्थ यह होता है कि कुएं में जो टेंड़ा की पाटी होती है, उस पर लोग खड़े होकर बाल्टी से पानी निकालते हैं। इस गाने में कहा जा रहा है कि मामा की बेटी पाटी पर ज़ोर-ज़ोर से रस्सी को लपककर पानी निकाल रही है।


कुएं से पानी निकालने का काम बहुत मेहनत वाला होता है। अगर कुआं गहरा हो और पानी का स्तर नीचा हो तो और भी ज़्यादा मेहनत लगती है। ऐसे में, लड़की को पानी निकालने में बहुत मेहनत लग रही है और वह ज़ोर ज़ोर से ताकत लगाकर पानी निकाल रही है।


इसे देखकर लोग हैरान हैं लेकिन उसकी प्रशंसा भी कर रहे हैं। उसकी मेहनत और लगन की तारीफ कर रहे हैं। वे अपनी लड़की के गुणों को गिनाते हैं और बोलते हैं कि वे कितनी अच्छी लड़की की शादी कर रहे हैं।


चीना गीतों से आदिवासियों के जीवन की एक बहुत ज़रूरी झलक मिलती है

फोटो साभार- खगेश्वर मरकाम


चीना गीतों से आदिवासियों के जीवन की एक बहुत ज़रूरी झलक मिलती है। वे खुश रहते हैं और अपने गानों में खूब हंसी-मज़ाक करते हैं।


शादियों में ऐसे गानों को गाकर दूल्हा और दुल्हन के समुदाय एक-दूसरे की हंसी निकालते हैं लेकिन ये बहुत आदरपूर्ण और स्नेहमय तरीके से किया जाता है। इससे किसी को बुरा नहीं लगता, बल्कि दूसरा समूह भी वैसे ही अंदाज़ में जवाब देता है।


इसके उत्तर में लड़के वाले गाते हैं


बाटें चो महुं भनें,

खुंदनीयांय यें गलो हो।

राम जानी लाटकन्या चीना


जिस रास्ते में महुवा पेड़ लगे हुए हैं, वहां महुवा के फल और फूल भी गिरेंगे। रास्ता महुवा के फूल और फल से भरा हुआ है। कई बार ये रास्ते गाँव के बीच में होते हैं और लोग इनके द्वारा गुजरते हैं। इसलिए इन रास्तों को बंद नहीं किया जा सकता है।


महुवा के रास्ते में चलना ही होगा और ऐसे में उसके फल और फूल को पैरों तले रौंदे जाएंगे। इसे टाला नहीं जा सकता है, क्योंकि ये मुख्य रास्ता है और लोग तो चलेंगे ही।


इसी प्रकार लड़के वाले जवाब देते हुए कहते हैं कि वे लड़की को शादी करके ले ही जाएंगे। भले ही लड़की को दुख लगे या अपना घर छोड़कर जाने का मन ना करे लेकिन शादी होने के बाद तो उसे ससुराल जाना ही होगा। इसे कोई टाल नहीं सकता। इसलिए वे बोलना चाहते हैं कि लड़की उदास ना हो क्योंकि जो होनी है, वह तो होकर रहेगा। वो खुशी मन से अपनी शादी करे।


आखरी वाक्य, “राम जानी लाटकन्या।” चीना में कहा जा रहा कि यह मैं भी नहीं जानता कि क्या हो रहा है, यह तो ऊपर वाला भगवान ही जानता है। इन चीना गीतों से आदिवासियों के हंसमुख व्यवहार के बारे में पता चलता है।



लेखक के संदर्भ में


खगेश्वर मरकाम छत्तीसगढ़ के मूल निवासी हैं। यह समाज सेवा के साथ खेती-किसानी भी करते हैं। खगेश का लक्ष्य है शासन-प्रशासन के लाभ आदिवासियों तक पहुंचाना। वह शिक्षा के क्षेत्र को आगे बढ़ाना चाहते हैं।


यह लेख पहली बार यूथ की आवाज़ पर प्रकाशित हुआ था

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